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गांधी नहीं खड़गे: INDIA गठबंधन की बैठक में ममता बनर्जी ने दिया ऐसा मैसेज, कांग्रेस की बढ़ा दी मुश्किलें

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने INDIA गठबंधन की बैठक में जो कहा उस पर ध्यान देने के बजाए, उस पर ध्यान दिया जाना चाहिए, जो उन्होंने नहीं कहा। ये कुछ ऐसा है, जो धीरे-धीरे कांग्रेस पर हावी हो रहा है। इससे कांग्रेस के नेता नाराज तो हैं, लेकिन वे इसके सामने असहाय भी हैं। जब ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ 2024 के लोकसभा चुनावों (Lok Sabha 2024) के लिए विपक्षी INDIA गुट के प्रधानमंत्री पद के चेहरे के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) का सुझाव दिया, तो ज्यादातर लोग स्तब्ध रह गए। एक चतुर राजनीतिज्ञ खड़गे ने इस संदेश को समझ लिया। तभी तो उन्होंने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया दी और नतीजों का इंतजार करने को कहा।

ममता के इस सुझाव में साफ और सीधा मैसेज था कि वे गांधी परिवार से किसी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के लिए राजी नहीं हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ममता राहुल की तुलना में सोनिया गांधी के साथ ज्यादा सहज रही हैं। वह पहले भी कई बार संकेत दे चुकी हैं कि राहुल को परिपक्व होने के लिए और समय चाहिए और उनके पास समय है।

इसके अलावा, वह इस तथ्य को कभी नहीं भूल सकती कि ये राहुल ही थे, जो वामपंथियों के प्रति उत्सुक थे और उनके मन में उनके प्रति नरम रुख था। इसके अलावा, माना जाता है कि वह मुंबई की INDIA मीटिंग में अडानी मुद्दे पर राहुल के बयान से नाराज थीं।

यह सच है कि तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में कई लोगों को लगता है कि राहुल के पीएम चेहरा होने से मोदी को और भी बढ़त मिलेगी।

वह BJP के लिए एक असेट का काम करेंगे। इसके बजाय, खड़गे जैसा दलित, जो एक विनम्र पृष्ठभूमि से आता है, गांधी परिवार के “हकदार” टैग को नकार देगा।

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इसके अलावा, उम्र भी एक फैक्टर है। अतीत में, शरद पवार ने युवा राहुल के तहत काम करने से इनकार कर दिया था। यही हाल ममता का भी है।

इसमें यह तथ्य भी जोड़ें कि कांग्रेस नेताओं ने हमेशा राहुल को अपने पीएम उम्मीदवार के रूप में पेश किया है। News18 ने कम से कम तीन नेताओं से बात की, हालांकि, उन्होंने रिकॉर्ड पर आने से इनकार कर दिया।

उनकी दुविधा ये है कि वे खड़गे को अस्वीकार नहीं कर सकते, लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में राहुल की अस्वीकृति को भी स्वीकार नहीं कर सकते।

अब सवाल ये है कि क्या ममता और केजरीवाल की गैर-गांधी प्राथमिकता से INDIA गुट के भी रिश्ते तनावपूर्ण हो सकते हैं?

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