यूएन एजेंसी ने सोमवार को अपने वक्तव्य में कहा कि यह घटना 5 जनवरी को है जब वाहनों को स्पष्ट रूप से चिन्हित किए जाने के बाद उन्हें निशाना बनाया गया.
“वादी ग़ाज़ा चौकी के नज़दीक, तीन वाहनों के इस क़ाफ़िले पर कम से कम 16 गोलियाँ बरसाई गईं.” इस घटना में किसी यूएन कर्मचारी के घायल होने की जानकारी नहीं है.
WFP के अनुसार, इसराइली प्रशासन से सभी आवश्यक अनुमति लिए जाने के बाद ही यह क़ाफ़िला भेजा गया था. यह घटना “एक नवीनतम उदाहरण है कि उसकी टीमों को कितने जटिल व ख़तरनाक” माहौल में काम करना पड़ रहा है.
यूएन एजेंसी की कार्यकारी निदेशक सिंडी मैक्केन ने सोशल मीडिया पर अपने सन्देश में इस घटना को पूर्ण रूप से अस्वीकार्य क़रार दिया है. उन्होंने क्षोभ जताया कि पूर्व अनुमति होने के बावजूद, वादी ग़ाज़ा के नज़दीक इसराइली सैन्य बलों ने इस क़ाफ़िले पर गोलीबारी की.
“मानवतावादियों को कभी भी निशाना नहीं बनाया जाना होगा. हमें जीवनरक्षक सहायता पहुँचाना जारी रखने के लिए सुरक्षित मार्ग मुहैया कराया जाना होगा.”
इस बीच, मध्य ग़ाज़ा में यूएन के एक साझेदार संगठन द्वारा संचालित आटा वितरण केन्द्र पर पिछले सप्ताहांत मिसाइल हमला होने की ख़बर है, जिसमें तीन मानवीय सहायताकर्मी गम्भीर रूप से घायल हुए हैं.
7 अक्टूबर 2023 को इसराइल पर हमास व अन्य हथियारबन्द गुटों के आतंकी हमलों में 1,200 लोगो की जान गई थी और 250 से अधिक को बन्धक बना लिया गया था.
इसके बाद, ग़ाज़ा पट्टी में इसराइली सैन्य कार्रवाई शुरू हुए 15 महीने बीत चुके हैं, जिसमें 45 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं और एक लाख से अधिक घायल हुए हैं.
इसराइल और फ़लस्तीनी अधिकारियों के बीच युद्धविराम व बन्धकों की रिहाई पर समझौते के लिए बातचीत का फ़िलहाल कोई नतीजा नहीं निकला है.
इसराइल द्वारा ग़ाज़ा पट्टी को वायु, भूमि व समुद्री मार्ग से निशाना बनाया गया है. पिछले कई महीनों से जारी इस लड़ाई से भीषण मानवीय संकट उपजा है और यहाँ सहायता सामग्री, सुरक्षित आश्रय व्यवस्था व अति-आवश्यक सेवाओं की क़िल्लत है.
बताया गया है कि सर्दी के मौसम में शरीर के तापमान में अत्यधिक गिरावट (हाइपोथर्मिया) के कारण आठ बच्चों की मौत हो चुकी है. हिंसक टकराव में घायल हुए हर पाँच में से एक व्यक्ति जीवन को बदल कर रख देने वाली शारीरिक अवस्था का सामना करने के लिए मजबूर है.