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ग़ाज़ा: 22 लाख लोगों की जीवन रक्षक सहायता के लिए केवल ‘एक दरवाज़ा’ अपर्याप्त

जेमी मैकगोल्ड्रिक ने यूएन न्यूज़ के साथ एक ख़ास बातचीत में कहा कि प्रत्येक दिन कम से कम 200 ट्रकों की सहायता सामग्री की आवश्यकता है और राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय साझीदारों के “उत्कृष्ट” प्रयासों के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कर्मी, मिस्र के साथ ग़ाज़ा की दक्षिणी सीमा पर स्थित एक ही सीमा चौकी पर फंसे हुए हैं. जबकि इस सीमा चौकी को पैदल यात्रियों के लिए बनाया गया है.

अनुभवी संयुक्त राष्ट्र सहायता अधिकारी ने दिसम्बर के अन्त में फ़लस्तीनी क्षेत्र के अन्तरिम रैज़िडैंट समन्वयक की ज़िम्मेदारी संभाली थी.

आयरिश नागरिक जेमी मैकगोल्ड्रिक ने 2018 और 2020 के बीच, मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के उप विशेष समन्वयक भी रहे हैं.

उससे पहले, वह यमन में संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता और स्थानीय समन्वयक था जोकि देश में 2015 में शुरू हुए हिंसक युद्ध के चरम का समय रहा है. उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय रैड क्रॉस के साथ भी काम किया है.

जेमी मैकगोल्ड्रिक हाल ही में ग़ाज़ा से लौटे हैं, और येरूशेलम से शनिवार 13 जनवरी को यूएन न्यूज़ के इज़्ज़त अल-फ़ेरी के साथ बात की, जहाँ संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक कार्यालय (यूएनएससीओ) का मुख्यालय है, जिसके अन्य कार्यालय पश्चिमी तट के रामल्लाह शहर और ग़ाज़ा पट्टी में हैं.

जेमी मैकगोल्ड्रिक ने कहा, “एक हद तक सदमे और असहाय होने की स्थिति है. और मुझे लगता है कि एक निराशा भी है, क्योंकि उन्हें इस बात का कोई जवाब नहीं दिखता कि उन्हें आगे क्या होने वाला है.”

दक्षिणी ग़ाज़ा के रफ़ाह शहर में लोगों को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल पा रहा है.

मानवीय सहायता कर्मियों की दृढ़तदा

उन्होंने कहा है, “यह भी आश्चर्यजनक है कि इनमें से कुछ सहयोगियों की सहनक्षमता और दृढ़ता उस स्थिति में थी, जिन्हें विस्थापित व्यक्ति के रूप में भागकर दक्षिणी इलाक़े में आना पड़ा है, मगर फिर भी काम करने के लिए दृढ़ थे.”

उप विशेष समन्वयक ने आगे कहा, “संयुक्त राष्ट्र के 146 सहकर्मी मारे गए हैं, उन सभी ने अपने परिवार के कुछ सदस्यों को खो दिया है, फिर भी वे अब भी काम कर रहे हैं… और उन्हें यह भी मालूम है कि वो सुरक्षा के लिए तो भाग रहे हैं, मगर वो कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं, हर जगह बहुत तंग जगह है और भीड़ बढ़ती जा है.

उन्होंने कहा, “हमारे लिए प्रमुख मुद्दे – बेहतर आश्रय, अधिक खाद्य सहायता सामग्री की उपलब्धत व आपूर्ति, बेहतर पानी और स्वच्छता, सीवेज की स्थिति और स्वास्थ्य आवश्यकताओं के साथ-साथ ही, बहुत सारी सुरक्षा सम्बन्धी चिन्ताएँ भी हैं.”

“लिंग आधारित हिंसा, बाल संरक्षण के मुद्दे हैं क्योंकि बहुत सारे बच्चे बेसहारा हैं. मुझे लगता है कि ये सभी मुद्दे बहुत अहम हैं.”

जेमी मैकगोल्ड्रिक ने ज़ोर देते हुए कहा कि मानवीय सहायता कर्मियों के पास काम करने की क्षमता होनी चाहिए, “तो इसका मतलब हमारे लिए भी सुरक्षा होनी चाहिए, जिसका मतलब है अच्छी संचार प्रणालियाँ होना, चारों ओर आवागमन और टकराव को कम करने की क्षमता होना और हमारे मानवीय सहायता अभियान सुरक्षित होने चाहिए. मगर आज हालात ऐसे नहीं हैं, अनेक घटनाएँ भी हुई हैं.”

उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा, “… हम आबादी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम जानते हैं कि सॉंम्भवतः 22 लाख की पूरी आबादी को किसी न किसी तरह की सहायता की आवश्यकता है.”

सहायता ट्रकों का क़ाफ़िला, मिस्र की तरफ़ से रफ़ाह सीमा चौकी से, ग़ाज़ा में दाख़िल होते हुए.

मानवीय सहायता अधिकारी ने कहा, “अन्तत हम जो करना चाहेंगे वह यह है कि वाणिज्यिक क्षेत्र फिर से स्थापित हो, हम वास्तव में मानवीय सहायता की आपूर्ति शुरू कर सकें.”

उन्होंने बताया, “दुकानें सिर्फ इसलिए बन्द हैं क्योंकि उनमें कुछ भी सामान नहीं है. सारा सामान ख़त्म हो गया है. हमें दुकानों को सामान से फिर भरना होगा. 

जेमी मैकगोल्ड्रिक ने ज़ोर देकर कहा, “हम अपने सहायता अभियान बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं… रफ़ाह सीमा चौकी के अलावा भी कोई अन्य रास्ता खोला जाना होगा.”

उप विशेष समन्वयक ने निष्कर्षतः कहा, “हमें हमास द्वारा बन्धकों बनाकर रखे गए लोगों की तत्काल, बिना शर्त रिहाई पर बातचीत को और अधिक आगे बढ़ाना और मजबूत करना होगा. हमें ग़ाज़ा को दी जाने वाली मानवीय सहायता बढ़ानी होगी.

“इसराइल की अपनी आन्तरिक सुरक्षा चिन्ताओं को ध्यान में रखते हुए, ग़ाज़ा में सहायता पहुँचाने के लिए रफ़ाह के अलावा भी अन्य रास्ते खोलने होंगे, जैसेकि केरेम शालोम सीमा चौकी.”

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