इस दस्तावेज़ को पुर्तगाल के कैसकाइस-घोषणा-पत्र नाम दिया गया है जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की क्षमता का लाभ उठाने और हेट स्पीच व झूठी जानकारी और ग़लत सूचना फैलावका मुक़ाबला करना, शान्ति व आपसी समझ को बढ़ावा देने की योजना का हिस्सा है.
पुर्तगाल के कैसकाइस शहर में जारी संयुक्त राष्ट्र के सभ्यताओं के गठबन्धन के 10वें वैश्विक मंच के दौरान, इस दस्तावेज़ पर दस्तख़त करने वालों में अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्ष व सरकारों प्रमुख शामिल हैं. यह वैश्विक मंच 25 नवम्बर से 27 नवम्बर तक चल रहा है.
इस घोषणा-पत्र में, वैश्विक स्तर पर दरकते भरोसे, यहूदीवाद के बढ़ते विरोध, राष्ट्रवाद और ऑनलाइन मंचों पर बढ़ती नफ़रते के परिदृष्य के समाधानों पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए अनेक कार्रवाइयों का ख़ाका पेश किया गया है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को इस मंच के उदघाटन अवसर पर कहा है, “यह बहुत कठिन दौर है. इस तरह के परिदृश्य में, हमें शान्ति की आवश्यकता है”, बिल्कुल अभी, ग़ाज़ा, लेबनान, सूडान और यूक्रेन और अन्य स्थानों पर.
उनका कहना है, ”हमें सभी स्तरों पर आवाज़ें बुलन्द करने और कार्रवाइयाँ करने की ज़रूरत है, समुदायों में, ऑनलाइन मंचों पर और तमाम संस्कृतियों व संस्थानों में, जिसमें तमाम उपलब्ध उपकरणों और साधनों का उपयोग किया जाए.”
कैसकाइस घोषणा-पत्र के ख़ास बिन्दु
25 पन्नों के इस दस्तावेज़ में शान्ति की सख़्त ज़रूरत को पूरी करने के लिए, नवाचारी कार्रवाइयों व कुंजियों को रेखांकित किया गया है.
इसमें संस्कृतियों व धर्मों के बीच संवाद को आगे बढ़ाने, और दुष्प्रचार, ग़लत जानकारी फैलाव और हेट स्पीट का मुक़ाबला करने और सूचना की सत्यनिष्ठा को मज़बूत करने के लिए, एआई की क्षमता का प्रयोग करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया है.
कैसकाइस घोषणा-पत्र में, शान्ति, टिकाऊ विकास और मानवाधिकारों के लिए, पीढ़ियों के दरम्यान संवाद की महत्ता पर भी ज़ोर दिया गया है.
साथ ही संवाद को प्रोत्साहन देने के एक उपकरण के रूप में “खेलकूद कूटनीति” के योगदान को भी रेखांकित किया गया है और वार्ताकारों, मध्यस्थकारों व शान्तिनिर्माताओं के रूप में महिलाओं की भूमिका को समर्थन देने और उसे मज़बूत करने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया गया है.
इस घोषणा-पत्र पर दस्तख़त करने वाले विश्व नेताओं व साझीदारों ने ये प्रतिज्ञाएँ व्यक्त की हैं:
- धार्मिक असहिष्णुता के तमाम रूपों का मुक़ाबला किए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर
- संवाद, शान्ति और मानवाधिकारों को प्रोत्साहन देन में समावेशी, गुणवत्तापूर्ण और रूपान्तरकारी शुक्षा की केन्द्री भूमिका को स्वीकारोक्ति
- टकराव को दूर करने में मध्यस्थता और विकास सहकारिता में, धार्मिक हस्तियों की भूमिका को पहचान
- सुरक्षित, व्यवस्थागत और नियमों के तहत प्रवासन के, मूल और गन्तव्य देशों में, सकारात्मक प्रभावों को रेखांकित किया जाना. इसमें सांस्कृतिक बहुलवाद को प्रोत्साहन, और सांस्कृतिक विविधता, सामाजिक समावेश व सचलता के बारे में सकारात्मक विचारों को बढ़ावा दिया जाना और नस्लभेद व स्वयं से भिन्न लोगों के बारे में बदनाम और नकारात्मक बातें फैलाने की रोकथाम करने में, युवजन के रचनात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना शामिल है
- भविष्य के समझौते (Pact for the Future) पर ध्यान दें जिसमें एक नई स्फूर्ति वाले बहुलवाद और शान्ति की संस्कृति को बढ़ावा देने में धार्मिक हस्तियों और आस्था आधारित संगठनों की आवाज़ों की महत्ता को मान्यता और दी गई है.
ग़ाज़ा में युद्ध, कोई सभ्यता नहीं है
यूएन महासचिव और कुछ अन्य विश्व नेताओं ने, इस घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए जाने से पहले, मंच पर अपने विचार रखे जिनमें सेनेगल की प्रधानमंत्री ऐमिनाता टूरे भी शामिल थे. उन्होंने ग़ाज़ा में जारी युद्ध की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया.
सेनेगल की प्रधानमंत्री ने कहा, “ग़ाज़ा में जो कुछ हो रहा है, वो हम देख रहे हैं, जहाँ 42 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें अधिकतर आम लोग हैं, इस सन्दर्भ में अन्ततः सभ्यता के क्या मायने हैं?”
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “क्या ये सभ्यता है कि ‘आप मेरा एक (आदमी) मारेंगे, तो हम आपके 34.16 मार देंगे’ जैसाकि हमने अभी तक हुआ है जिसमें इसराइल ने एक अन्य अस्वीकार्य कार्रवाई (अक्टूबर 2023 के हमास हमलों) के जवाब में लोगों के मारने का अनुपात दिखाया है.”
“हम टेलीविज़न पर्दों पर जो असहनीय दृश्य देखते हैं, वो सभ्यता पर किसी चर्चा का विषय बनने से दूर क्यों नज़र आते हैं?”
उन्होंने कहा कि यूएन चार्टर और अन्तरराष्ट्रीय ढाँचे में निहित समान अधिकारों पर आधारित चर्चा करने के अलावा, सभ्यता को संभालने का और कोई रास्ता नहीं है.
स्पेन के सम्राट डॉन फ़िलिप VI ने भी इस वैश्विक मंच में आए प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी में, कूटनीति, शान्ति का एक उपकरण है, मगर इसके परम्परागत उपकरण पुराने पड़ चुके हैं उन्हें कार्रवाई के नए साधनों से सुसज्जित करना होगा, जिनमें अधिक साहसिकता, रचनात्मकता और व्यावहारिकता हो.
‘भरोसे की बहाली बहुत ज़रूरी’
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने भी इसी भावना के साथ कहा कि शान्ति के अभाव से, भरोस में कमी का रास्ता निकल रहा है जिससे सभ्यताओं के गठबन्धन का काम पहले से कहीं अधिक अहम हो गया है.
उन्होंने कहा, “भरोसे को बहाल करना, हमारा बहुत ज़रूरी कार्य है.”