यह याचिका दक्षिण अफ़्रीका द्वारा दायर किए गए उस मुक़दमे से जुड़ी है, जिसमें इसराइल पर जनसंहार सन्धि का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था.
यह नया आवेदन 10 मई को दाख़िल किया गया, और इसमें कोर्ट से आग्रह किया गया है कि रफ़ाह में इसराइली सैन्य अभियान से तत्काल पीछे हटने के लिए आदेश जारी किए जाने होंगे.
साथ ही, ग़ाज़ा पट्टी में अन्तरराष्ट्रीय सहायताकर्मियों और पत्रकारों को प्रवेश की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है.
नैदरलैंड्स की राजधानी हेग स्थित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में दक्षिण अफ़्रीका ने गुरूवार दोपहर अपनी दलीलें पेश की हैं. इसराइल द्वारा अपना पक्ष शुक्रवार को रखे जाने की सम्भावना है.
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत स्थापित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय, यूएन का मुख्य न्यायिक अंग है, जिसमें 15 न्यायाधीश हैं.
बेरोकटोक आवाजाही की पुकार
ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य बलों के अभियान की पृष्ठभूमि में अकाल की आशंका बढ़ती जा रही है.
इसके मद्देनज़र, दक्षिण अफ़्रीका ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि ग़ाज़ा में यूएन अधिकारियों, तथ्य-खोजी मिशन, जाँचकर्ताओं व पत्रकारों के लिए निर्बाध मार्ग मुहैया कराया जाना होगा. इस सिलसिले में, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय से इसराइल के लिए आदेश जारी करने का आग्रह किया गया है.
बताया गया है कि उन अधिकारियों व पत्रकारों को यह अनुमति दी जानी ज़रूरी है ताकि ग़ाज़ा में ज़मीनी स्थिति का आकलन किया जा सके, और साक्ष्यों को कारगर ढंग से जुटाना व संरक्षित करना सम्भव हो सके.
दक्षिण अफ़्रीका ने अपने आवेदन में कहा है कि यह ज़रूरी है कि इसराइल की सेना द्वारा ऐसी व्यवस्था में कोई बाधा ना खड़ी की जाए.
दक्षिण अफ़्रीका ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि अदालती आदेश के एक सप्ताह के भीतर, इसराइल को एक रिपोर्ट दाख़िल करनी होगी, जिसमें इन अनन्तिम उपायों (provisional measures) के लिए उठाए गए क़दमों पर जानकारी देनी होगी.
अनन्तिम उपाय एक प्रकार से अस्थाई निषेधाज्ञा या विवाद पर अन्तिम निर्णय आने से पहले रोक लगाने का उपाय है. इस तरह के मुक़दमों में, निर्णय आने में वर्षों लगने की सम्भावना होती है.
दक्षिण अफ़्रीका: ‘जनसंहार को रोकिए’
अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में दक्षिण अफ़्रीका का प्रतिनिधित्व, नैदरलैंड्स में देश के राजदूत वूसीमूज़ी मेडोनसेला ने किया.
उन्होंने कहा कि फ़लस्तीनी लोगों का सर्वनाश जारी है, अब तक 35 हज़ार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और ग़ाज़ा का अधिकाँश हिस्सा मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका है.
राजदूत मेडोनसेला ने कहा कि इस कोर्ट के बाध्यकारी आदेशों और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का इसराइल द्वारा हनन किया जा रहा है.
इस क्रम में, उन्होंने जनवरी महीने में अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा जारी अनन्तिम आदेश का उल्लेख किया, जिसमें ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने की बात कही गई थी.
दक्षिण अफ़्रीका का पक्ष रखने वाले एक अन्य वकील मैक्स डू प्लेसिस ने कहा कि इसराइल ने ग़ाज़ा में जिन इलाक़ों को सुरक्षित घोषित किया है, वे उससे कोसों दूर हैं. “सैन्य हमलों और मानव-जनित भुखमरी के ज़रिये इसराइल द्वारा फ़लस्तीनियों का जनसंहार जारी है.”
कोर्ट के मौजूदा अनन्तिम आदेश
दक्षिण अफ़्रीका द्वारा पिछले वर्ष 29 दिसम्बर को जनसंहार सन्धि के उल्लंघन मामले में आवेदन किए जाने के बाद जनवरी में अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई थी, जिसके बाद अनेक अनन्तिम उपायों के आदेश जारी किए गए थे.
ICJ ने 26 जनवरी को अपने आदेश में कहा था कि फ़लस्तीनी लोगों को जनसंहार के कृत्यों से सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है और न्यायालय ने इसराइल से इस तरह कृत्यों को रोकने के लिए, “उसकी शक्ति के अन्तर्गत सभी उपाय करने का आहवान किया था”.
न्यायालय ने साथ ही युद्ध से तबाह ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता की आपूर्ति की अनुमति भी देने का आदेश दिया है, जिसकी अत्यधिक ज़रूरत है. इसके बाद, मार्च महीने में भी दक्षिण अफ़्रीका के अनुरोध पर अदालत की ओर से अतिरिक्त अनन्तिम उपायों का आदेश जारी किया गया था.
ICJ द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि ग़ाज़ा में फ़लस्तीनियों के लिए परिस्थितियाँ बद से बदतर होती जा रही हैं और अकाल व भुखमरी की दस्तक सुनाई दे रही है.
इस पृष्ठभूमि में, इसराइल को हर आवश्यक व कारगर क़दम उठाने होंगे, ताकि बिना किसी देरी के, संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से, पूरे ग़ाज़ा में सभी फ़लस्तीनियों को तत्काल, बेरोकटोक बुनियादी सेवाएँ व मानवीय सहायता पहुँचाई जा सके.