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ग़ाज़ा में युद्ध की तबाही के बीच, मानवीय संकट और गहराया

ग़ाज़ा में युद्ध की तबाही के बीच, मानवीय संकट और गहराया

मार्टिन ग्रिफ़ित्स ने, क़तर के दोहा में सोमवार को वैश्विक मानवीय समीक्षा जारी किए जाने के अवसर पर कहा कि स्थिति “बदतर होती जा रही है”, जबकि “शान्ति के क्षणों” को सुरक्षित करने के प्रयास “सबसे बड़ा महत्व” बने हुए हैं.

संयुक्त राष्ट्र राहत समन्वय कार्यालय (OCHA) की, ग़ाज़ा त्रासदी के बारे में अद्यतन जानकारी के अनुसार, हाल ही में दक्षिणी इलाक़े में रफ़ाह पहुँचे हज़ारों लोगों को, सहायता वितरण केन्द्रों के आसपास, “भोजन, पानी, आश्रय, स्वास्थ्य और सुरक्षा की सख़्त ज़रूरत है” जो घंटों तक इन्तेजार करना पड़ रहा है.

हिंसा पर OCHA की नवीनतम जानकारी में यह भी संकेत दिया गया है कि पर्याप्त स्वच्छता की कमी के कारण, लोगों को खुले स्थानों में शौच करना पड़ रहा है जिससे बीमारी फैलने का डर बढ़ रहा है.

ग़ौरतलब है कि 7 अक्टूबर को हमास के चरमपंथियों द्वारा इसराइल के दक्षिणी इलाक़े में किए गए एक आतंकी हमले में 1,200 लोग मारे गए थे और लगभग 240 लोगों को बन्धक बना लिया. इसराइल ने हमास के उस हमले के प्रतिशोध स्वरूप ग़ाज़ा में व्यापक आक्रमण किया है जिस दौरान भीषण बमबारी भी हुई है.

ग़ाज़ा स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, लड़ाई शुरू होने के बाद से ग़ाज़ा में लगभग 18 हज़ार लोग मारे गए हैं; जिनमें लगभग 70 प्रतिशत महिलाएँ और बच्चे हैं; और 49 हज़ार लोग घायल भी हुए बताए गए हैं.

‘रचनात्मक कूटनीति’ की ज़रूरत

ग़ाज़ा में भीषण युद्ध से तबाह अस्पतालों में, कई हज़ार बच्चे भी मारे गए हैं.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने युद्धग्रस्त ग़ाज़ा में “शान्ति के क्षण लाने” के प्रयासों के तहत, क़तर को उसकी “रचनात्मक कूटनीति” के लिए धन्यवाद दिया. 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हम ग़ाज़ा के दक्षिण में सैन्य अभियान की तीव्रता और पड़ोसी देशों के लिए ख़तरों के बारे में जो कुछ सुन रहे हैं, उसके मद्देनज़र, वो प्रयास और भी महत्वपूर्ण” बन जाते हैं.

इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी समन्वयक लिन हेस्टिंग्स के रविवार को जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि हमास के हमलों के कारण भड़के मौजूदा मानवीय संकट का कोई अन्त नज़र नहीं आ रहा है. 

वक्तव्य में कहा गया है कि 7 अक्टूबर को हमास और अन्य फ़िलस्तीनी सशस्त्र समूहों द्वारा हत्याओं, यौन हिंसा और अपहरण ने पूरे देश को आघात पहुँचाया. 

इसराइल द्वारा जवाबी कार्रवाई से ग़ाज़ा में गहरा मानवीय संकट पैदा हो गया है, जहाँ लगभग 19 लाख लोग यानि वहाँ की अधिकांश आबादी विस्थापित हो गई है, युद्ध के कारण सहायता अभियान गम्भीर रूप से बाधित हो गए हैं, और केवल न्यूनतम ईंधन और राहत सामग्री ही ग़ाज़ा के भीतर पहुँच पा रही है.

बन्दियों को ‘नग्न करके पीटा’

OCHA ने बताया है कि सप्ताहान्त के दौरान, ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में, इसराइली बलों ने “सार्वजनिक स्थानों, आन्तरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों के लिए आश्रय के रूप में काम करने वाले स्कूलों के साथ-साथ, निजी घरों में रहने वाले सैकड़ों पुरुषों और लड़कों को, कथित रूप में हिरासत में लिया”.

OCHA ने कहा, “ऐसी ख़बरें हैं कि कड़े सर्द मौसम में, बन्दियों के पूरे कपड़े उतरवाकर, उन्हें केवल अंडरवियर मे रखा गया, उन्हें हथकड़ियाँ लगाई गईं और खुले इलाक़ों में घुटनों के बल बैठने का आदेश दिया गया, उन्हें पीटा गया, उत्पीड़न किया गया, और बुनियादी ज़रूरतों से वंचित रखा गया”. उनकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित की गई हैं.

OCHA ने कहा कि इसराइली सेना के अनुसार, हमास से जुड़े होने के सन्देह वाले लोगों को पूछताछ के लिए इसराइल भेजा गया है,जबकि अन्य को रिहा कर दिया गया.

सहायता अभियान कमज़ोर हुए

ग़ाज़ा का अधिकतर इलाक़ा, महीनों की भीषण बमबारी में बुरी तरह तबाह हो गया है.

© UNRWA/Mohammed Hinnawi

OCHA ने दोहराया कि आने वाली सहायता प्राप्त करने की संयुक्त राष्ट्र की क्षमता “पिछले कुछ दिनों में काफ़ी कम हो गई है”, ग़ाज़ा के भीतर ट्रकों की कमी, दूरसंचार ठप होने और लड़ाई के कारण सहायता कर्मियों को रफ़ाह सीमा चौकी तक पहुँचने से रोका जा रहा है. इस चौकी के ज़रिए ही, मिस्र से बड़ी तादाद में राहत सामग्री ग़ाज़ा में दाख़िल हो रही है.

OCHA ने कहा कि सप्ताहान्त में प्रतिदिन औसतन डेढ़ लाख लीटर ईंधन मिस्र से आया. यह 67 हज़ार लीटर के पिछले दैनिक औसत से अधिक है, लेकिन यह फिर भी अस्पतालों और ऐम्बुलेंस, पानी और स्वच्छता के साथ-साथ विस्थापितों के लिए आश्रयों सहित “महत्वपूर्ण सेवाओं के बिखराव को रोकने के लिए आवश्यक न्यूनतम” मात्रा ही है.

OCHA ने कहा कि रविवार को मिस्र से लगभग 45 टन रसोई गैस भी पहुँचाई गई, जो 1 दिसम्बर को, सात दिवसीय मानवीय युद्ध-ठहराव समाप्त होने के बाद “युद्ध फिर से शुरू होने के बाद पहली ऐसी आपूर्ति” थी.

इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष सहायता अधिकारी लिन हेस्टिंग्स ने रविवार को कहा कि “एक क़ाबिज़ शक्ति होने के नाते, यह सुनिश्चित करना इसराइल का दायित्व है कि उसके क़ब्ज़े में रहना वाली आबादी को पर्याप्त स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों के साथ-साथ, भोजन और चिकित्सा देखभाल उपलब्ध हों.” 

स्वास्थ्य सेवा पर हमला जारी है

OCHA के अनुसार, सप्ताहान्त में ग़ाज़ा पट्टी में कई स्वास्थ्य सुविधाओं और कर्मियों पर हमले किए गए.

OCHA ने ग़ाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के हवाले से कहा कि 7 अक्टूबर के बाद से कम से कम 286 स्वास्थ्य कर्मचारी मारे गए हैं और 57 एम्बुलेंस प्रभावित और क्षतिग्रस्त हुई हैं.

WHO के कार्यकारी बोर्ड ने, रविवार को एक विशेष सत्र में, ग़ाज़ा तक सहायता पहुँच और अन्तरराष्ट्रीय मानवीय कानून के सम्मान पर एक प्रस्ताव पारित किया, जिसे एजेंसी के प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस ऐडेहेनॉम घेबरेयेसस ने “शुरुआती बिन्दु” और “निर्माण के लिए मंच” कहते हुए सराहा. 

उन्होंने दोहराते हुए कहा कि “शान्ति के बिना, कोई स्वास्थ्य नहीं है”.

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