उन्होंने एक सोशल मीडिया सन्देश में कहा है कि संयुक्त राष्ट्र युद्धविराम पर अमल का समर्थन करने और अनगिनत फ़लस्तीनियों को निरन्तर मानवीय राहत पहुँचाने के लिए तैयार है, जो युद्ध से निरन्तर पीड़ित रही हैं.
एंतोनियो गुटेरेश ने सोशल मीडिया सन्देश में, युद्धविराम के दौरान, मानवीय सहायता की आपूर्ति में आने वाली महत्वपूर्ण सुरक्षा और राजनैतिक बाधाओं को दूर किए जाने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव और इसकी सभी एजेंसियों ने, युद्ध के पहले दिन से ही, ग़ाज़ा में तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने, सभी बन्धकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई और ग़ाज़ा को मानवीय सहायता की मुक्ति आपूर्ति किए जाने का बार-बार आहवान किया है.
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की सहायता एजेंसी – UNRWA के नेतृत्व में, यूएन एजेंसियों ने, भारी चुनौतियों के बावजूद, युद्ध के महीनों के दौरान जीवन रक्षक सहायता प्रदान करना जारी रखा.
इस संयुक्त राष्ट्र की खाद्य सहायता एजेंसी WFP ने बताया है कि युद्धविराम लागू होने के तुरन्त बाद ही, सहायता सामग्री से भरे ट्रक मिस्र की तरफ़ से ग़ाज़ा में दाख़िल होने लगे हैं.
संयुक्त राष्ट्र की महिला एजेंसी – UN Women ने भी ग़ाज़ा में युद्धविराम लागू होने बन्धकों की रिहाई का स्वागत किया है.
ग़ाज़ा के लोगों वापिस लौटने की भारी उत्सुकता
15 महीने के भीषण युद्ध से भयावह तबाही का सामना कर रहे ग़ाज़ा के लोगों में, युद्धविराम लागू होने पर अपने घरों को वापिस लौटने की भारी उत्सुकता देखने को मिली है.
विस्थापित शदी जोमा अबू शेहा, मध्य ग़ाज़ा के उत्तरी नुसीरात में, यह देखने के लिए लौटे कि उनका घर किस हालत में बचा है, लेकिन “वो अब घर नहीं रहा, एक खंडहर बन गया है.”
शदी उन अन्य विस्थापित लोगों में से एक हैं, जो अक्टूबर 2023 में शुरू हुए युद्ध के, 470 से अधिक दिनों बाद रविवार को युद्धविराम समझौता प्रभावी होने के बाद, धीरे-धीरे अपने घरों की हालत देखने के लिए वापिस लौट रहे हैं.
ग़ाज़ा में संयुक्त राष्ट्र समाचार संवाददाता, शदी के साथ उस समय मौजूद थे जब वो अपने घर के बचे हुए हिस्से में लौटे, जिसका हर हिस्सा उन्होंने युद्ध से पहले ख़ुद बनाया था. उन्होंने अपने घर के कमरों में हुई भारी तबाही के दायरे का आकलन किया, जिनमें से कुछ कमरे तो मलबे में तब्दील हो गए थे और उनके ऊपर छत भी नहीं बची थी.
मगर इसके बावजूद, शदी ने युद्धविराम की बदौलत, ख़ून-ख़राबा बन्द होने पर ख़ुशी ज़ाहिर की.”
उन्होंने कहा, “यह एक ऐहसास जिसे बयान नहीं किया जा सकता है. ईश्वर का शुक्र है कि हम इस युद्ध से सुरक्षित बच गए. लेकिन मैं ये बयान नहीं कर सकता कि जब हम अपने घरों में लौटे तो हमने किस हद का विनाश देखा. मेरी कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है कि क्या कहूँ.”
सहायता ट्रकों की आमद
उधर विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने कहा है कि एजेंसी के सहायता ट्रकों ने, रविवार को मिस्र से कैरेम शेलॉम सीमा चौकी के ज़रिए, ग़ाज़ा में प्रवेश करना शुरू कर दिया.
एजेंसी ने बताया है कि उसके पास, दस लाख से अधिक लोगों तक सहायता पहुँचाने के लिए, प्रति माह लगभग 30 हज़ार टन भोजन सामग्री की व्यवस्था है.
एजेंसी ने ज़ोर देकर कहा है कि सभी सीमा चौकियाँ खुली रहनी चाहिए और कुशलतापूर्वक और विश्वसनीय रूप से संचालित होनी चाहिए.
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