ग़ाज़ा में लगभग 10 महीनों की इसराइली भीषण बमबारी ने, स्वास्थ्य ढाँचे के पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है जिसमें बच्चों और युवाओं को पोलियो जैसी रोकथाम योग्य बीमारियों से बचाने वाली वैक्सीन की नियमित ख़ुराकों और टीकाकरण से वंचित कर दिया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पुष्टि की है कि ग़ाज़ा में जून में गन्दगी निकासी के स्थानों से लिए गए कुछ नमूनों में, पोलियो संक्रमण की पहचान की गई थी.
सुरक्षित सुविधा की पुकार
WHO के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमीयर ने, जिनीवा में मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि तुरन्त युद्धविराम लागू किया जाना, इस स्थिति का सामना करने के लिए सबसे बेहतर समाधान होगा. उन्होंने साथ ही, ग़ाज़ा में कम से कम तमाम सड़कों व रास्तों को बाधा रहित रखने की भी पुकार लगाई है ताकि ज़रूरी चिकित्सा व अन्य राहत सामान की आपूर्ति, बिना किसी रुकावट के की जा सके.
उनका कहना था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वैक्सीन ट्रकों में भरी रह कर ही ग़ाज़ा की सीमा में दाख़िल होने का इन्तेज़ार करती रहेगी, जैसाकि रफ़ाह सीमा चौकी के दूसरी तरफ़ बहुत से ट्रक ग़ाज़ा में दाख़िल होने की प्रतीक्षा में हैं.
ग़ौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने, लगभग एक सप्ताह पहले घोषणा की थी कि वो ग़ाज़ा में पोलियो वैक्सीन की लगभग दस लाख ख़ुराकें तुरन्त भेज रहा है.
स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, अलबत्ता, पोलियो से किसी के अपंग होने का अभी कोई मामला सामने नहीं आया है.
यूएन बाल कोष – UNICEF के प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर का कहना है कि अगर बच्चे को पोलियो से बचाने वाली वैक्सीन की पूर्ण ख़ुराकें पिला दी जाएँ, तो उसके अपंग होने का जोखिम नहीं के बराबर है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि ग़ाज़ा में युद्ध शुरू होने से पहले बच्चों को पोलियो से बचाने वाली वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाने की दर काफ़ी उच्च थी, मगर युद्ध शुरू होने के बाद यह सिलसिला टूट गया है.
प्रमुख शहरों में बेदख़ली आदेश
संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत समन्वय कार्यालय – OCHA ने नवीनतम जानकारी में सोमवार शाम को बताया कि ग़ाज़ा में इसराइल के बेदख़ली आदेशों से दो लाख से अधिक आबादी प्रभावित है जोकि वहाँ की कुल आबादी का लगभग 9 प्रतिशत हिस्सा है.
इसराइली अधिकारियों ने शनिवार और रविवार को जो बेदख़ली आदेश जारी किए थे, उनसे रफ़ाह, ख़ान यूनिस और दियर अल-बलाह के इलाक़े प्रभावित हुए जहाँ कुल मिलाकर लगभग 56 हज़ार लोग आश्रय लिए हुए हैं.
एजेंसी ने आगाह करते हुए कहा है कि ये बेदख़ली आदेश ऐसे समय में जारी किए गए हैं जब पानी, स्वच्छता व साफ़-सफ़ाई के हालात, पूरे ग़ाज़ा में तितर-बितर हो गए हैं, और संक्रामक बीमारियाँ उछाल पर हैं.