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ग़ाज़ा में गन्दगी और स्वच्छ जल की क़िल्लत के संकट से मुसीबतें और गहराईं

ग़ाज़ा में गन्दगी और स्वच्छ जल की क़िल्लत के संकट से मुसीबतें और गहराईं

यूनीसेफ़ ने भी ग़ाज़ा के मध्यवर्ती इलाक़े दियर अल-बलाह से बताया है कि वहाँ गन्दे नालों का पानी हर तरफ़ सड़कों पर ह रहा है. इस पानी भराव से सड़क पर बड़े-बड़े तालाब बन गए हैं और पास में ही विस्थापित लोगों के आश्रय स्थल है.

यूनीसेफ़ के प्रवक्ता सलीम उवीस ने बताया है कि 7 अक्टूबर के बाद से, ग़ाज़ा का पानी और स्वच्छता नैटवर्क और गन्दगी को साफ़ करने वाले संयंत्र, बड़े पैमाने पर तबाह हो चुके हैं.

हर रोज़ बीमारी का ख़तरा

यूनीसेफ़ के अनुसार, डायरिया और त्वचा की बीमारियाँ, ग़ाज़ा के लोगों हर दिन प्रभावित कर रही हैं, जिन्हें अपने घरों और आश्रय स्थलों से कई बार विस्थापित होना पड़ा है.

यूनीसेफ़ ने तुरन्त युद्धविराम लागू किए जाने का आग्रह भी किया है ताकि पोलियो से बचाने वाली वैक्सीन की ख़ुराकें पिलाई जी सकें.

यह सब घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब इसराइली सेना ने दक्षिणी इलाक़े – ख़ान यूनिस में लोगों अन्यत्र स्थानों को चले जाने के लिए रविवार को एक बार फिर बेदख़ली आदेश जारी किए हैं.

बेदख़ली आदेशों से मुसीबतें

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA ने ख़ान यूनिस इलाक़े में लोगों पर, बीते गुरूवार से कई बार जारी किए गए बेदख़ली आदेशों के प्रभाव को रेखांकित किया है और तब से लगभग 75 हज़ार लोगों के विस्थापित होने का अनुमान है.

UNRWA की वरिष्ठ संचार अधिकारी लुइस वॉटरिज ने यूएन न्यूज़ को बताया कि ग़ाज़ा में युद्ध को दस महीने गुज़र चुके हैं और वहाँ स्वच्छ जल, भोजन व चिकित्सा सहायता की भारी कमी है, दूसरी तरफ़ तापमान ख़तरनाक हद तक गरम है.

लुइस वॉटरिज ने कहा कि इन लोगों का सबकुछ सामान खो चुका है. उनके पास अब कोई सामान ही नज़र नहीं आ रहा है. बच्चे पानी भरे जाने वाले ख़ाली कैनिस्टर खींचते नज़र आए क्योंकि उनके लिए वो सबसे अधिक अहम चीज़ें हैं. ऐसी कोई भी चीज़ जिसमें पानी भरा जा सके, अब सबसे क़ीमती चीज़ नज़र आ रही है.

UNRWA अधिकारी ने बताया कि बहुत से परिवार अब भी केन्द्री ग़ाज़ा के दियर अल-बलाह के कुछ इलाक़ों और दूर दक्षिण में ख़ान यूनिस के पश्चिमी इलाक़े में पनाह लेना जारी रखे हुए हैं.

लुइस वॉटरिज ने कहा, “इन दोनों ही इलाक़ों में पहले ही भारी भीड़ हो चुकी है, उनके लिए आश्रय स्थलों और सेवाओं की भारी क़िल्लत है. इन इलाक़ों में नए विस्थापितों के लिए शायद की कोई जगह बची है.”

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