यह युद्धविराम समझौता रविवार, 19 जनवरी को लागू हो गया. यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) ने जीवनरक्षक मानवीय सहायता में वृद्धि का स्वागत किया है, जहाँ पिछले 15 महीनों से इसराइली सैन्य कार्रवाई की वजह से बदतरीन हालात हैं.
OCHA प्रवक्ता येन्स लार्क के अनुसार रविवार को समझौते पर अमल होने के कुछ ही मिनटों के भीतर, सहायता ट्रकों ने ग़ाज़ा में प्रवेश करना शुरू कर दिया था. पिछले दो दिनों में, सहायता ट्रकों की लूटपाट या राहतकर्मियों पर हमले जैसी कोई ख़बर सामने नहीं आई है.
बताया गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, क़तर और मिस्र की मध्यस्थता से इसराइल और हमास के बीच हुए समझौते के बाद सोमवार को ग़ाज़ा पट्टी में 900 से अधिक सहायता ट्रकों ने प्रवेश किया.
7 अक्टूबर 2023 को हमास व अन्य हथियारबन्द गुटों ने इसराइल पर हमले किए, जिसके बाद इसराइली सैन्य बलों ने ग़ाज़ा पट्टी में जवाबी कार्रवाई की. इस दौरान, ग़ाज़ा में राहत ट्रकों की आमद घटकर प्रतिदिन 50 ट्रक रह गई थी.
येन्स लार्क के अनुसार, “अन्तत: बढ़े हुए स्तर पर सहायता प्रवेश कर रही है. अन्तत:, और बन्धकों को रिहा किया गया है और वे अपने परिवारों से फिर मिल सकते हैं. अन्तत: महिलाओं व नाबालिगों को हिरासत से मुक्ति मिली है. यह एक विशाल उम्मीद है, नाज़ुक मगर अहम; यह समझौता बना रहना चाहिए.”
शारीरिक व मानसिक घाव
OCHA प्रवक्ता ने जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि ग़ाज़ावासियों के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता, उन तक भोजन पहुँचाना, अस्पतालों में ज़रूरी सामान की फिर व्यवस्था करना, जल आपूर्ति नैटवर्क की मरम्मत करना, आश्रय व्यवस्था को ठीक करना और परिवारों को फिर से मिलाना है.
“इनमें से कई चीज़ों को हमने निरन्तर पूरा किया है, मगर जिस स्तर पर उसकी आवश्यकता थी, वैसा नहीं हो पाया. और यही हमारी आशा है कि अब हम ऐसा करने में समर्थ होंगे.”
यूएन मानवतावादियों के अनुसार, ग़ाज़ा की पूर्ण आबादी, 20 लाख से अधिक लोग, बुनियादी आवश्यकताओं के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर हैं. इनमें बच्चे भी हैं जोकि ग़ाज़ा की क़रीब 50 फ़ीसदी आबादी है और उनमें से अनेक दिन में केवल एक आहार पर गुज़ारा कर रहे हैं.
येन्स लार्क ने कहा कि व्यापक स्तर पर भूख फैली हुई है, लोग बेघर हैं, बीमारियाँ फैल रही हैं. बच्चे अपने परिवारों से अलग हो गए गए हैं और वे एक गहरे मानसिक सदमे में हैं, जिससे निपटे जाने की ज़रूरत है.
स्वास्थ्य आपात स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया है कि ग़ाज़ा में हर दो में से एक अस्पताल में कामकाज ठप है, अन्य में आंशिक रूप से ही स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हैं और अधिकाँश स्वास्थ्य केन्द्रों को क्षति पहुँची है.
यूएन एजेंसी प्रवक्ता तारेक यासरेविच ने कहा कि फ़िलहाल प्राथमिकता, ग़ाज़ा के लोगों को जल्द से जल्द स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है और इस प्रक्रिया में आपात देखभाल, मातृत्व व बाल स्वास्थ्य और अन्य ज़रूरतों का ख़याल रखा जाएगा.
उन्होंने कहा कि यह नहीं भूलना होगा कि 12 हज़ार मरीज़ों को बेहतर इलाज के लिए ग़ाज़ा से बाहर भेजे जाने की ज़रूरत है और उन्हें आवश्यक देखभाल प्रदान करने की व्यवस्था की जानी होगी.