यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) ने ज़ोर देकर कहा कि नागरिक प्रतिष्ठानों पर निरन्तर हमले हो रहे हैं, विशेष रूप से उत्तरी ग़ाज़ा में, जहाँ कमाल अदवान अस्पताल में बदहाल परिस्थितियाँ बताई गई हैं.
6 अक्टूबर 2024 के बाद से अब तक ग़ाज़ा पट्टी में स्कूली इमारतों पर हुए 95 में से 61 हमले यहीं हुए हैं.
बाढ़ के कारण ग़ाज़ा में अस्थाई आश्रय स्थलों को नुक़सान पहुँचा है, मगर यूएन मानवतावादी दलों ने दो लाख 85 हज़ार लोगों को सहायता मुहैया कराई है, जिसके तहत सितम्बर से नवम्बर महीनों के दौरान इन शिविरों की मरम्मत की गई है.
OCHA ने बताया कि 9.5 लाख लोगों को सर्दी व बारिश से बचाव के लिए तुरन्त मदद की आवश्यकता है. ग़ाज़ा के लिए 58 हज़ार सीलिंग किट और 36 हज़ार तिरपाल रवाना किए जाने के लिए तैयार हैं, जिन्हें 4 लाख लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने के इरादे से ख़रीदा गया है.
मगर, ग़ाज़ा में मानवीय सहायता सामग्री की आपूर्ति बेहद धीमी रफ़्तार से आगे बढ़ रही है, और इस वजह से इसे वहाँ पहुँचाने में लम्बा समय लग सकता है.
असुरक्षित हालात
ग़ाज़ा पट्टी में प्रवेश करने के बाद मानवीय सहायता क़ाफ़िलों को अत्यधिक असुरक्षा से जूझना पड़ रहा है और उन पर लदी खाद्य व अन्य राहत सामग्री की लूटपाट की जा रही है.
मानवीय सहायता एजेंसियों ने ज़ोर देकर कहा है कि इन हमलों को रोका जाना होगा. पिछले मंगलवार को इसराइली प्रशासन के साथ हुए समझौते में एक यूएन क़ाफ़िले को दक्षिणी ग़ाज़ा व मिस्र को अलग करने वाले रास्ते का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी.
इसके ज़रिये खाद्य क़िल्लत का सामना कर रहे दो लाख लोगों के लिए खाद्य सहायता पहुँचाई गई है.
यूएन एजेंसी के अनुसार, 1 से 16 दिसम्बर के दौरान, ग़ाज़ा पट्टी के लिए 339 राहत अभियान भेजे जाने की योजना बनाई गई थी, जिनमें से 102 को अनुमति मिली, 141 को ख़ारिज कर दिया गया और 62 के रास्ते में अवरोध खड़े हुए हैं.
वहीं, सुरक्षा व अभियान संचालन चुनौतियों की वजह से 34 राहत अभियानों को स्थगित करना पड़ा है.
बीमारियों में उछाल
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने सचेत किया है कि तापमान गिरने के साथ ही, साँस से जुड़ी बीमारियों, संक्रमण मामलों, दस्त और अन्य बीमारियों में उछाल दर्ज किया गया है.
वर्ष 2024 में 13 लाख श्वसन तंत्र संक्रमण मामलों और दस्त के साढ़े पाँच लाख से अधिक मामलों को दर्ज किया जा चुका है. आगामी दिनों में ये हालात और ख़राब होने की आशंका है.
यूएन मानवीय सहायता एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि अनेक विस्थापित फ़लस्तीनियों ने ख़ान युनिस, बानी सुहैला समेत अन्य इलाक़ों में ध्वस्त घरों के मलबे पर अपने रहने का इन्तज़ाम किया है.
ये ढाँचे बहुत नाज़ुक हैं और बारिश की वजह से उनके दरकने का ख़तरा है.
बढ़ता मृतक आँकड़ा
ग़ाज़ा में स्थानीय प्रशासन के अनुसार, पिछले सप्ताह, इसराइली सैन्य बलों की कार्रवाई में 273 फ़लस्तीनियों की जान गई थी और 853 घायल हुए थे.
7 अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इसराइल पर हमास व अन्य चरमपंथी गुटों के हमलों के बाद शुरू हुई इसराइली सैन्य बलों की कार्रवाई में अब तक 45 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनियों की जान जा चुकी है और एक लाख से अधिक घायल हुए हैं.
OCHA ने इसराइली सैन्य बलों से प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया है कि 7 अक्टूबर 2023 से 17 दिसम्बर 2024 तक, 1,586 इसराइली व विदेशी नागरिक मारे जा चुके हैं, जिनमें से अधिकाँश की 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमलों और उसके तुरन्त बाद मौत हुई थी.
इनमें इसराइल के 386 सैनिक भी हैं, जो ग़ाज़ा या इसराइल में सीमावर्ती इलाक़ों में मारे गए हैं. ग़ाज़ा में सैन्य अभियान शुरू होने के बाद से अब तक क़रीब ढाई हज़ार सैनिक घायल हुए हैं.
एक अनुमान के अनुसार, ग़ाज़ा में अब भी 100 इसराइली व विदेशी नागरिकों को बन्धक बना करके रखा गया है. इनमें से कुछ की मौत होने की आशंका है, मगर उनके शवों को सुपुर्द नहीं किया गया है.