संयुक्त राष्ट्र बाल कोष और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि मौजूदा सुरक्षा हालात बेहद चुनौतीपूर्ण हैं और स्थानीय आबादी निरन्तर विस्थापित हो रही है.
इसके मद्देनज़र, सूक्ष्म स्तर पर ज़मीनी तैयारी की गई है ताकि विस्थापन और आबादी के हटने के बावजूद वैक्सीन अभियान को संचालित किया जा सके. इससे पहले, सितम्बर महीने में पहले चरण के अन्तर्गत बच्चों को टीके की पहली ख़ुराक दी गई थी.
दूसरे चरण के लिए 200 से अधिक टीमें 23 अक्टूबर से ही तैयार थी, मगर इसराइली बमबारी व हवाई हमलों, ज़मीनी झड़पों और मानवीय आधार पर लड़ाई में ठहराव का आश्वासन ना मिलने के कारण इसमें देरी हुई है.
ग़ाज़ा में पोलियो का 25 वर्ष पहले उन्मूलन हो गया था, मगर ग़ाज़ा युद्ध के दौरान अनेक स्वास्थ्य संकट उभरे हैं और एक 10 महीने के बच्चे में इस वर्ष पोलियो वायरस पाया गया था. इसके बाद, इसराइली क़ब्ज़े वाले ग़ाज़ा में तेज़ी से वैक्सीन अभियान को संचालित किया गया.
पाबन्दियाँ बरक़रार
यूएन एजेंसियों ने आगाह किया है कि स्वास्थ्यकर्मी के लिए हर एक बच्चे को वैक्सीन की अन्तिम ख़ुराक दे पाना सम्भव नहीं होगा.
अन्तिम चरण में 10 वर्ष से कम आयु के एक लाख 19 हज़ार बच्चों को टीके लगाने की योजना है, मगर कुछ इलाक़ों में हिंसा प्रभावित आबादी तक पहुँचना बेहद मुश्किल है और आवाजाही पर पाबन्दी है.
उत्तरी ग़ाज़ा में हर एक बच्चे को सुरक्षा कवच में लाना सम्भव ना होने के बावजूद, इस मुहिम को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है.
इसका उद्देश्य ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों तक वैक्सीन की ख़ुराक पहुँचाना और देरी ना होने देना है. साथ ही, उत्तरी ग़ाज़ा से ग़ाज़ा सिटी व अन्य इलाक़ों में पहुँचने वाली आबादी को इसके दायरे में लाया जाएगा.
पोलियो वायरस के फैलाव को टालने के लिए, किसी समुदाय में कम से कम 90 फ़ीसदी बच्चों को वैक्सीन की ख़ुराक दी जानी ज़रूरी है, मगर मौजूदा हालात में इस लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल नज़र आ रहा है.
मानवीय आधार पर ठहराव
बताया गया है कि मानवीय आधार पर लड़ाई में ठहराव की अवधि को दो घंटे के लिए बढ़ाया गया है और अब यह सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक चलेगा. इस दौरान दो से 10 साल के बच्चों को विटामिन ए भी दिए जाने की योजना है ताकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सके.
इससे पहले, मध्य और दक्षिणी ग़ाज़ा में टीकाकरण के दोनों चरणों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया, जिसमें साढ़े चार लाख से अधिक बच्चों को टीके लगाए गए. ये इन इलाक़ों में कुल लक्ष्य का 96 फ़ीसदी है.
पहली और दूसरी ख़ुराक के बीच छह सप्ताह से अधिक समय होने से उसके ख़ुराक का असर कम हो जाता है और प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है.