रफ़ाह में शरण लेने वाले फ़लस्तीनी जन, भय और आशंका के साए में जी रहे हैं. घनी आबादी वाले इस इलाक़े में टकराव बढ़ता जा रहा है, जहाँ 15 लाख से अधिक लोगों ने शरण ली हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि ग़ाज़ा में कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है और लोग अकल्पनीय परिस्थितियों में रह रहे हैं. विस्थापन और घायलों की एक नई लहर से, लोगों के स्वास्थ्य और मानसिक कल्याण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा. इससे पहले से ही बोझ तले दबी स्वास्थ्य प्रणाली पर आघात बढ़ेगा – जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था के टूटने के कगार पर पहुँचने के आसार बढ़ जाएँगे. एक वीडियो.
ग़ाज़ा के विस्थापितों का दर्द, भय और आशंका के साए में ज़िन्दगी
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