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ग़ाज़ा: ईंधन की क़िल्लत के कारण, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं पर दरकने का जोखिम

ग़ाज़ा: ईंधन की क़िल्लत के कारण, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं पर दरकने का जोखिम

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एहडेनॉम घेबरेयेसस ने अपने एक सन्देश में चेतावनी जारी की है कि ईंधन की क़िल्लत जारी रहने की स्थिति में स्वास्थ्य सेवाओं में और व्यवधान आने की आशंका है.

बताया गया है कि ग़ाज़ा में बुधवार को केवल 90 हज़ार लीटर ईंधन ही पहुँच पाया है, जबकि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ही प्रतिदिन 80 हज़ार लीटर की आवश्यकता है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र और साझेदार संगठनों को असम्भव विकल्प चुनने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. सीमित मात्रा में उपलब्ध ईंधन आपूर्ति को मुख्य अस्पतालों को भेजा जा रहा है ताकि वहाँ सेवाओं को पूर्ण रूप से ध्वस्त होने से रोका जा सके.

ईंधन की कमी का असर जल शोधन व साफ़-सफ़ाई सम्बन्धी बुनियादी ढाँचे पर भी हुआ है, और पूरे ग़ाज़ा में रहन-सहन की परिस्थितियाँ बेहद कठिन हैं.

साझेदार संगठनों के अनुसार, 22 से 28 जून के दौरान, जल व अपशिष्ट जल की निस्तारण सुविधा हेतु 52 हज़ार लीटर से भी कम मात्रा में ईंधन मिल पाया. यह मात्रा इससे पिछले सप्ताह प्राप्त होने वाले जल से अधिक है, मगर यह दैनिक आवश्यकताओं का केवल 10 प्रतिशत ही है.

इसके परिणामस्वरूप, ग़ाज़ा पट्टी में जिन जल कुँओं के ज़रिये अब भी आपूर्ति हो रही थी, उनमें से 50 फ़ीसदी अब ठप हो गए हैं, जबकि 100 से अधिक जल ट्रकों में कामकाज रोकना पड़ा रहा है.

केन्द्रीय और दक्षिणी ग़ाज़ा में दो जलशोधन संयंत्रों में भी ईंधन की कमी के कारण कामकाज रोकना पड़ा.

7 अक्टूबर को, इसराइल के दक्षिणी इलाक़े में हमास के नेतृत्व में हुए एक आतंकवादी हमले में, लगभग 1,250 लोग मारे गए थे और 250 से अधिक लोगों को बन्दी बना लिया गया था. इसके बाद, इसराइली सैन्य बलों की जवाबी कार्रवाई में अभी तक लगभग 38 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं और 87 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं.

जीवनरक्षक सहायता में अवरोध

ग़ाज़ा में हिंसक टकराव जारी रहने की वजह से लाखों फ़लस्तीनियों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने के काम में विशाल बाधाएँ पेश आ रही हैं.

सोमवार से लेकर गुरूवार तक, उत्तरी ग़ाज़ा के लिए 13 यूएन मानवतावादी मिशन ले जाने की योजना थी, मगर फ़िलहाल एक ही सम्भव हो पाया है. इसराइली प्रशासन ने अन्य मिशन को या तो ख़ारिज कर दिया है, या उनके रास्ते में अवरोध है या फिर उन्हें सुरक्षा व अन्य कारणों से स्थगित किया गया है.

दक्षिणी ग़ाज़ा में, केरेम शेलॉम सीमा चौकी के ज़रिये आवाजाही अब भी सुरक्षा जोखिमों की वजह से बाधित है. कुछ ही दिन पहले इसराइली सैन्य बलों ने पूर्वी ख़ान युनिस के इलाक़ों में शरण लेने वाले लोगों को जगह ख़ाली करने का आदेश दिया था.

इसी इलाक़े में सलाह अद दीन सड़क स्थित है, जोकि मानवीय सहायता आपूर्ति और सहायताकर्मियों की आवाजाही के नज़रिये से एक अहम मार्ग है.

मानवीय सहायता मामलों के लिए यूएन एजेंसी (OCHA) ने बताया है कि दक्षिणी ग़ाज़ा में क़रीब ढाई लाख लोग, पूर्वी ख़ान युनिस और रफ़ाह के हिस्सों में रह रहे हैं. इन्हीं इलाक़ों के लिए इसराइली सेना ने बेदख़ली आदेश जारी किया था.

आश्रय केन्द्रों पर भारी भीड़

विस्थापित होने वाले लोगों ने पश्चिमी ख़ान युनिस और डेयर अल बालाह की ओर बढ़ना शुरू किया है. इन इलाक़ों में पहले से ही भारी भीड़ है और बुनियादी सेवाओं, आश्रय सामान, व जगह की कमी है.

नौ हज़ार से अधिक घर-परिवारों ने ख़ान युनिस में एक स्थल पर शरण ली है, जबकि डेयर अल बालाह में एक हज़ार से अधिक परिवारों को आश्रय मिला है. इन परिवारों को स्वच्छ पेयजल की दरकार है और बच्चों समेत लोगों को हर दिन कई घंटे पानी की व्यवस्था करने में क़तार में गुज़ारने पड़ रहे हैं. 

यहाँ शरण लेने वाले बच्चे पिछले कई महीनों से स्कूल नहीं गए हैं. उनके लिए जगह की कमी है और ज़रूरी सामान उपलब्ध ना हो पाने की वजह से साझेदार संगठनों के लिए शिक्षा की व्यवस्था कर पाना कठिन है.

बच्चे अपना अधिकाँश समय बाहर गुज़ार रहे हैं, अक्सर अस्थाई रूप से कूड़ा-कचरा वाले इलाक़ों में. अभिभावकों के अनुसार, त्वचा और जल-जनित बीमारियों के मामले उछाल पर हैं. मगर, यहाँ स्वास्थ्य केन्द्र उपलब्ध नहीं है और सबसे नज़दीकी चिकित्सा सेवा कम से कम तीन किलोमीटर दूर है.

यूएन मानवतावादी एजेंसी के अनुसार, ख़ान युनिस का योरोपीय अस्पताल अब पूरी तरह ख़ाली है और यहाँ कामकाज ठप है. यहाँ कोई उपकरण नहीं बचा है और सभी मरीज़ों को भी अन्य स्थानों पर ले जाया जा चुका है.

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