फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के अनुसार, केरेम शलोम चौकी पर हालात में कोई बेहतरी नही हुई है, जोकि भोजन, ईंधन और दवाओं की आपूर्ति के लिए मुख्य द्वार है.
यूएन एजेंसी ने चिन्ता जताई है कि आम फ़लस्तीनियों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है और यहाँ तक पहुँच रही मदद, पिछले कुछ महीनों में अब तक के सबसे निचले स्तर पर है.
UNRWA ने बताया कि उत्तरी ग़ाज़ा में ज़रूरतमन्द आबादी उनसे निरन्तर सहायता पाने की पुकार लगा रही है, जहाँ लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है और सहायताकर्मियों को हताहतों तक पहुँचने से रोका जा रहा है.
UNRWA प्रवक्ता लुइस वॉटरिज ने कहा कि उत्तरी ग़ाज़ा में विस्थापित परिवार बेहद हताश हैं, चूँकि उन्हें भयावह परिस्थितियों से जूझना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि उनकी मौत व पीड़ा का सीधा प्रसारण किया जा रहा है.
यूएन एजेंसी प्रवक्ता के अनुसार हज़ारों आम नागरिकों पर गम्भीर ख़तरा है. इससे पहले, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रविवार को उत्तरी ग़ाज़ा में मौतों व विध्वंस पर गहरा क्षोभ प्रकट किया था, जहाँ इसराइली सेना ने नए सिरे से अपनी कार्रवाई शुरू की है.
एक अनुमान के अनुसार, ग़ाज़ा में अकाल का जोखिम बरक़रार है और 18 लाख से अधिक फ़लस्तीनी पिछले कुछ समय में अचानक खाद्य असुरक्षा का शिकार हो गए हैं, और कुपोषण का शिकार बच्चों की संख्या बढ़ रही है.
स्वास्थ्य सेवाओं में कटौती
UNRWA प्रवक्ता के अनुसार, ऐम्बुलेंस सेवाएँ ठप हैं और नागरिक सुरक्षा टीम ने भी काम करना बन्द कर दिया है. बीमार और घायल व्यक्तियों की जीवनरक्षक देखभाल सेवाओं तक पहुँच नहीं है, परिवारों के पास भोजन का अभाव है, उनके घर बर्बाद हो चुके हैं और रहने के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं है.
बताया गया है कि बिजली कटौती के कारण मरीज़ों की मौत हो रही है और चिकित्सकों को मरीज़ों को बचाने के लिए अपनी प्राथमिकताएँ तय करनी पड़ रही हैं, चूँकि सभी के उपचार के लिए उनके पास पर्याप्त सामग्री नहीं है.
उत्तरी ग़ाज़ा के जबालिया के एक शरणार्थी शिविर में लगातार सातवें दिन जल आपूर्ति ठप है. UNRWA टीम के लिए भी अपने जल कुँओं का इस्तेमाल कर पाना सम्भव नहीं है, चूँकि ईंधन की कमी है.
इन हालात में लोगों को असुरक्षित स्रोतों से जल पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. यूएन एजेंसियों के अनुसार क़रीब साढ़े चार लाख लोगों ने जिन आश्रय स्थलों में शरण ली है, उनमें 100 से अधिक पर बाढ़ का ख़तरा है.
इस बीच, यूएन खाद्य एवं कृषि संगठन ने जानकारी दी है कि ग़ाज़ा में अब तक 15 हज़ार गाय-बैल, कुल संख्या का 95 फ़ीसदी, की मौत हो चुकी है. क़रीब 25 हज़ार भेड़ें और तीन हज़ार बकरियाँ ही बची हैं.