बताया गया है कि ख़ान युनिस इलाक़े में स्थित एक स्कूल पर यह हमला रविवार देर रात हुआ जहाँ लोगों ने शरण ली हुई थी.
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) का कहना है कि अब तक 13 लोगों के मारे जाने और 48 अन्य के घायल होने का समाचार है. हमले से पहले किसी प्रकार की कोई चेतावनी नहीं दी गई थी.
यूएन एजेंसी में आपात मामलों की वरिष्ठ अधिकारी लुईस वॉटरिज ने यूएन न्यूज़ को बताया कि ग़ाज़ा पट्टी में यह एक बार फिर से जानलेवा रात थी. “हम हर दिन एक नई भयावहता के साथ अपने दिन की शुरुआत कर रहे हैं.”
“मैं आज सुबह नासेर अस्पताल में गई. मैंने 17 साल के एक बच्चे से बात की जिसका नाम मोना था. उनके पाँव में बहुत गम्भीर चोट लगी हुई थी, छर्रे घुसने के कारण उन्हें गम्भीर घाव हो गए थे.”
“वह अपनी बहन के साथ अस्पताल में थी…उनकी माँ की मलबे में दबने की वजह से मौत हो चुकी थी.”
एक अन्य पीड़ित दो वर्षीय जूलिया थी, जिनके सिर पर गहरी चोट लगी है और एक आँख की रोशनी जा चुकी है. जूलिया के पाँच वर्षीय भाई को भी सिर पर गम्भीर चोट लगी है.
आपात मामलों की अधिकारी लुईस वॉटरिज ने बताया कि ये परिवार मूलत: ग़ाज़ा पट्टी से ही हैं, मगर अब तक सात या आठ बार जबरन विस्थापन का शिकार हो चुके हैं.
“वे अन्तत: यहाँ [UNRWA] के स्कूल पहुंचे और पिछले सात महीने से यहाँ थे, और अब यह हो गया. ये सब कुछ बहुत नाउम्मीदी का एहसास कराता है.”
अकाल का जोखिम
इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की प्रमुख ने सचेत किया था कि ग़ाज़ा में अब तक 14 हज़ार 500 से अधिक बच्चों की जान जा चुकी है. हज़ारों अन्य के मलबे में दबे होने की आशंका है.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने सोशल मीडिया पर अपने सन्देश में क्षोभ व्यक्त किया कि उत्तरी ग़ाज़ा में अकाल के बादलों का मंडराना जारी है और बेहद सीमित मात्रा में ही वहाँ मानवीय सहायता की आपूर्ति हो पा रही है.
“ग़ाज़ा में क़रीब सभी 11 लाख बच्चों को तत्काल संरक्षण, मानसिक स्वास्थ्य समर्थन की आवश्यकता है.”
उधर समाचार माध्यमों के अनुसा, पिछले 24 घंटों में इसराइली सैन्य गतिविधियों में कम से कम 69 फ़लस्तीनियों की जान गई है, उत्तरी ग़ाज़ा के बेइत लाहिया से दक्षिण में रफ़ाह तक ये घटनाएँ हुई हैं.
खाद्य सहायता में अवरोध
यूएन विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने चेतावनी दी है कि ग़ाज़ा में आम लोग पर्याप्त भोजन ना मिल पाने की आशंका से बुरी तरह चिन्तित हैं. WFP में आपात संचार मामलों के प्रमुख जोनाथन डुमोन्ट ने बताया कि ग़ाज़ा में बाहर से भोजन पहुँचाए जाने के लिए रास्ते की तलाश की जानी होगी.
उन्होंने ग़ाज़ा से अपने एक ऑनलाइन सन्देश में बताया कि वहाँ विशाल पैमाने पर बर्बादी हो चुकी है. बिजली और जल की आपूर्ति ठप है, सीवर की समस्या है. हर कोई अपना घर खो चुका है और बहुत से लोग टैंट में रह रहे हैं.
उन्होंने कहा कि लोग उनके पास भोजन लेने के लिए आते हैं और बुरी तरह हताश हैं. ये उनके चेहरों, आँखों में पढ़ा जा सकता है. अकाल की रोकथाम के लिए यह ज़रूरी है कि भोजन की निरन्तर आपूर्ति के रास्ते को ढूंढा जाए.