क्रिस्टोफर वुड (Christopher Wood) की गिनती दुनिया के जाने-माने एनालिस्ट में होती है। वह ग्लोबल इनवेस्टमेंट बैंक जेफरीज (Jefferies) में इक्विटी स्ट्रैटजी के ग्लोबल हेड हैं। क्रिस्टोफोर वुड हर हफ्ते ‘ग्रीड एंड फियर’ नाम से एक लेटर जारी करते हैं। इस लेटर को पढ़कर यह पता चलता है कि भारत और चीन जैसे उभरते देशों में निवेश करते समय, क्रिस्टोफोर वुड न तो लालची होते हैं और न ही भयभीत होते हैं। हाल फिलहाल में भारत और चीन के शेयर बाजारों की चाल बिल्कुल अलग रही है। भारतीय स्टॉक्स में इस साल अभी तक भारी तेजी देखी गई है। इसके चलते मिडकैप इंडेक्स इस साल अब तक करीब 55% चढ़ चुका है। वहीं दूसरी ओर से चीन के 300 सबसे बड़े स्टॉक्स का प्रतिनिधित्व करने वाला स्टॉक्स, CSI 300 इस साल अबतक करीब 14% लुढ़का है।
ऐसी स्थिति में पारंपरिक सोच वाले निवेशकों की राय होती है कि उन्हें भारतीय बाजारों से डरना चाहिए क्योंकि यहां हर कोई लालची हो गया है। वहीं दूसरी ओर उन्हें चाइनीज मार्केट को लालच के साथ देखना चाहिए क्योंकि वहां हर कोई और और अधिक गिरावट आने के डर में है। वॉरेन बफे जैसे दिग्गज अक्सर इस पारंपरिक सोच को बढ़ावा देते रहते हैं।
हालांकि क्रिस्टोफर वुड की राय उलट है। उन्होंने 14 दिसंबर को जारी अपने न्यूजलेटर में कहा, “आम तौर पर इस तरह के विरोधाभासी प्रदर्शन चीन में खरीदने और भारत में बेचने की राह पर जाने का संकेत देते हैं। लेकिन [मेरा] इस तरह के नाटकीय कदम में कोई भरोसा नहीं है। न ही किसी और को होना चाहिए। हालांकि यह सही है कि अगर नीतिगत मोर्च पर कोई भी पॉजिटिव खबर दिखती है तो चीन के स्टॉक्स को वापस आने और बेहतर प्रदर्शन करने में देर नहीं लगेगी।”
वुड ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था जिस तरह से प्रदर्शन कर रही है, उसे देखते हुए अभी भी भारतीय बाजार में अभी भी “काफी दमखम बाकी है”। वुड ने इसके पक्ष में भारत के सितंबर तिमाही के जीडीपी आंकड़ों और देश की 8 प्रमुख उद्योंगों से जुड़े आंकड़ों का हवाला दिया, जो बाजार की उम्मीद से भी अच्छे रहे हैं।
वुड ने कहा, “चीन के साथ विरोधाभास इससे अधिक नाटकीय नहीं हो सकता।” उन्होंने कहा, “यह भारत और चीन के लंबी-अवधि वाले पोर्टफोलियो में भी समान रूप से दिखता है। कुल रिटर्न के आधार पर,अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में भारत का पोर्टफोलियो इस साल अबतक 41.2 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि चीन का पोर्टफोलियो 12.1 प्रतिशत नीचे है।”
बता दें कि क्रिस्टोफर वुड, ऐसे कई पोर्टफोलियो चलाते हैं, जो एशियन शेयरों में निवेश करता है। उन्होंने अधिकतर एशियाई लॉन्ग-ओनली पोर्टफोलियो में भारतीय शेयरों को अधिक महत्व दिया है।