स्टॉक मार्केट्स में आम लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। पिछले 3-4 में बड़ी संख्या में डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट्स खुले हैं। लोग कंपनियों के आईपीओ में भी खूब पैसे लगे रहा हैं। इसकी एक बड़ी वजह मुनाफा है। स्टॉक मार्केट्स और आईपीओ में निवेश से अच्छे मुनाफे ने लोगों का उत्साह बढ़ाया है। लेकिन, क्या आपको पता है कि गवर्नमेंट एंप्लॉयीज के शेयरों में निवेश करने के लिए कुछ नियम है। अगर आप गवर्नमेंट एंप्लॉयी हैं या आपके परिवार का कोई सदस्य सरकारी नौकरी करता है तो आपके लिए इन नियमों के बारे में विस्तार से जान लेना जरूरी है।
निवेश के लिए क्या हैं नियम?
सरकारी नौकरी करने वाले लोगों शेयरों या किसी दूसरे तरह के इंस्ट्रूमेंट्स में स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग करने की इजाजत नहीं है। इस बारे में सेंट्रल सिविल सर्विस (कंडक्ट) रूल्स, 1964 के 35 (ए) में बताया गया है। इसमें कहा गया है कि गवर्नमेंट एंप्लॉयीज को ऐसा कोई निवेश करने की इजाजत नहीं है, जिससे सट्टेबाजी शामिल है। इसका मतलब यह है कि सरकारी एंप्लॉयीज के लिए मुनाफे के लिए बार-बार शेयरों को खरीदने और बेचने की इजाजत नहीं है। इसकी वजह यह है कि सरकार के नियम में इसे स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग माना गया है।
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सिर्फ स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग करने की इजाजत नहीं
गवर्नमेंट एंप्लॉयीज के लंबी अवधि के लिए निवेश करने पर रोक नहीं है। वह स्टॉक ब्रोकर्स के जरिए स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकता है। हालांकि, उसे इस बात का ध्यान रखना होगा कि वह कोई ऐसा निवेश नहीं कर सकता है, जिसमें उसकी नौकरी के चलते हितों के टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा कोई गवर्नमेंट एंप्लॉयीज कंपनी के डायरेक्टर्स के लिए तय कोटा के तहत शेयर नहीं खरीद सकता है। इसका मतलब है कि सरकारी नौकरी करने वाले लोग शेयरों में निवेश तो कर सकते हैं। लेकिन, उन्हें इसमें सावधानी बरतनी होगी।
हितों के टकराव का रखना होगा ध्यान
यह बात भी ध्यान में रखने वाली है कि किसी सरकारी कंपनी के आईपीओ, फॉलो-अप ऑफर या किसी दूसरे तरह से शेयरों की बिक्री की प्रक्रिया से जुड़े सरकारी एंप्लॉयीज को संबंधित कंपनी के शेयरों के लिए बोली लगाने या खरीदने की इजाजत नहीं है। सरकारी एंप्लॉयी खुद या परिवार के किसी सदस्य के जरिए भी संबंधित कंपनी के आईपीओ या एफपीओ के लिए आवेदन नहीं कर सकता है। सेंट्रल सिविल सर्विस (कंडक्ट) रूल्स, 1964 के 42 (2) में इस बारे में बताया गया है।
प्रत्येक वित्त वर्ष में निवेश के डिलक्लोजर के नियम
केंद्र सरकार ने 2019 में एंप्लॉयीज के लिए कुछ खास नियम बनाए थे। इसके मुताबिक ग्रुप ए और ग्रुप बी कैटेगरी के अधिकारियों को एक वित्त वर्ष में 50,000 रुपये से ज्यादा वैल्यू के निवेश के बारे में बताना जरूरी है। इसमें शेयर, डिबेंचर्स या म्यूचुअल फंड्स की स्कीम में होने वाला निवेश शामिल है। ग्रुप सी और डी कैटेगरी के अधिकारियों को एक वित्त वर्ष में 25,000 रुपये से ज्यादा के निवेश की जानकारी देना अनिवार्य है।