बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने रविवार को एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। नीतीश ने बतौर मुख्यमंत्री रिकॉर्ड 9वीं बार शपथ ली है। राजभवन के राजेंद्र मंडप में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। नीतीश के मुख्यमंत्री के शपथ लेते ही NDA की सरकार बिहार में एक बार फिर सत्तारूढ़ हो गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के के साथ बीजेपी नेता सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) और विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) ने बिहार के नए डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली। नीतीश कुमार ने रविवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद महागठबंधन की सरकार भंग हो गई थी।
कौन हैं सम्राट चौधरी? (Who is Samrat Chaudhary)
उच्च जाति समर्थक छवि से आगे निकलने की बीजेपी की चाहत के बीच बिहार में उसके एक ओबीसी नेता सम्राट चौधरी की पार्टी में 7 साल से भी कम समय पहले शामिल होने के बाद से जबरदस्त प्रगति हुई है। शकुनी चौधरी के बेटे सम्राट चौधरी ने RJD सुप्रीमो की पत्नी राबड़ी देवी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री के रूप में राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा था। शकुनी चौधरी सेना में जवान रहने के बाद राजनीति में आये थे और उन्होंने कांग्रेस के सदस्य के रूप में अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। लेकिन लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की पार्टी में कई बार उन्होंने पाला बदला ।
सम्राट चौधरी 2005 में सत्ता से बेदखल होने के बाद काफी समय तक RJD के साथ रहे। लेकिन 2014 में एक विद्रोही गुट का हिस्सा बन गए और जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली JDU सरकार में शामिल हो गए। मांझी ने नीतीश कुमार के पद छोड़ने के बाद कुछ समय के लिए सत्ता संभाली थी। तीन साल बाद उनका JDU से मोहभंग हो गया और वह BJP में शामिल हो गए। BJP ने एक तेजतर्रार वक्ता और कोइरी जाति के बड़े नेता के रूप में उनकी क्षमता को पहचाना।
BJP ने सम्राट चौधरी को प्रदेश का उपाध्यक्ष बनाया और बाद में उन्हें बिहार विधान परिषद में भेजी। साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजग की जीत के बाद उन्हें नीतीश कुमार सरकार के मंत्रिमंडल में जगह मिली। सम्राट चौधरी को पिछले साल मार्च में राज्य बीजेपी अध्यक्ष नामित किया गया था। उन्होंने लोकसभा सदस्य संजय जायसवाल की जगह ली थी जिसको लेकर राबड़ी देवी ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी की थी कि “(BJP का) बनिया से दिल भर गया तो (उसने) महतो को (अध्यक्ष) बना दिया।”
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नीतीश कुमार के मुखर आलोचक माने जाने वाले सम्राट चौधरी ने पिछले साल JDU सुप्रीमो नीतीश कुमार द्वारा BJP का साथ छोड़ने के बाद अपने सिर पर पगड़ी बांध ली थी और कसम खाई थी कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद ही इसे वह खोलेंगे। पार्टी की ओर से अब उन्हें अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वी के साथ तालमेल बिठाते हुए यह सुनिश्चित करने की चुनौती सौंपी गई है कि उन्हें बिहार में कुर्मी (कुमार की जाति) और कोइरी (बोलचाल की भाषा में लव- कुश समुदाय) को पार्टी के पक्ष में कर आगामी लोकसभा चुनाव और उसके बाद 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन की संभावनाओं को बढ़ाना है।
कौन हैं विजय कुमार सिन्हा? (Who is Vijay Kumar Sinha)
बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अनुभवी और सवर्ण जाति से ताल्लुक रखने वाले नेता विजय कुमार सिन्हा राज्य विधानसभा में अध्यक्ष, राज्य सरकार में मंत्री और नेता प्रतिपक्ष जैसे विभिन्न पदों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। लखीसराय जिले में एक स्कूल टीचर के घर में पैदा हुए 64 वर्षीय सिन्हा लखीसराय विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीसरी बार विधायक के रूप में निर्वाचित हुए हैं।
प्रभावशाली भूमिहार समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सिन्हा बरौनी पॉलिटेक्निक में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के दौरान ही राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सक्रिय सदस्य बन गए थे। BJP में रहते हुए जमीनी स्तर के कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत करने वाले सिन्हा साल 2010 में पहली बार विधायक बने और सात साल बाद उन्हें श्रम संसाधन मंत्री बनाया गया।
एक अनुभवी नेता के रूप में देखे जाने वाले सिन्हा को भगवा पार्टी द्वारा 2020 में बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए चुना गया। वर्ष 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU से बेहतर प्रदर्शन किया था। BJP ने विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन के चलते अध्यक्ष पद पर अपने नेता को प्राथमिकता देने पर जोर दिया था।
पीटीआई के मुताबिक, सिन्हा एक ऐसे नेता हैं, जिन्हें बिरले ही आपा खोते हुए या बिगड़ते हुए देखा गया है, फिर चाहे सदन के भीतर कुमार का आक्रोश हो या फिर RJD के सदस्यों द्वारा उन्हें उनके कक्ष के अंदर बंधक बनाए जाने जैसी घटनाएं हों, जो राज्य की सुर्खियों में रही थीं। सिन्हा ने साल 2022 में नीतीश के राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन से हाथ मिलाने और उन्हें विधानसभा अध्यक्ष पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की धमकी के बाद राज्य विधानसभा के शीर्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
बाद में उन्होंने नेता प्रतिपक्ष का पद संभाला और तमिलनाडु में बिहार के लोगों के साथ कथित दुर्व्यवहार जैसे मुद्दों पर सरकार के खिलाफ मुखरता से आवाज उठाई। सरकार ने आरोपों की जांच के लिए अधिकारियों की एक टीम दक्षिणी राज्य में भेजी और आरोप सही नहीं पाए जाने पर भाजपा नेता से माफी की मांग की थी।