Mukhtar Ansari Death: जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की गुरुवार को उत्तर प्रदेश के बांदा जेल (Banda Jail) में दिल का दौरा (Heart Attack) पड़ने से मौत हो गई। उत्तर प्रदेश के एक सजायाफ्ता गैंगस्टर और राजनेता, 61 साल के मुख्तार अंसारी मऊ विधानसभा सीट से पांच बार विधायक चुने गए थे, जिसमें दो बार बहुजन समाज पार्टी (BSP) के टिकट पर चुनाव जीता था। वह पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी के रिश्तेदार थे।
MP MLA कोर्ट ने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के लिए अप्रैल 2023 में मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को दोषी ठहराया और 10 साल कैद की सजा सुनाई। फर्जी हथियार लाइसेंस मामले में उन्हें 13 मार्च, 2024 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
मुख्तार अंसारी का पारिवारिक इतिहास
मुख्तार अंसारी ने कभी शादी नहीं की और जीवन भर अविवाहित रहे। मुख्तार अंसारी के दादा मुख्तार अहमद अंसारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के शुरुआती अध्यक्ष थे, जबकि उनके नाना मोहम्मद उस्मान भारतीय सेना में ब्रिगेडियर थे।
17 साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने महात्मा गांधी के साथ काम किया था। वह 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे।
मुख्तार के नाना थे ब्रिगेडियर उस्मान
दूसरी ओर मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से नवाजा गया था। सेना में ‘जय हिंद’ कहने की परंपरा ब्रिगेडियर उस्मान ने शुरू की थी।
उन्होंने भारत-पाकिस्तान यु्द्ध के दौरान ब्रिगेड के जवानों को आदेश दिया कि आम तौर पर जब सैनिक एक दूसरे से मिलेंगे और दुआ सलाम करेंगे तो ‘जय हिंद’ ही बोलेंगे। उस वक्त देश में बढ़ रहे साप्रदायिक तनाव और मुस्लिम अफसर होने के नाते अपने जवानों का विश्वास जीतने के लिए उन्होंने ये किया था।
मुख्तार के पिता सुबहानउल्लाह अंसारी गाजीपुर में अपनी साफ सुधरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे थे। इतना ही नहीं भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा लगते थे।
मुख्तार अंसारी के पूर्वज ही नहीं बल्कि उनकी अगली पीढ़ी ने भी देश में काफी नाम रोशन किया था। मुख्तार का बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग का इंटरनेशनल खिलाड़ी है।
दुनिया के टॉप टेन शूटरों में शुमार अब्बास न सिर्फ नेशनल चैंपियन रह चुका है, बल्कि दुनियाभर में कई मेडल जीतकर देश का नाम भी रोशन कर चुका है। हालांकि, इन दिनों अब वो भी पिता के कर्मों की सजा भुगत रहा है। उसे मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
राजनीति में मुख्तार की एंट्री
मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था। उनके पिता का नाम सुबहानउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था। गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक बड़े और पुराने राजनीतिक खानदान की है।
मुख्तार अंसारी का राजनीति में शुरुआती परिचय 1995 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में छात्र संघ के जरिए हुआ था। वह 1996 में पहली बार विधायक बने।
मुख्तार अंसार vs ब्रिजेश सिंह
विधान सभा के लिए चुने जाने के बाद, मुख्तार अंसारी ने पूर्वांचल क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी ब्रिजेश सिंह के प्रभुत्व को चुनौती देना शुरू कर दिया। 2002 में, सिंह ने कथित तौर पर अंसारी के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था। घटना में अंसारी के तीन लोग मारे गए, जबकि ब्रिजेश सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें मृत मान लिया गया।
हालांकि, सिंह को बाद में जिंदा पाया गया। दोनों नेताओं के बीच आपसी घमासान जारी रहा। सिंह ने BJP नेता कृष्णानंद राय के चुनाव अभियान का समर्थन किया, जिन्होंने 2002 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मोहम्मदाबाद से मुख्तार अंसारी के भाई और पांच बार के विधायक अफजल अंसारी को हराया था।
BJP विधायक कृष्णानंद राय की छह साथियों के साथ खुलेआम दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। ये घटना तब हुई, जब अंसारी 2005 में दंगे के एक मामले में जेल में बंद थे।
जेल से BSP के टिकट पर लड़ा चुनाव
2007 में, मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफजल बहुजन समाज पार्टी (BSP) में शामिल हो गए। 2009 में जेल में बंद रहते हुए अंसारी ने BSP के टिकट पर वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा और BJP के मुरली मनोहर जोशी से हार गए।
मायावती ने 2010 में दोनों भाइयों को यह साबित करने के बाद अपनी पार्टी से निष्कासित कर दिया कि वे अभी भी आपराधिक गतिविधियों में शामिल थे।
इसके बाद अंसारी बंधुओं ने अपनी पार्टी कौमी एकता दल (QED) बनाई। 2014 में मुख्तार अंसारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए।
2016 में, मुख्तार अंसारी 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले BSP में फिर से शामिल हो गए। उन्होंने 2017 में BSP उम्मीदवार के रूप में मऊ विधानसभा सीट जीती।