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कॉप29 का अन्तिम दौर: जलवायु वित्त पोषण पर विफलता, कोई विकल्प नहीं – महासचिव

कॉप29 का अन्तिम दौर: जलवायु वित्त पोषण पर विफलता, कोई विकल्प नहीं – महासचिव

यूएन के शीर्षतम अधिकारी हाल ही में ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो में आयोजित जी20 समूह की शिखर बैठक के दौरान दिए गए अपने सन्देश को दोहराया: एक महत्वाकाँक्षी वित्त पोषण लक्ष्य केवल आवश्यक ही नहीं है, बल्कि इसे तुरन्त किया जाना होगा.

उन्होंने चेतावनी जारी की थी कि “विफलता, कोई विकल्प नहीं है.” हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाने के विनाशकारी नतीजे हो सकते हैं.

अज़रबैजान की राजधानी में कॉप29 सम्मेलन की आधिकारिक अवधि पूरी होने में क़रीब 24 घंटे बचे हैं, और अन्तिम दौर की वार्ता में मतभेदों के बीच वित्तीय संसाधनों को मज़बूती देने की पुरज़ोर कोशिशें हो रही हैं.

एक नए महत्वाकाँक्षी जलवायु वित्त पोषण का उद्देश्य है, जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित विकासशील देशों को बाढ़, वनों में आग, सूखे व अन्य चरम मौसम घटनाओं से निपटने के लिए मदद प्रदान करना.

गुरूवार सुबह, इस विषय में समझौते का पहला मसौदा सामने आया, जिस पर सरकारी प्रतिनिधियों और नागरिक समाज समूहों की मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है.

इस मसौदे में मुख्यत: दो हिस्से हैं, जिसमें विकासशील व विकसित देशों की ओर से आए प्रस्तावों को दर्शाया गया है, और वित्त पोषण समेत कुछ अन्य मुद्दों पर खींचतान अब भी जारी है.

बीता जा रहा है समय

यूएन महासचिव ने मौक़े की नज़ाकत को समझने का आग्रह करते हुए आगाह किया है कि कॉप29 सम्मेलन में समझौते के लिए समय तेज़ी से बीता जा रहा है.

उन्होंने कहा कि वार्ता में कुछ प्रगति हुई है और साझा ज़मीन पर एक साथ आने की तस्वीर उभर रही है, लेकिन बड़े मतभेद भी बरक़रार हैं.

किसी निर्णायक क़दम के अभाव में जो नतीजे सामने आएंगे, उन्हें सम्मेलन से दूर तक महसूस किया जाएगा, चूँकि आगामी दिनों में जलवायु कार्रवाई पर असर होगा और ब्राज़ील में कॉप30 के लिए महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई योजनाओं की तैयारी जटिल हो जाएगी.

स्पष्ट मार्ग की ओर

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि विकासशील देशों के लिए संसाधनों की लामबन्दी और एक व्यापक वित्तीय पैकेज बेहद अहम है, ताकि वे वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखे जाने के अनुरूप कार्रवाई कर सकें.

“यह कॉप, जलवायु बर्बादी के समक्ष न्याय को सुनिश्चित करने का एक अवसर है.”

उनके अनुसार वित्तीय संसाधनों के प्रोत्साहन से देशों को स्वच्छ, किफ़ायती ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में कटौती की जा सकेगी.

महासचिव ने आपदाओं का सामना करने के लिए सहनसक्षमता को मज़बूती देने पर बल दिया है, जिसके लिए सम्वेदनशील हालात से जूझ रही आबादी के लिए सहायता धनराशि का प्रबन्ध किया जाना होगा.

इस क्रम में, देशों के बीच भरोसे को बहाल करना ज़रूरी होगा और पेरिस समझौते के फ़्रेमवर्क के तहत अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के साथ एकजुटता दर्शानी होगी.

निवेश, ख़ैरात नहीं

यूएन प्रमुख ने कहा कि जलवायु वित्त पोषण कोई ख़ैरात नहीं है, बल्कि यह पृथ्वी के भविष्य में किया गया एक अहम निवेश है. यह पृथ्वी पर हर एक राष्ट्र के लिए एक सुरक्षित, अधिक समृद्धि भविष्य के लिए दी गई क़िस्त है.” 

उन्होंने ध्यान दिलाया कि बहुपक्षीय विकास बैन्कों ने वर्ष 2030 तक अपने वित्त पोषण को बढ़ाकर, वार्षिक 120 अरब डॉलर तक पहुँचाने का संकल्प लिया है, और निजी सैक्टर द्वारा अतिरिक्त 65 अरब डॉलर का प्रबन्ध किया जाएगा.

इस वर्ष, सितम्बर महीने में यूएन के न्यूयॉर्क मुख्यालय में 193 सदस्य देशों वाली महासभा ने ‘भविष्य के लिए सहमति-पत्र’ को पारित किया था, जिसमें वित्तीय संसाधनों की सुलभता और बहुपक्षीय विकास बैन्कों की कर्ज़ देने की क्षमता को बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी.

एकता की पुकार

महासचिव ने सचेत किया कि भूराजनैतिक दरारों से प्रगति पर असर हो सकता है, और इसलिए अपने रुख़ में नरमी लानी होगी, मतभेदों से आगे बढ़कर बड़े परिप्रेक्ष्य में सोचना होगा.

“इसकी तत्काल आवश्यकता है. इसके अपार फ़ायदे हैं. और समय बहुत कम है…विफलता यहाँ कोई विकल्प नहीं है.”

इस क्रम में, उन्होंने सभी पक्षों से एकजुट रहने की अपील की और ध्यान दिलाया कि पृथ्वी पर भावी पीढ़ियों का जीवन दाँव पर लगा हुआ है और इसे कभी नहीं भूलना होगा.

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