उद्योग/व्यापार

कच्चे तेल की कीमतों में फिर उबाल, OPEC+ की बैठक से पहले इन वजहों से बढ़ी टेंशन

तेल उत्पादक देशों के संगठन OPEC+ की बैठक से पहले लाल सागर में एक जहाज पर एक और हमले से मिडिल ईस्ट में जियो पॉलिटिकल टेंशन बढ़ा। इससे तेल की कीमतों में एक बार फिर आग लग गई। मंगलवार को ब्रेंट फ्यूचर्स 1.4 फीसदी मजबूत हुआ था और अब यह 84 डॉलर के पार चला गया है। वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट भी 80 डॉलर के पार है। इस साल मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव के चलते तेल की कीमतें काफी चढ़ चुकी हैं। इसके अलावा ओपेक+ देशों के उत्पादन में कटौती के फैसले के चलते भी तेल में उबाल आया है। हालांकि ओपेक+ के अलावा बाकी देशों से सप्लाई बढ़ने और एशिया में मांग कमजोर होने के चलते अप्रैल से इसके भाव थोड़े नरम पड़े। ओपेक+ की अब रविवार को ऑनलाइन बैठक होने वाली है।

मिडिल ईस्ट में कैसी है स्थिति?

ओपेक+ देशों की बैठक रविवार को होनी है और इस बैठक से पहले लाल सागर में एक जहाज पर हमला हो गया। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक एक भारी-भरकम जहाज पर हमला हुआ है। वहीं मिडिल ईस्ट में और भी अहम घटनाएं हुई हैं। इजराईल के टैंक जमीनी हमले में दक्षिणी गजा के शहर रफा के केंद्र में पहुंच गए हैं। इसका असर दुनिया भर के बाजारों पर दिख सकता है।

ब्याज दरों से जुड़ी चुनौतियां भी कायम

अमेरिका में फेडल रिजर्व बैंक ऑफ मिनेपोलिस के प्रेसिडेंट नील कशकरी का कहना है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक की नीतिगत रुझान अभी दरों को स्थिर रखने को लेकर है लेकिन फिर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के विकल्प को पूरी तरह से खारिज भी नहीं किया गया है। अभी मार्केट का अनुमान है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक के पॉलिसीमेकर्स वॉशिंगटन में जब 11-12 जून को मुलाकात करेंगे, तो दरों को स्थिर रखने की गुंजाइश है। मार्केट के अनुमान के मुताबिक नीतिगत दरें 23 साल के हाई पर बनी रह सकती हैं।

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