तेल की कीमतें लगातार दूसरे सप्ताह बढ़ीं। तेल की कीमत शुक्रवार को लगभग दो महीनों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। पॉजिटिव अमेरिकी आर्थिक विकास और चीन के अच्छे संकेतों ने डिमांड की उम्मीदों को बढ़ावा दिया। जबकि मिडिल ईस्ट सप्लाई चिंताओं ने सपोर्ट बढ़ाया। ब्रेंट क्रूड वायदा 1.12 डॉलर या 1.4% बढ़कर 83.55 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। ये 30 नवंबर के बाद का इसका उच्चतम स्तर है। वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (WTI) 65 सेंट या 0.8% चढ़कर 78.01 डॉलर पर पहुंच गया, जो नवंबर के बाद का इसका उच्चतम स्तर है। दोनों बेंचमार्क में 6% से अधिक की वीकली बढ़त देखने को मिली। ये बढ़त गाजा में इजराइल-हमास संघर्ष की शुरुआत के बाद 13 अक्टूबर को समाप्त हफ्ते के बाद से उनकी सबसे बड़ी वीकली बढ़त है।
स्वतंत्र ऑयल मार्केट एनालिस्ट Tim Evans ने कहा “चीन से आर्थिक प्रोत्साहन, अमेरिका में चौथी तिमाही में उम्मीद से अधिक मजबूत जीडीपी ग्रोथ, अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़ों में गिरावट, चल रहे भू-राजनीतिक जोखिम और पिछले सप्ताह अमेरिकी वाणिज्यिक कच्चे तेल के स्टॉक में उम्मीद से ज्यादा 920 लाख बैरल की गिरावट सभी ने मिलकर तेल की कीमतों को बढ़ाया है”
हौथी सैन्य प्रवक्ता ने कहा कि नौसेना बलों ने अदन की खाड़ी में एक तेल टैंकर को निशाना बनाते हुए एक ऑपरेशन चलाया। इससे आग लग गई और इसकी वजह से आपूर्ति बाधित होने की चिंता बढ़ गई है।
इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी कच्चे तेल के भंडार में उम्मीद से अधिक गिरावट से भी तेल की कीमतें बढ़ीं। इनवेंट्री में कमी, विशेष रूप से ओक्लाहोमा में कुशिंग और मिडवेस्ट में डब्ल्यूटीआई डिलीवरी बिंदु के आस-पास के वायदा कीमतों पर दबाव पैदा कर सकती है।
ब्रेंट वायदा के स्ट्रक्चर में आपूर्ति संबंधी चिंताएं स्पष्ट हैं। ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई दोनों पर छठे महीने के पहले महीने के अनुबंध का प्रीमियम नवंबर के बाद से सबसे अधिक हो गया है।
दक्षिणी रूस में एक निर्यात करने वाली तेल रिफाइनरी पर यूक्रेनी ड्रोन हमले के बाद संभावित ईंधन आपूर्ति में व्यवधान से भी कीमतों में इजाफा हुआ।
गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, डिमांड के मामले में, दुनिया के सबसे बड़े तेल उपभोक्ता अमेरिका ने चौथी तिमाही में उम्मीद से अधिक तेज आर्थिक वृद्धि दर्ज की। इस हफ्ते ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए चीन के नवीनतम उपायों से भी सेंटीमेंट्स को बढ़ावा मिला।
हालांकि, ट्रेडर्स का मानना है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक मार्च की बजाय मई में दरों में कटौती का दौर शुरू कर सकता है। इससे कच्चे तेल के वायदा पर असर पड़ेगा।