ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन को लेकर दो सप्ताह से चल रही बातचीत टूट गई और दोनों दलों ने शुक्रवार को आगामी लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की।
पिछले कुछ दिनों में दोनों दलों में गठबंधन को लेकर विभिन्न स्तरों पर बातचीत हो रही थी।
भाजपा की ओडिशा इकाई के अध्यक्ष मनमोहन सामल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘4.5 करोड़ ओडिशावासियों की आशा, अभिलाषा और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में विकसित भारत तथा विकसित ओडिशा बनाने के लिए भाजपा इस बार लोकसभा की सभी 21 और विधानसभा की सभी 147 सीट पर अकेले चुनाव लड़ेगी।’’
बीजद और भाजपा के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन को लेकर दो सप्ताह से बातचीत चल रहीथी, लेकिन दोनों दलों ने शुक्रवार को आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने के फैसले की अलग-अलग घोषणा की।
दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर विचार-विमर्श प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राज्य के दौरे के एक दिन बाद छह मार्च को शुरू हुआ था और यह बृहस्पतिवार रात तक जारी रहा। लेकिन जब बात नहीं बनी तो पहले भाजपा और फिर बीजद ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर अलग-अलग चुनाव लड़ने की घोषणा की।
ओडिशा में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी होंगे।
सामल ने कहा कि देश भर में जहां भी ‘डबल इंजन’ की सरकार रही है, वहां विकास व गरीब कल्याण के कार्यों में तेजी आई है और राज्य हर क्षेत्र में आगे बढे़ हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आज ओडिशा में मोदी सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएं जमीन पर नहीं पहुंच पा रही हैं, जिससे ओडिशा के गरीब बहनों-भाइयों को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है।’’
सामल ने कहा, ‘‘ओडिशा-अस्मिता, ओडिशा गौरव और ओडिशा के लोगों के हित से जुड़े अनेक विषयों पर हमारी चिंताएं हैं।’’
उन्होंने बीजद की ओर से केंद्र सरकार के अनेक राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर समर्थन देने के लिए प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी के प्रति आभार व्यक्त किया।
बीजद के साथ भाजपा के गठबंधन को लेकर चल रही बातचीत के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा इस पर अंतिम निर्णय लेंगे।
शाह ने एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में कहा था, ‘‘हमने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। हमारी पार्टी के अध्यक्ष फैसला करेंगे। लेकिन यह निश्चित है कि हम ओडिशा में भारी जीत हासिल करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम अकेले लड़ने का फैसला करते हैं तो हम ओडिशा में सरकार बनाने के लिए लड़ेंगे।’’
भाजपा की इस घोषणा के कुछ ही देर बाद बीजद ने भी घोषणा की कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी अकेले उतरेगी।
बीजद के महासचिव (संगठन) प्रणव प्रकाश दास ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ओडिशा के लोगों के समर्थन से बीजद सभी 147 विधानसभा क्षेत्रों और सभी 21 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ेगा और नवीन पटनायक के नेतृत्व में तीन चौथाई से अधिक सीट जीतेगा।
उन्होंने दावा किया कि भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद और ओडिशा के लोगों के विश्वास के साथ, बीजद राज्य की सेवा कर रहा है और इसे हर क्षेत्र में बदल रहा है जो कि पहले कभी नहीं हुआ।
बीजद नेता ने कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक सहकारी संघवाद और राजनेता वाली क्षमता को देखते हुए ओडिशा के लोगों के हितों और कल्याण को हमेशा आगे रखते हुए निर्णय लेती रहेगी।
दास ने कहा, नया ओडिशा और सशक्त ओडिशा हमारा लक्ष्य होगा तथा हम अपने नेता नवीन पटनायक के नेतृत्व में इसे हासिल करने की राह पर हैं।
राज्य की 21 लोकसभा सीट और 147 सदस्यीय विधानसभा के लिए एक साथ चुनाव से पहले राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के बीच गठबंधन को लेकर कई हफ्तों से अटकलें लगाई जा रही थीं।
इन अटकलों को उस समय और बल मिला था, जब ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी माने जाने वाले वी.के. पांडियन ने कहा था कि चुनाव जीतने के लिए भाजपा और बीजद को एक-दूसरे की जरूरत नहीं है, लेकिन कुछ चीजें राजनीति से परे होती हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ‘‘बड़े मकसद’’ के लिए एक साथ आना चाहते हैं।
भाजपा और बीजद 1998 से 2009 तक गठबंधन में रहे। पिछले एक दशक से अधिक समय में भाजपा ने राज्य में कांग्रेस को पूरी तरह खत्म कर दिया और मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी है।
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