अधिकतर एग्जिट पोल (Exit Polls) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की फिर से बड़ी जीत के साथ सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी की है। हालांकि बीजेपी का आखिरी आंकड़ा 400 सीटों तक भी जा सकता है। कुछ सर्वे में तो बीजेपी की सीटें 400 को छूते हुए भी दिख रही हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (Motilal Oswal Financial Services) के चेयरमैन और को-फाउंडर, रामदेव अग्रवाल ने ये बातें कहीं। दिग्गज निवेशक इन नतीजों से खुश नजर आए और उन्होंने कहा कि बीजेपी की इस जीत से भारतीय शेयर बाजार का साइज दोगुना होने का रास्ता साफ हो सकता है। रामदेव ने कहा कि अगले 4-5 साल में शेयर बाजार की मार्केट कैपिटलाइजेन यानी मार्केट वैल्यू 10 अरब डॉलर के आंकड़े को छू सकता है।
दिग्गज निवेशक ने कहा, “एग्जिट पोल से जो आंकड़े आ रहे हैं, वे चौंकाने वाले नहीं हैं क्योंकि वे उम्मीद के काफी करीब हैं। सही कहूं तो मुझे यह विश्वास है कि असल आंकड़े 400 के करीब या 400 से अधिक भी हो सकते हैं।” उन्होंने साथ ही इस तथ्य की ओर भी ध्यान दिलाया कि बीजेपी ने हाल ही में 3 बड़े हिंदी भाषी राज्यों में एग्जिट पोल में जताए अनुमान से बड़ी जीत हासिल की थी।
इस जीत का शेयर बाजार पर असर को लेकर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी को मजबूत जनादेश मिलने से शेयर बाजार का वैल्यूएशन मौजूदा 5 ट्रिलियन डॉलर से दोगुना होकर 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। बता दें कि भारतीय शेयर बाजार ने हाल ही में 5 ट्रिलियन डॉलर के वैल्यूएशन को छुआ था और फिलहाल यह 4.95 ट्रिलियन डॉलर के करीब है।
हालांकि, देखने वाली बात यह है कि बीजेपी की जीत पर विदेशी निवेशक किस तरह से प्रतिक्रिया करते हैं। अग्रवाल के अनुसार, अगर एफपीआई खरीदना शुरू करते हैं तो भारतीय बाजार में बहुत भारी तेजी आ सकती है क्योंकि DII पहले से ही आक्रामक तरीके से खरीदारी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “तीन चीजें हो सकती है – या तो FPI बेचना जारी रखेंगे, या वे बेचना बंद कर देंगे या वे खरीदना शुरू कर देंगे। अगर वे खरीदना शुरू करते हैं तो बाजार पूरी तरह से अलग स्तर पर पहुंच जाएगा क्योंकि घरेलू संस्थान पहले से ही आक्रामक तरीके से खरीद कर रहे हैं।”
दिलचस्प बात यह है कि अग्रवाल का मानना है कि एनडीए गठबंधन की जीत की अंतिम संख्या अभी इससे भी अधिक हो सकती है। उन्होंने कहा, “हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि NDA गठबंधन का अंतिम आंकड़ा इससे भी अधिक हो सकता है, क्योंकि निर्दलियों का एक बड़ा हिस्सा विपक्ष में बैठने के बजाय सरकार का हिस्सा बनना अधिक पसंद करेगा।”
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