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उत्तरी ग़ाज़ा में पूरी आबादी पर मौत का साया, ‘बुनियादी मानवता’ की अनदेखी पर क्षोभ

उत्तरी ग़ाज़ा में पूरी आबादी पर मौत का साया, ‘बुनियादी मानवता’ की अनदेखी पर क्षोभ

मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिए यूएन की कार्यवाहक अवर महासचिव जॉयस म्सूया ने सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म, X पर अपने सन्देश में कहा कि उत्तरी ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य बलों ने जिस तरह से घेराबन्दी की है, उसकी अनुमति नहीं जा सकती है.

उनके अनुसार, अस्पतालों पर हमले हुए हैं, स्वास्थ्यकर्मियों को हिरासत में लिया गया है और अग्रिम मोर्चे पर तैनात सहायताकर्मियों को मलबे में से लोगों को बचाने से रोका गया है.

“आश्रय स्थलों को खाली कराया गया है और जला दिया गया है…परिवारों को अलग किया है और पुरुषों व लड़कों को ट्रक में भर करके ले जाया गया है.”

समाचार माध्यमों के अनुसार, इस महीने इसराइली सेना द्वारा उत्तरी ग़ाज़ा में सैन्य अभियान नए सिरे से शुरू किए जाने के बाद, सैकड़ों फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं.

हज़ारों की संख्या में लोग जबरन विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए हैं.

कार्यवाहक अवर महासचिव जॉयस म्सूया ने कहा कि उत्तरी ग़ाज़ा की सम्पूर्ण आबादी पर मारे जाने का जोखिम है. “बुनियादी मानवता और युद्ध सम्बन्धी क़ानून के लिए ऐसी खुली बेपरवाही को रोका जाना होगा.”

यूएन स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख ने ग़ाज़ा में मौजूदा हालात पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि लड़ाई का स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं पर गहरा असर हुआ है.

विशाल क़ीमत

यूएन एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसेस सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म, X, पर अपने सन्देश में क्षोभ जताया है कि वहाँ तबाही भरे हालात हैं.

“गहन सैन्य अभियान, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के भीतर व उनके इर्दगिर्द चलाया जा रहा है. महत्वपूर्ण मेडिकल आपूर्ति की क़िल्लत है, जोकि वहाँ पहुँचने के रास्ते बेहद सीमित होने से और अधिक जटिल हो गई है.”

इन हालात में आम फ़लस्तीनियों को जीवनरक्षक देखभाल नहीं हासिल हो रही है.

ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कमाल अदवान अस्पताल की घेराबन्दी ख़त्म हो गई है, मगर इसकी एक विशाल क़ीमत चुकानी पड़ी है. ये उत्तरी ग़ाज़ा के चन्द अस्पतालों में हैं, जहाँ अब भी काम हो पा रहा है.

यहाँ 44 पुरुष स्वास्थ्यकर्मियों को हिरासत में लिए जाने के बाद अब क़रीब 200 मरीज़ों की देखभाल के लिए बहुत कम संख्या में मेडिकल कर्मी उपलब्ध हैं.

WHO प्रमुख ने घेराबन्दी के दौरान अस्पतालके सुविधा केन्द्रों के क्षतिग्रस्त होने की निन्दा की है. उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा में ध्वस्त होती स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था को सम्भालने के लिए जल्द से जल्द एक युद्धविराम लागू किए जाने की आवश्यकता है. डॉक्टर टैड्रॉस के अनुसार, आम फ़लस्तीनियों की ज़िन्दगियाँ इस पर निर्भर हैं. 

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