यह हमला दक्षिण-पूर्वी प्रान्त सिस्तान और बलूचिस्तान में, रसाक पुलिस स्टेशन पर हुआ जिसकी ज़िम्मेदारी, क्षेत्र में सक्रिय एक सुन्नी इस्लामी संगठन “जैश अल-अद्ल” ने ली है.
इस प्रान्त में इस तरह की घटनाएँ अक्सर होती बताई गई हैं और शुक्रवार का ये घातक आतंकी हमला, इस श्रृंखला ताज़ा घटना है.
इससे पहले की घटनाओं में, जुलाई 2023 में पुलिस अधिकारियों पर एक घातक सशस्त्र हमला और मई 2023 में सरावान में, ईरानी सीमा रक्षकों की हत्याओं की घटनाएँ शामिल हैं.
सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ऐकुवाडोर के राजदूत होज़े डी ला गास्का की तरफ़ से शनिवार को जारी एक बयान में, सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने, इन आतंकी हमलों के पीड़ितों के परिवारों और ईरान की सरकार के प्रति अपनी गहरी सहानुभूति और संवेदना व्यक्त की.
सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने साथ ही, घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना भी की है.
वक्तव्य में में आगे कहा गया है कि सुरक्षा परिषद के सदस्य यह पुष्टि दोहराते हैं कि “आतंकवाद अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में अन्तरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा के लिए सबसे गम्भीर ख़तरों में से एक है.”
वक्तव्य में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने वाले अपराधियों, उनके संगठनकर्ताओं, उन्हें धन मुहैया कराने वालों उनके समर्थकों को, पकड़े जाने और आतंकवाद के इन निन्दनीय कृत्यों के प्रति जवाबदेह बनाए जाने व उन्हें न्याय के कटघरे में लाए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है.
सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने, सभी देशों से, इस सम्बन्ध में ईरानी अधिकारियों के साथ-साथ अन्य सभी सम्बन्धित अधिकारियों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करने का आग्रह किया है.
उन्होंने सभी देशों से, आतंकी कृत्यों से अतरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के लिए उत्पन्न होने वाले ख़तरे का सामना करने के लिए, यूएन चार्टर व अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अपने दायित्वों को निभाने के लिए, यथासम्भव कार्रवाई किए जाने का आहवान किया.
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में, शुक्रवार को प्रेस वार्ता में उठाए गए एक सवाल के जवाब में, यूएन महासचिव के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, 15 दिसम्बर के हमले की कड़ी निन्दा करता है, और शोक संतप्त परिवारों व लोगों और ईरान सरकार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता है.