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इथियोपिया: सामूहिक हत्याओं का सिलसिला जारी, ‘बड़े पैमाने’ पर अत्याचारों का जोखिम

इथियोपिया: सामूहिक हत्याओं का सिलसिला जारी, ‘बड़े पैमाने’ पर अत्याचारों का जोखिम

इथियोपिया पर मानवाधिकार विशेषज्ञों के अन्तरराष्ट्रीय आयोग की नवीनतम रिपोर्ट में 3 नवम्बर, 2020, के बाद से अब तक, हिंसक टकराव में शामिल सभी पक्षों द्वारा अंजाम दिए गए अत्याचारों पर जानकारी दी गई है. 

इसी दिन टीगरे क्षेत्र में सशस्त्र टकराव शुरू हुआ था, और तब से सामूहिक हत्याओं, बलात्कार, भुखमरी, स्कूलों व चिकित्सा केन्द्रों के विध्वंस, जबरन विस्थापन और मनमाने ढंग से लोगों को हिरासत रखे जाने समेत अन्य अपराधों को अंजाम दिया गया है.

आयोग के प्रमुख मोहम्मद चंदे ओथमान ने कहा कि हिंसक टकराव की घटनाएँ अब लगभग राष्ट्रीय स्तर पर हो रही हैं, और अमहारा क्षेत्र में भी आम नागरिकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन होने की ख़बरें मिली हैं. 

उन्होंने सचेत किया कि जिस तरह के हालात ओरोमिया, अमहारा और देश के अन्य हिस्सों में हैं, उससे अत्याचारों और अपराधों का जोखिम और अधिक बढ़ गया है. 

मनमाने ढंग से हिरासत के मामले

इथियोपिया सरकार ने अमहारा क्षेत्र में पिछले महीने आपात हालात की घोषणा की थी. आयोग का कहना है कि इस इलाक़े में आम नागरिकों को सामूहिक तौर पर मनमाने ढंग से हिरासत में रखा गया है और राजसत्ता द्वारा कम से कम एक ड्रोन हमला किए जाने की भी रिपोर्ट है.

इस क्षेत्र में अनेक शहरी केन्द्रों में कर्फ़्यू लागू है और एक सैन्यीकृत कमांड चौकी को बिना किसी नागरिक निरीक्षण के तैनात किया गया है.

आयोग ने सचेत किया कि इस तरह के ढाँचे खड़े किए जाने से अक्सर मानवाधिकारों के गम्भीर उल्लंघन के मामले भी सामने आते हैं. 

उन्होंने कहा कि “अमहारा में बिगड़ती हुई सुरक्षा व्यवस्था से गहरी चिन्ता है और अत्याचार सम्बन्धी अपराधों के लिए जोखिम कारकों की मौजूदगी बरक़रार है.”

क्षेत्र में मानवीय सहायता आवश्यकताओं में उछाल आया है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने अगस्त में कहा था कि अमहारा की जनता एक और टकराव को नहीं सहन कर पाएगी. 

बताया गया है कि क़रीब 20 लाख लोगों को स्वास्थ्य सहायता की आवश्यकता है, और युद्धग्रस्त सूडान से शरणार्थियों के वहाँ पहुँचने से परिस्थितियाँ और अधिक जटिल हो गई हैं. 

टीगरे: अन्तर-पीढ़ीगत सदमा

आयोग प्रमुख राधिका कुमारास्वामी ने सचेत किया कि इस क्षेत्र में महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध अब भी ऐरीट्रियाई सुरक्षा बलों द्वारा बलात्कार व यौन हिंसा को अंजाम दिया जा रहा है. 

उन्होंने कहा कि इथियोपिया में ऐरीट्रियाई सुरक्षा बलों की मौजूदगी ना केवल दंडमुक्ति, बल्कि संघीय सरकार द्वारा ऐसे हनन मामलों के लिए समर्थन और सहिष्णुता को समर्थन जारी रखने का भी संकेत है.   

मानवाधिकार विशेषज्ञ ने दोहराया कि टीगरे में अत्चायारों से प्रभावितों को जो सदमा पहुँचा है, उसके वर्षों तक जारी रहने की आशंका है. 

उन्होंने सच्चाई, न्याय व पीड़ितों पर मरहम लगाने के लिए एक विश्वसनीय प्रक्रिया पर बल दिया है, और साथ ही इथियोपिया सरकार द्वारा शुरू की गई परामर्श प्रक्रिया की ख़ामियों की ओर भी इशारा किया है.

रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि इथियोपिया की सरकार मानवाधिकार उल्लंघन की रोकथाम करने या हनन मामलों की जाँच कराने में विफल रही है. 

इसके बजाय, ‘दोषपूर्ण’ संक्रमणकालीन न्याय प्रक्रिया की शुरुआत की गई है, जहाँ पीड़ितों को अक्सर नज़रअन्दाज़ किया जाता है.

यूएन मानवाधिकार परिषद ने अन्तरराष्ट्रीय आयोग की स्थापना दिसम्बर 2021 में की थी. आयोग पर नवम्बर 2020 में इथियोपिया के टीगरे में हिंसक टकराव की शुरुआत की बाद से मानवाधिकार हनन मामलों की निष्पक्ष जाँच का दायित्व है.   

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