बच्चों की ख़रीद-फ़रोख़्त और उनके यौन शोषण पर यूएन की विशेष रैपोर्टेयर मामा फ़ातिमा सिन्घतेह ने मंगलवार, 6 फ़रवरी, को सुरक्षित इंटरनैट दिवस से पहले सोमवार को अपना एक वक्तव्य जारी किया है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि इंटरनैट और डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म से बच्चों व युवाओं को सकारात्मक रूप से एक दूसरे से बातचीत व सम्पर्क करने और स्वायत्त व्यक्तियों के रूप में विकसित होने में मदद मिलती है, ताकि समाज में अपनी जगह ले सकें.
मगर, ये माध्यम उनके लिए दोधारी तलवार भी साबित हो सकते हैं, और इसलिए, इन उत्पादों को विकसित करने और उनके नियामन के केन्द्र में बाल अधिकारों को रखा जाना होगा.
इंटरनैट और डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म पर ऐसी ऑनलाइन सामग्री भी उपलब्ध होती है, जोकि बच्चों की आयु के अनुकूल नहीं है. इसके अलावा, वयस्कों या उनके हमउम्र बच्चों द्वारा ऑनलाइन यौन शोषण भी किया जा सकता है.
ऑनलाइन शोषण व दुर्व्यवहार के बढ़ते मामले
यूएन विशेषज्ञ के अनुसार, जनरेटिव कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) और एक्सटेंडेट रिएलिटी में निरन्तर बदलाव आ रहे हैं, और ये टैक्नॉलॉजी बाल यौन दुर्व्यवहार व शोषण की हानिकारक सामग्री व उसके वितरण की भी वजह बन रही हैं.
इन टैक्नॉलॉजी में फ़िलहाल पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी है, और एक छोर से दूसरे छोर तक एनक्रिप्शन होने की वजह से इस्तेमालकर्ता के बारे में जानकारी हासिल कर पाना दुष्कर होता है.
झूठी व नग्न (deepfakes, deepnudes) फ़ोटो व वीडियो समेत कम्पयूटर के ज़रिये तैयार की जाने वाली तस्वीरों, ऑन डिमांड लाइव स्ट्रीमिंग और एक्सटेंडेट रिएलिटी से बाल यौन दुर्व्यवहार व शोषण की गतिविधियों को बल मिल रहा है.
एक अनुमान के अनुसार, बाल यौन दुर्व्यवहार सामग्री से जुड़े मामलों में वर्ष 2019 के बाद से अब तक 87 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
मानवाधिकार विशेषज्ञ ने सचेत किया कि अनेक अध्ययन दर्शाते हैं कि ऑनलाइन माध्यमों पर बच्चे यौन दुर्व्यवहार व शोषण की चपेट में आ रहे हैं और उन्हें शिकार बनाए जाने के तौर-तरीक़ों में तेज़ी आ रही है.
इनमें बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार व शोषण से जुड़ी सामग्री का फैलना, यौन मक़सद से बच्चों को तैयार करने व उन तक पहुंचना, ऑनलाइन यौन उत्पीड़न किया जाना, धन ऐंठना व टैक्नॉलॉजी की मदद से यौन दुर्व्यवहार व शोषण सामग्री का इस्तेमाल किया जाना है.
राजनैतिक संकल्प की सराहना
विशेष रैपोर्टेयर मामा फ़ातिमा सिन्घतेह ने बताया कि राजनैतिक स्तर पर इस चुनौती से निपटने के लिए संकल्प बढ़ा है, और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर नए टैक्नॉलॉजी व उनसे उपजी समस्याओं पर पार पाने को प्राथमिकता दी जा रही है.
उनके अनुसार, अनेक राष्ट्रीय, क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर विधि व नियामन सम्बन्धी प्रयास किए गए हैं, ताकि बाल- व लैंगिक-रूप से सम्वेदनशील विषयों पर ध्यान देकर, मानवाधिकारों पर पनप रहे इन अतिरिक्त जोखिमों को दूर किया जा सके.
स्वतंत्र विशेषज्ञ ने कहा कि निजी सैक्टर और टैक्नॉलॉजी उद्योग, अपने दावों के बावजूद फ़िलहाल भरोसेमन्द साबित नहीं हुआ है और उनमें पहले से मौजूद, गम्भीर पूर्वाग्रह नज़र आते हैं. इसके अलावा यौन शोषण दुर्व्यवहार और शोषण पर निगरानी के लिए प्रयासों में कमियाँ हैं, वे शोषण नैटवर्क के विरुद्ध कार्रवाई करने में विफल साबित हुए हैं और ऐसे मामलों पर काम करने वालों कर्मचारियों की छंटनी की गई है.
मानवाधिकार विशेषज्ञ ने ज़ोर देकर कहा कि देशों की सरकारों और कम्पनियों को एक साथ मिलकर प्रयास व निवेश करने होंगे, और बच्चों की, भुक्तभोगियों व जीवित बचे व्यक्तियों और अन्य हितधारकों की आवाज़ को सुनना होगा, ताकि सत्यनिष्ठ डिजिटल उत्पादों को विकसित किया जा सके.
इस क्रम में, उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमता पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव के परामर्शदाता बोर्ड के गठन का स्वागत किया है, जिसका दायित्व, एआई की संचालन व्यवस्था और समन्वय के लिए एक अन्तरराष्ट्रीय एजेंसी की अनुशन्साएँ तैयार करना है.
मानवाधिकार विशेषज्ञ
विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र की विशेष मानवाधिकार प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं.
उनकी नियुक्ति जिनीवा स्थिति यूएन मानवाधिकार परिषद, किसी ख़ास मानवाधिकार मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच करके रिपोर्ट सौंपने के लिये करती है.
ये पद मानद होते हैं और मानवाधिकार विशेषज्ञों को उनके इस कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.