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आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस: नवाचारी समाधानों व बच्चों को साथ लेकर चलने का आहवान

आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस: नवाचारी समाधानों व बच्चों को साथ लेकर चलने का आहवान

उन्होंने रविवार को, आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर आगाह किया कि आपदाओं का बच्चों पर गहरा असर होता है.

“जब आपदा आती है, तो अपने साथ व्यक्तियों, समाजों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए विशाल तबाही लाती है. मौत, विध्वंस व विस्थापन के रूप में दूर तक फैले उनके असर अकल्पनीय हैं.”

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि जलवायु संकट के कारण आपदाएँ, शक्तिशाली हो रही हैं और उनकी आवृत्ति व गहनता बढ़ रही है.

“कोई भी सुरक्षित नहीं है, मगर बच्चे विशेष रूप से निर्बल हालात में हैं.

एक अरब बच्चों के लिए ख़तरा

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण, क़रीब एक अरब बच्चों पर गहरा जोखिम है. हाल के वर्षों में यह स्पष्ट हुआ है कि तबाही लाने वाली बाढ़ से हर साल बच्चों पर सर्वाधिक प्रभाव होता है.

आपदा के गुज़र जाने के बाद भी, उनके लिए शिक्षा, पोषण व स्वास्थ्य देखभाल में व्यवधान आता है. अक्सर, वे सामाजिक सेवाओं व संरक्षा के दायरे से दूर हो जाते हैं, जबकि विकलांग बच्चों के लिए ये विशेष रूप से ख़तरनाक हालात हैं.

निर्धन व वंचित परिवारों से आने वाले बच्चो के लिए भी हालात विकट हैं, और उन्हें आपदा व जलवायु परिवर्तन के असर से उबरने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

बच्चे, सर्वाधिक पीड़ितों में

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि कमज़ोर हालात में गुज़र-बसर करने के बावजूद, बच्चे इन आपदाओं के पीड़ित नहीं होते हैं. “उनका भविष्य में बहुत कुछ दाँव पर लगा होता है, और उनके विचार व नवप्रवर्तन से हमे आपदा जोखिम में कमी लाने में मदद मिल सकती है और सहनसक्षमता बढ़ाई जा सकती है.”

आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए अन्तरराष्ट्रीय दिवस हर वर्ष 13 अक्टूबर को मनाया जाता है. इस वर्ष की थीम, आपदा मुक्त भविष्य के लिए युवा सशक्तिकरण व इस प्रक्रिया में शिक्षा की भूमिका पर है.

यूएन प्रमुख के अनुसार, शिक्षा से ना केवल बच्चों की रक्षा की जा सकती है, बल्कि सर्वजन के लिए जोखिम में कमी लाने के इरादे से, उन्हें निर्णय-निर्धारण प्रक्रिया का भी हिस्सा बनाया जा सकता है.

महत्वपूर्ण उपाय

यूएन महासचिव ने देशों से आग्रह किया है कि आपदा जोखिमों में कमी लाने के लिए ठोस क़दम उठाए जाने होंगे. इनमें सम्पूर्ण आबादी को समय पूर्व चेतावनी प्रणाली के दायरे में लाना, आपदा का सामना करने के लिए स्कूलों में आवश्यकता अनुरूप बदलाव करना, और युवा सशक्तिकरण के ज़रिये उन्हें सहनसक्षमता का चैम्पियन बनाना है.

एंतोनियो गुटेरेश ने स्कूलों में बचाव फ़्रेमवर्क को पारित किए जाने का भी आग्रह किया, जोकि आपदा जोखि में कमी लाने और शिक्षा सैक्टर में सहनसक्षमता को बढ़ावा देने पर केन्द्रित एक रोडमैप है.

इसमें शिक्षा मंत्रालय, आपदा जोखिम प्रशासन व अन्य हितधारकों के लिए दिशानिर्देश व उपाय पेश किए गए हैं, ताकि सीखने-सिखाने के लिए बेहतर माहौल सृजित किया जा सके.  

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