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अमेरिका के WHO, पेरिस समझौते से हटने पर संयुक्त राष्ट्र ने प्रकट किया खेद

अमेरिका के WHO, पेरिस समझौते से हटने पर संयुक्त राष्ट्र ने प्रकट किया खेद

यूएन एजेंसियों ने मंगलवार को व्यक्त की गई प्रतिक्रिया में, अमेरिका के इन आदेशों से, सार्वजनिक स्वास्थ्य और वैश्विक तापमान वृद्धि को रोकने के प्रयासों पर सम्भावित नकारात्मक प्रभाव को उजागर किया है.

WHO के प्रवक्ता तारेक जसारेविक ने व्हाइट हाउस में नए राष्ट्रपति द्वारा एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटों बाद कहा, “WHO को इस घोषणा पर खेद है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, विश्व स्वास्थ्य संगठन से हटने का इरादा रखता है… हमें उम्मीद है कि संयुक्त राज्य अमेरिका इस पर पुनर्विचार करेगा.”

अमेरिका के इस कार्यकारी आदेश के तहत, 12 महीनों के भीतर, WHO में अमेरिका की भागेदारी समाप्त हो जाएगी.

ग़ौरतलब है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, 1948 में अमेरिकी संसद – कांग्रेस के दोनों सदनों में पारित एक संयुक्त प्रस्ताव के बाद WHO में शामिल हुआ था.

उस प्रस्ताव के अनुसार देश को संगठन छोड़ने के लिए एक वर्ष का नोटिस देना होता है.

दुनिया के बेहतर स्वास्थ्य में WHO का योगदान

राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2020 में WHO से हटने के लिए क़दम उठाए थे – लेकिन उनके बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार ने उस क़दम को उलट दिया था.

WHO के प्रवक्ता तारेक जसारेविक ने मंगलवार को, जिनीवा में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए ज़ोर देकर कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन, “बीमारी के मूल कारणों पर ध्यान देकर, मज़बूत स्वास्थ्य प्रणालियों का निर्माण करके, और अक्सर ख़तरनाक स्थानों पर बीमारी के प्रकोप सहित स्वास्थ्य आपात स्थितियों का पता लगाकर, उन्हें रोकने के लिए कार्रवाई करके, अमेरिकी लोगों सहित दुनिया के लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ऐसे इलाक़ों में भी, जहाँ अन्य लोग नहीं पहुँच सकते.”

तारेक जसारेविक ने, WHO से अमेरिका के हटने के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर बताया कि उन्होंने “आज सुबह सभी की तरह” कार्यकारी आदेश देखा और इस बारें में अधिक विश्लेषण की आवश्यकता होगी.

उन्होंने पुष्टि की कि अमेरिका, WHO का सबसे बड़ा दानदाता देश रह है जिसने वर्ष 2023 में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के बजट का 18 प्रतिशत हिस्सा अदा किया था.

इसके साथ ही, जिनीवा में, संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के कार्यालय (OCHA) के प्रवक्ता येंस लाएर्के ने संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “दुनिया, WHO की वजह से लम्बे समय तक जीवित और स्वस्थ रहती है और शायद कहीं अधिक ख़ुश भी”.

येंस लाएर्के ने कहा, “WHO उन स्थानों पर पहुँच सकता है, जहाँ, जहाँ अन्य लोग नहीं जा सकते,” जिनमें ग़ाज़ा, यमन, अफ़ग़ानिस्तान और सूडान शामिल हैं.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “यह (WHO) अन्तरराष्ट्रीय मानवीय प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा है.”

…जारी…

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