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अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान शासन ने, 20 वर्षों की स्थिर शैक्षणिक प्रगति को कर दिया ख़त्म

अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान शासन ने, 20 वर्षों की स्थिर शैक्षणिक प्रगति को कर दिया ख़त्म

UNESCO के आँकड़ों के मुताबिक़, देश में 14 लाख लड़कियों को जबरन स्कूलों से दूर रखा जा रहा है. इसके अलावा, प्रारम्भिक शिक्षा में भी गिरावट देखने को मिली है और अब पहले के मुताबिक़ 11 लाख कम लड़के व लड़कियाँ स्कूल जा रहे हैं. 

अगस्त 2021 में, तालेबान के सत्ता पर काबिज़ होने के तीन साल बाद जारी UNESCO के आँकड़े, अफ़ग़ानिस्तान में शिक्षा की स्थिति की गम्भीरता का सबूत देते हैं. 

सत्तारूढ़ तालेबान द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध के कारण, 2021 से लगभग 14 लाख लड़कियों को ज़बरदस्ती माध्यमिक शिक्षा से वंचित कर दिया गया है. 

इससे पहले अप्रैल 2023 में जारी किए गए यूनेस्को के आँकड़ों के मुक़ाबले, इस संख्या में 3 लाख की वृद्धि हुई है. ग़ौरतलब है कि हर साल और अधिक लड़कियाँ 12 साल की आयु सीमा पार करके शिक्षा से महरूम होती जा रही हैं.

अगर प्रतिबन्ध से पहले के समय में भी स्कूल से बाहर रही लड़कियों की संख्या भी इसमें जोड़ दी जाए, तो देश में शिक्षा के अधिकार से महरूम लड़कियों की संख्या लगभग 25 लाख तक पहुँच जाएगी, जोकि स्कूल जाने वाली उम्र की लड़कियों का 80 प्रतिशत भाग होगा.

तालेबान प्रशासन ने, सत्ता पर काबिज़ होने के तीन साल के अन्दर, अफ़ग़ानिस्तान में शिक्षा के क्षेत्र में दो दशकों की प्रगति को पूरी तरह मिटा दिया है और एक पूरी पीढ़ी का भविष्य अब जोखिम में है. 

यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने कहा, “आज विश्व में अफ़ग़ानिस्तान ही एक ऐसा देश है जो 12 वर्ष से ऊपर की लड़कियों व महिलाओं को पढ़ने की इजाज़त नहीं देता.

उन्होंने कहा, “यह स्थिति सभी के लिए चिन्ता का विषय होना चाहिए. शिक्षा का अधिकार बातचीत करने या समझौते का विषय नहीं है. अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को पूरी एकजुटता के साथ, अफ़ग़ान लड़कियों व महिलाओं के लिए बिना शर्त स्कूल व विश्वविद्यालय दोबारा खुलवाने के प्रयास करने होंगे.”

प्रारम्भिक शिक्षा पर असर

अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालेबान की वापसी के बाद लड़कियों की माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाई लिखाई ठप है.

© UN Women/Sayed Habib Bidell

हालाँकि 12 साल की उम्र तक लड़कियों को शिक्षा हासिल करने की अनुमति है लेकिन 2021 से छात्रों के प्रारम्भिक शिक्षा में भी दाख़िले में गिरावट आई है. यूनेस्को के नवीनतम डेटा के अनुसार, 2019 में अफ़ग़ानिस्तान में प्राइमरी स्कूलों में 68 लाख लड़के व लड़कियों की तुलना में, 2021 में केवल 57 लाख ने ही दाख़िला लिया.

प्राइमरी स्कूलों में दाख़िलों के घटने की प्रमुख वजह थी, सत्तारूढ़ प्रशासन द्वारा महिला अध्यापिकाओं को लड़कों को पढ़ाने की मनाही, जिससे अध्यापकों की कमी हो गई. 

इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि बढ़ती सामाजिक-आर्थिक कठिनाइयों के मद्देनज़र, माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने का उत्साह खो चुके हों. 

यूनेस्को ने स्कूलों से बाहर रहने की विशाल दर के हानिकारक परिणामों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे बाल मज़दूरी व बाल विवाह का ख़तरा बढ़ेगा.  

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी आँकड़े बेहद चिन्ताजनक तस्वीर पेश करते हैं. आँकड़ों के अनुसार, 2021 से विश्व विद्यालयों में दाख़िला लेने वाले छात्रों की संख्या आधी (53%) रह गई है. इसके परिणामस्वरूप, देश में उच्च कौशल वाले रोज़गारों के लिए स्नातकों की कमी हो जाएगी, जिससे विकास सम्बन्धी समस्याओं में वृद्धि होगी.

वैकल्पिक शिक्षा उपायों के लिए समर्थन

अफ़ग़ानिस्तान से निकलकर पाकिस्तान में पनाह लेनी वाली लड़कियाँ वहाँ तालीम हासिल करने के प्रयास कर रही हैं.

© UNHCR/Mercury Transformations

2021 से ही, यूनेस्को,  अफ़ग़ान लड़कियों को स्कूल वापस भेजने की पैरोकारी करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली अन्तरराष्ट्रीय एजेंसी रहा है और अपने साझीदारों के सथ मिलकर सीखने के वैकल्पिक तरीक़े विकसित करता रहा है. 

यूनेस्को ने, इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद, अफ़ग़ान लड़कियों और महिलाओं को सीखने की सम्भावनाएँ प्रदान करने के लिए, देश के 20 प्रान्तों में स्थानीय समुदायों की भागेदारी में कई कार्यक्रम शुरू किए हैं.

इन साक्षरता पाठ्यक्रमों के लिए 780 महिलाओं समेत 1000 से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है. इन पाठ्यक्रमों से लगभग 1,900 गाँवों के 55 हज़ार से अधिक युवाओं को लाभ हुआ है, जिनमें से अधिकाँश लड़कियाँ हैं. लेकिन जितनी संख्या में युवजन स्कूल से बाहर हैं, उसे देखते हुए यह काम आसान नज़र नहीं आता है.

यूनेस्को, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और ईरान जैसे पड़ोसी देशों में भी सक्रियता से अफ़ग़ान शरणार्थियों तथा विस्थापित आबादी को समर्थन दे रहा है. इन देशों में, अफ़ग़ान शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण केन्द्र भी खोले गए हैं.

यूनेस्को ने साथ ही, रेडियो व टेलीविज़न के ज़रिए, दूरस्थ शिक्षा में भी निवेश किया है, और शैक्षिक कार्यक्रमों के विकास एवं प्रसार की इच्छुक अफ़ग़ान मीडिया को वित्तीय सहायता तथा प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है.

उदाहरण के लिए,  मार्च 2021 में एक रेडियो स्टेशन, महिलाओं का बेगम संगठन स्थापित किया गया, जिसके बाद मार्च 2024 में एक केबल चैनल की स्थापना की गई. इनके ज़रिए, यूनेस्को के मीडिया भागीदारों से प्रसारित सामग्री, अनुमानित 1 करोड़ 70 लाख अफ़ग़ान दर्शकों तक पहुँच रही है.

हालाँकि सीखने के यह सभी वैकल्पिक साधन, अफ़ग़ान युवजन की सहनसक्षमता बढ़ाने में योगदान देते हैं, लेकिन यूनेस्को का मानना है कि कक्षा में आमने-सामने बैठकर पढ़ने का कोई विकल्प नहीं है. 

इसीलिए, संगठन की महानिदेशक ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, अफ़ग़निस्तान की लड़कियों व महिलाओं के शिक्षा के अधिकार की पूर्ण बहाली लिए एकजुट होकर प्रयास जारी रखने का आहवान किया है. 

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