अपनी मांग को लेकर किसान केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने अपनी सबसे बड़ी मांग रखते हुए साफ तौर पर कहा कि सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर एक कानून बनना चाहिए। फिलहाल किसानों का एक बड़ा समूह हरियाणा पंजाब बॉर्डर पर तैनात है। वह दिल्ली कूच करने की तैयारी में है। हालांकि, इन किसानों को रोकने की जबरदस्त कोशिश भी हुई है। पुलिस ने जगह-जगह बैरिकेट्स भी लगाए हैं। किसानों के प्रदर्शन को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए थे। बावजूद इसके किसान अपनी मांग पर पूरी तरीके से अड़े हुए हैं। किसानों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने उनसे जो वायदा किया था उसे पूरा नहीं किया गया है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानून को किसान आंदोलन को देखते हुए वापस लेने का ऐलान किया था। इसी के साथ उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया था कि उनकी मांगों को लेकर एक समिति स्थापित की जाएगी जो प्रभावी और पारदर्शित तरीके से उसपर विचार करेगा। इस पैनल का गठन सात महीने बाद किया गया था जब प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद दिल्ली की सीमा पर एकत्र हुए किसानों ने अपना साल भर का विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया था। समिति की संदर्भ शर्तों में एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी शामिल नहीं है।
कमिटी
समिति, जिसे “शून्य बजट आधारित खेती को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फसल पैटर्न को बदलने और एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने” के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 18 जुलाई, 2022 को अधिसूचित किया गया था। 26 सदस्यों वाली इस समिति के अध्यक्ष पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल हैं। इसके अन्य सदस्य हैं (i) नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद, (ii) दो कृषि अर्थशास्त्री, (iii) एक पुरस्कार विजेता किसान, (iv) संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के अलावा अन्य किसान संगठनों के पांच प्रतिनिधि, (v) किसान सहकारी समितियों/समूहों के दो प्रतिनिधि, (vi) कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) का एक सदस्य, (vii) कृषि विश्वविद्यालयों और संस्थानों के तीन व्यक्ति, (viii) भारत सरकार के पांच सचिव, (ix) चार राज्यों के चार अधिकारी, और (x) कृषि मंत्रालय से एक संयुक्त सचिव शामिल हैं।
पैनल का उद्देश्य
19 नवंबर, 2021 को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि सरकार ने तीन कृषि कानूनों (अब निरस्त) को वापस लेने का फैसला किया है। मोदी ने तब कहा था कि समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि अर्थशास्त्रियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। कृषि मंत्रालय का नोटिफिकेशन भी इसी तर्ज पर था।
पैनल का अधिदेश
मंत्रालय की 18 जुलाई, 2022 की अधिसूचना में कहा गया है कि समिति की “विषय वस्तु” में तीन बिंदु हैं: एमएसपी, प्राकृतिक खेती और फसल विविधीकरण। एमएसपी पर समिति से ”सिस्टम को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाकर देश के किसानों को एमएसपी उपलब्ध कराने” के लिए सुझाव मांगे गए हैं। पैनल को “घरेलू और निर्यात अवसरों का लाभ उठाकर किसानों को उनकी उपज की लाभकारी कीमतों के माध्यम से उच्च मूल्य सुनिश्चित करने के लिए देश की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार” कृषि विपणन प्रणाली को मजबूत करने के लिए सिफारिशें भी करनी है। समिति से “कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) को अधिक स्वायत्तता देने की व्यावहारिकता और इसे और अधिक वैज्ञानिक बनाने के उपायों” पर भी सुझाव मांगे गए थे।
पैनल में प्रगति
एमएसपी पर समिति की पहली बैठक 22 अगस्त, 2022 को हुई थी। कृषि मंत्रालय ने कहा है कि समिति “उसे सौंपे गए विषय मामलों” पर सक्रिय रूप से विचार-विमर्श करने के लिए नियमित आधार पर बैठक कर रही है। मंत्रालय के अनुसार, समिति द्वारा अब तक छह मुख्य बैठकें और इकतीस उप-समूह बैठकें/कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं। 18 जुलाई, 2022 की अधिसूचना में संजय अग्रवाल समिति का कार्यकाल निर्दिष्ट नहीं किया गया। इसलिए, समिति के पास कोई समय सीमा नहीं है जिसके द्वारा उसे अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी। संसद में दिए गए सरकार के जवाब के अनुसार इस समिति की स्थापना को 18 महीने हो चुके हैं और इस अवधि में इसकी 35 बार बैठकें हो चुकी हैं।