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अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) क्या है?

अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) क्या है?

वर्ष 2002 में स्थापित और नैदरलैंड्स की राजधानी द हेग में स्थित, आईसीसी एक आपराधिक न्यायालय है, जिसमें व्यक्तियों पर युद्ध अपराधों व मानवता के विरुद्ध अपराध मामलों में मुक़दमा चलाया जा सकता है.

सोमवार को, आईसीसी ने इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतनयाहू, प्रतिरक्षा मंत्री योआव गैलान्ट और हमास के तीन नेताओं के विरुद्ध गिरफ़्तार वॉरन्ट जारी किए जाने का अनुरोध किया है. 

ये वॉरन्ट, इसराइल में हमास के नेतृत्व में किए गए हमलों और उसके बाद, पिछले सात महीनों से ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य कार्रवाई से जुड़े मामलों में है. इन वॉरन्ट को आईसीसी न्यायाधीशों द्वारा औपचारिक स्वीकृति दी जा सकती है.

एक नज़र, आईसीसी से जुड़े पाँच अहम तथ्यों पर, और साथ ही जानते हैं कि एक अधिक न्यायसंगत विश्व को आकार देने में यह कोर्ट अपनी भूमिका किस प्रकार से निभा रही है.

इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतनयाहू यूएन महासभा के 78वें सत्र के दौरान, जनरल डिबेट को सम्बोधित कर रहे हैं.

इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतनयाहू यूएन महासभा के 78वें सत्र के दौरान, जनरल डिबेट को सम्बोधित कर रहे हैं.

1) जघन्यतम अपराधों के मुक़दमे चलाना 

आईसीसी को उन “लाखों बच्चों, महिलाओं और पुरुषों” को ध्यान में रखकर बनाया गया था, जो “मानवता की अन्तरात्मा को झकझोर देने वाले अकल्पनीय अत्याचारों के शिकार हुए थे.”  

आईसीसी विश्व की पहली स्थाई, सन्धि-आधारित अदालत है, जिसका दायित्व मानवता के विरुद्ध अपराधों, युद्ध अपराधों, जनसंहार व आक्रामकतापूर्ण अपराधों के दोषियों की जाँच करना व उन पर मुक़दमा चलाना है.

इस कोर्ट ने पूर्व यूगोस्लाविया के स्रेब्रेनीत्सा समेत अन्य इलाक़ों में अंजाम दिए गए युद्ध अपराध मामलों में सफलतापूर्वक दोष सिद्ध किए और अन्तरराष्ट्रीय न्याय से जुड़े कई अहम मामलों का निपटारा किया है. 

इनमें, बाल-सैनिकों का इस्तेमाल, सांस्कृतिक विरासत का विध्वंस, यौन हिंसा, या निर्दोष नागरिकों पर हमलों समेत अनेक अन्य मामले हैं. आईसीसी ने विश्व में कुछ सबसे गम्भीर हिंसक टकरावों की जाँच की है, जिनमें दारफ़ूर, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, ग़ाज़ा, जॉर्जिया व यूक्रेन समेत अन्य मामले हैं. 

अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में सार्वजनिक सुनवाई की जाती है, 31 मामलों की प्रक्रिया चल रही है, और इसकी वॉरन्ट सूची में रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के अलावा, लीबिया के कुछ व्यक्ति भी हैं.

मगर, एक वॉरन्ट को जारी करना और फिर संदिग्धों को पकड़ा जाना चुनौतीपूर्ण है. कोर्ट के पास अपने वॉरन्ट पर अमल के लिए पुलिस नहीं है और अक्सर आदेश को लागू करने के लिए उसे सदस्य देशों पर निर्भर रहना पड़ता है.

अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा दोषी क़रार दिए गए अधिकाँश व्यक्ति अफ़्रीकी देशों से हैं. 

दक्षिणी ग़ाज़ा के एक फ़ील्ड अस्पताल में गम्भीर कुपोषण व भूख-प्यास से पीड़ित एक बच्ची का उपचार हो रहा है. (अप्रैल 2024)

दक्षिणी ग़ाज़ा के एक फ़ील्ड अस्पताल में गम्भीर कुपोषण व भूख-प्यास से पीड़ित एक बच्ची का उपचार हो रहा है. (अप्रैल 2024)

2) पीड़ितों को शामिल करना 

यदि किसी दिन आप आईसीसी में अदालती प्रक्रिया को देखें, तो आपको गवाहों या पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों की आवाज़ सुनाई देगी. न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए उनकी बात सुना जाना ज़रूरी है.  

न्यायालय ना केवल सबसे जघन्य अपराधों के लिये ज़िम्मेदार लोगों को दंडित करने का प्रयास करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि पीड़ितों की आवाज़ सुनी जाएँ. पीड़ित वे व्यक्ति हैं, जिन्हें न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में किसी भी अपराध के परिणामस्वरूप पीड़ा पहुँची हो.

ये पीड़ित, आईसीसी की न्यायिक कार्यवाही के सभी चरणों में भाग लेते हैं. अत्याचार सम्बन्धी अपराधों में 10 हज़ार से अधिक पीड़ित, इस न्यायालय की कार्यवाही में भाग ले चुके हैं. आपराधिक न्यायालय, अपने सम्पर्क व पहुँच कार्यक्रमों के माध्यम से, अपने अधिकार क्षेत्र में अपराधों से प्रभावित समुदायों के साथ सीधे सम्पर्क बनाए रखता है.

न्यायालय, पीड़ितों एवं गवाहों की सुरक्षा और शारीरिक व मनोवैज्ञानिक अखंडता की रक्षा करने के लिए भी प्रयासरत है. हालाँकि पीड़ित व्यक्ति यहाँ सीधे अपने मामले लेकर नहीं आ सकते हैं, लेकिन वे अभियोजक को जानकारी दे सकते हैं, जो यह तय करते हैं कि कोई मामला जाँच के योग्य है या नहीं. 

वर्तमान में, पीड़ितों के लिए स्थापित ICC ट्रस्ट कोष, न्यायालय द्वारा क्षतिपूर्ति सम्बन्धी पहले आदेशों को वास्तविकता में बदलने में जुटा है. इनमें काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में पीड़ितों व उनके परिवारों के लिए मुआवज़े की मांग भी है. 

इस कोष ने अपने सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से साढ़े चार लाख से अधिक पीड़ितों को शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक-आर्थिक सहायता भी प्रदान की है.

आईसीसी अभियोजक करीम ख़ान, लीबिया के तरहुनाह का दौरा कर रहे हैं, जहाँ कई सामूहिक क़ब्रें बरामद की गई हैं.

आईसीसी अभियोजक करीम ख़ान, लीबिया के तरहुनाह का दौरा कर रहे हैं, जहाँ कई सामूहिक क़ब्रें बरामद की गई हैं.

3) निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करना

आईसीसी के समक्ष, सन्देह से परे दोष साबित होने तक सभी प्रतिवादियों को निर्दोष माना जाता है. सभी प्रतिवादी सार्वजनिक और निष्पक्ष कार्यवाही के हक़दार होते हैं.

आईसीसी में, संदिग्धों और अभियुक्तों के पास महत्वपूर्ण अधिकार होते हैं, जिनमें: आरोपों के बारे में जानकारी पाने; अपना बचाव तैयार करने के लिये पर्याप्त समय मिलने; बिना किसी देरी के मुक़दमा चलाए जाने; स्वतंत्र रूप से वकील का चुनाव करने; अभियोजक से दोषमुक्ति सम्बन्धी साक्ष्य प्राप्त करना आदि शामिल है.

इन अधिकारों में से एक है – उस भाषा में कार्यवाही करने का अधिकार, जो अभियुक्त को पूरी तरह समझ में आती हो. इसके मद्देनज़र, अदालत ने 40 से अधिक भाषाओं में विशेष दुभाषियों व अनुवादकों को भर्ती किया है, और कभी-कभी एक ही सुनवाई के दौरान एक साथ चार भाषाओं का इस्तेमाल किया जाता है.

अपने पहले 20 वर्षों में, प्रतिभागियों को अपराध स्थलों से मीलों दूर, नई व्यवस्था, प्रक्रियात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इसके अलावा, ICC द्वारा अभियोजित अपराध एक विशिष्ट प्रकृति के होते हैं, जिन्हें अक्सर बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जाता है.

इसके लिए बड़े पैमाने पर साक्ष्यों की ज़रूरत होती है, और गवाहों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जानी अहम है. अदालती कार्यवाही जटिल है और ऐसे अनेक विषय हैं जिन्हें सुनवाई के दौरान पर्दे के पीछे हल करने की आवश्यकता पड़ती है.

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) के उत्तरी किवू में, पीड़ितों की सहायता के लिये ट्रस्ट कोष के समर्थन के माध्यम से, डोरिका - महिलाओं के यौन हिंसा पीड़ितों के समूह का हिस्सा बनीं, और अब स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिये माइक्रो-क्रेडिट ऋण प्राप्त कर रही हैं

4) राष्ट्रीय अदालतों की पूरक व्यवस्था

यह न्यायालय, राष्ट्रीय न्यायालयों की जगह नहीं लेता. यह केवल न्याय के अन्तिम उपाय के रूप में काम करता है. सबसे गम्भीर अपराधों को अंजाम देने वालों की जाँच करने और उन्हें दंडित करने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी देशों की ही होती है. 

आईसीसी द्वारा केवल तभी क़दम उठाया सकता है, जब किसी देश में न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के तहत जघन्य अपराध हुआ हो, मगर वो क़दम उठाने के लिये अनिच्छुक हो या असल में उसका निपटारा करने में असमर्थ हो.

दुनिया भर में गम्भीर हिंसा तेज़ी से बढ़ रही है. न्यायालय के पास सीमित संसाधन हैं और यह एक समय में बहुत कम मामले ही निपटा सकता है. यह न्यायालय, राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय न्यायाधिकरणों के साथ मिलकर काम करता है.

रूसी महासंघ के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन, यूएन महासभा के 70वें सत्र के दौरान जनरल डिबेट को सम्बोधित कर रहे हैं. (सितम्बर 2015)

5) न्याय के लिये अधिक सहयोग जुटाना

सभी महाद्वीपों के 123 देशों के समर्थन से, आईसीसी ने स्वयं को एक स्थाई व स्वतंत्र न्यायिक संस्था के रूप में स्थापित किया है. लेकिन राष्ट्रीय न्यायिक प्रणाली के विपरती, इस न्यायालय के पास अपनी पुलिस नहीं है.

इस वजह से, कोर्ट को अपने गिरफ़्तारी वॉरंट या सम्मन लागू करने जैसे कार्यों के लिये देशों के सहयोग पर निर्भर रहना पड़ता है.

और ना ही, कोर्ट के पास ऐसा कोई क्षेत्र है, जहाँ ग़वाहों को उनकी सुरक्षा के मद्देनज़र भेजा जा सकता हो. इस वजह से कोर्ट, काफ़ी हद तक, देशों के समर्थन व सहयोग पर ही निर्भर है.

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