विश्व

अथक प्रयासों के बावजूद, कर्मचारियों की रक्षा में यूएन की असमर्थता पर महासचिव क्षुब्ध

अथक प्रयासों के बावजूद, कर्मचारियों की रक्षा में यूएन की असमर्थता पर महासचिव क्षुब्ध

इनमें 135 महिलाएँ व पुरुष कर्मचारी, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) के कर्मचारी हैं, जो 7 अक्टूबर को इसराइल पर हुए हमलों के बाद ग़ाज़ा पट्टी में इसराइली सैन्य कार्रवाई में मारे गए.

इनमें से अनेक कर्मचारी की मौत अपने परिजनों व उन समुदायों के भीतर हुई है, जिनके लिए वे सेवारत रहे. 

संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम अधिकारी एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि यूएन की स्थापना के बाद से अब तक, किसी एक हिंसक टकराव या प्राकृतिक आपदा में अपनी जान गँवाने वाले यूएन कर्मियों की यह सबसे बड़ी संख्या है. “एक ऐसी वास्तविकता, जिसे हम कभी स्वीकार नहीं कर सकते हैं.”

महासचिव गुटेरेश ने दोहराया कि इन मौतों के लिए पूर्ण जवाबदेही तय किए जाने की आवश्यकता है. “उनके परिवारजन व मित्रों, उनके सहकर्मियों और दुनिया के लिए यह हमारा दायित्व बनता है.”

“हमारे UNRWA कर्मचारी ग़ाज़ा में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के प्रतिनिधियों के तौर पर जिए और उनकी मौत हुई, और वो समुदाय इस पर स्पष्टीकरण का हक़दार है.”

परिवारजन ने गँवाई जान 

गुरूवार को ट्रस्टीशिप परिषद में यह समारोह आयोजित किया गया, जहाँ मृतक कर्मचारियों के नाम पढ़े गए. संगठन के नियम अनुसार, इस सेवा में प्रियजन के नाम शामिल करने के लिए उनके परिवारों से अनुमति ली गई थी.

मगर, यूएन एजेंसी UNRWA के लिए केवल 22 परिवारों से ही सम्पर्क साधा जा सका.

यूएन प्रमुख ने कहा कि, “दुर्भाग्यवश, हम हमारे UNRWA सहकर्मियों के कई परिवारजन से सम्पर्क करने में असमर्थ हैं, चूँकि या तो उनकी मौत हो गई है या फिर इसराइसी सैन्य अभियान के कारण वे अपने घरों से जबरन विस्थापित हुए हैं.”

शेष UNRWA कर्मचारियों को उनके नाम व पद के साथ याद किया गया. यूएन प्रमुख ने कहा कि वे शिक्षक, वाहन चालक, डॉक्टर, स्वच्छता कर्मचारी, गार्ड, फ़ार्मेसिस्ट, सहायक व अन्य क्षेत्रों में सेवारत थे.

“वे माँ, पिता, पुत्र, बेटी, पति और पत्नी थे. वे हमारे सहकर्मी थे. हमें हमारे मित्र थे.”

यूएन प्रमुख ने अत्यधिक दुख जताया कि उनके सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, ग़ाज़ा में यूएन कर्मचारियों की रक्षा नहीं की जा सकी.

एकजुट राष्ट्रों के प्रतीक

1 जनवरी से 31 दिसम्बर 2023 के दौरान, कुल 37 देशों के यूएन कर्मचारियों ने अपनी जान गँवाई, जो 18 संस्थाओं के साथ कार्यरत थे. वे सैन्य, पुलिस और असैनिक कर्मचारी थे. 

महासचिव ने ध्यान दिलाया कि वे एकजुट राष्ट्रों के प्रतीक थे. उनके काम में बहुपक्षवाद को देखा जा सकता था. और इसी के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया.

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि राजनैतिक रूप से विभाजित इस दुनिया में, संयुक्त राष्ट्र के बुनियादी मूल्य, पहले से कहीं अधिक अहम हैं.

“हमारी भिन्नताओं के बावजूद, हम सभी को सहमत होना चाहिए कि जो लोग संयुक्त राष्ट्र के ध्वज तले इन मूल्यों की सेवा करते हैं, वे संरक्षण पाने के हक़दार हैं. 

Source link

Most Popular

To Top