सूडान में यूएन की शीर्ष मानवतावादी अधिकारी क्लेमेन्टाइन न्क्वेटा-सलामी ने इस हमले पर गहरा क्षोभ प्रकट किया है. उन्होंने अपने सन्देश में कहा है कि WFP क़ाफ़िले से लूटी गई सहायता सामग्री अब सर्वाधिक ज़रूरतमन्दों तक नहीं पहुँच पाएगी.
यूएन एजेंसी ने सूडान में प्रशासनिक एजेंसियों से दोषियों की जवाबदेही तय किए जाने का आग्रह किया है, और ध्यान दिलाया है कि सभी पक्षों को सहायता आपूर्ति सुरक्षित ढंग से वितरित करने की व्यवस्था की गारंटी देनी होगी.
सूडान में यह हमला बद से बदतर होते मानवीय संकट की पृष्ठभूमि में हुआ है, जिसकी वजह देश में परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच युद्ध है, जिसने देश को अकाल के कगार पर धकेल दिया है.
सूडान की आधी से अधिक आबादी, क़रीब 2.6 करोड़ लोग संकट स्तर पर भूख से जूझ रहे हैं, जबकि 94 लाख अपने घर छोड़कर जाने के लिए मजबूर हुए हैं. इनमें 19 लाख लोगों ने पड़ोसी देशों में शरण ली है.
दारफ़ूर क्षेत्र में हालात विशेष रूप से चिन्ताजनक हैं, जहाँ सूडान के सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच भीषण लड़ाई हो रही है.
सहायता धनराशि की दरकार
यूएन मानवीय सहायताकर्मियों के अनुसार, प्रान्तीय राजधानी अल फ़शर में घनी आबादी वाले इलाक़ों में लड़ाई के बीच आठ लाख लोगों का भविष्य अधर में है, और मानवीय सहायता सेवाओं में व्यवधान आया है.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ, सूडान में विशाल चुनौतियों और असुरक्षा के बावजूद ज़रूरतमन्द आबादी तक मानवीय सहायता और संरक्षण सेवाएँ पहुँचाने में जुटी हैं.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) अपने साझेदार संगठनों के साथ मिलकर बच्चों व उनके परिवारजन तक सुरक्षित पेयजल, स्वास्थ्य देखभाल और कुपोषण जाँच समेत अन्य सेवाएँ पहुँचा रहा है.
यूएन खाद्य कार्यक्रम ने भी आपात राहत अभियान का दायरा बढ़ाया है और 2024 में मदद पाने वाली ज़रूरतमन्द आबादी की संख्या बढ़कर 87 लाख हो गई है.
मगर, यूएन एजेंसियों ने आगाह किया है कि अकाल को टालने के लिए अतिरिक्त सहायता धनराशि की दरकार होगी और मानवीय सहायता मार्ग मुहैया कराया जाना होगा.
सूडान में मानवीय राहत प्रयासों के तहत, डेढ़ करोड़ लोगों तक मदद पहुँचाने के लिए कुल 2.7 अरब डॉलर की अपील की गई थी, मगर 24 जून तक 44.74 करोड़ डॉलर का ही प्रबन्ध हो पाया है.