संयुक्त राष्ट्र के शान्ति अभियानों के लिए अवर महासचिव जियाँ पियर लैक्रुआँ ने, सोमवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि यूएन शान्ति अभियान, देशों के सामूहिक सहयोग के बल पर ही सक्षम हो सकते हैं.
उन्होंने सुरक्षा परिषद में राजदूतों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भूराजनैतिक तनावों में वृद्धि हुई है, और ये इस सुरक्षा परिषद में भी देखा गया है. इस सन्दर्भ में बदलते वैश्विक और क्षेत्रीय समीकरणों के बीच, शान्तिरक्षा अभियान, अपने शासनादेश के अनुसार, सक्षम और एकीकृत रूप में काम करने के लिए, सदस्य देशों पर भरोसा नहीं कर सकते.
अवर महासचिव ने कहा कि आज के समय शान्तिरक्षा अभियानों को, पारदेशीय संगठित अपराधों, संसाधनों के ग़ैर-क़ानूनी शोषण, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, सस्ती शस्त्र-टैक्नॉलॉजी के फैलाव, और लक्षित दुस्सूचना अभियानों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
जियाँ पियर लैक्रुआँ ने कहा कि इन तमाम चुनौतियों के बावजद, इस समय लगभग 70 हज़ार शान्तिरक्षक, अपना साहसिक कार्य जारी रखे हुए हैं. ये शान्तिरक्षक हर दिन आम लोगों की ज़िन्दगियों की सुरक्षा, विस्फोटक सामग्रियों व युद्ध से बची अनफटी विस्फोटक सामग्रियों को साफ़ करने, नाज़ुक युद्धविराम को लागू कराने और टकराव व संघर्षों को भड़कने से रोकने में योगदान करते हैं.
उन्होंने इस सन्दर्भ में काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, लेबनान, दक्षिण सूडान और आबिये में यूएन शान्तिरक्षा मिशनों के योगदान का ख़ास ज़िक्र किया.
शान्तिरक्षा की सीमितता
यूएन शान्तिरक्षक निसन्देह स्थिरता क़ायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं मगर व्यापक राजनैतिक समर्थन के बिना केवल उनके प्रयास पर्याप्त नहीं हैं.
जियाँ पियर लैक्रुआँ ने ज़ोर देकर कहा कि यूएन शान्तिरक्षक अपने स्तर व दम पर, एक सीमित दायरे तक ही सेवाएँ दे सकते हैं.
ऐसे में उन्होंने सुरक्षा परिषद और सदस्य देशों से, यूएन शान्तिरक्षा मिशनों को एकजुट समर्थन मुहैया कराने और टकरावों के राजनैतिक समाधानों को प्रोत्साहन देने का आग्रह किया.