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म्याँमार: गहराते हिंसक टकराव के बीच, बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने का आग्रह

म्याँमार: गहराते हिंसक टकराव के बीच, बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने का आग्रह

यूनीसेफ़ के उप कार्यकारी निदेशक टैड चायबान ने गुरूवार को जारी अपने एक वक्तव्य में बताया कि देश भर में 34 लाख लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें 40 प्रतिशत से अधिक बच्चे हैं.

इस वर्ष, अब तक हुई हिंसक घटनाओं में कम से कम 650 बच्चों की या मौत हुई है या फिर वे अपंग हुए हैं. बारूदी सुरंगों और युद्ध के विस्फोटक अवशेषों की चपेट में आने से एक हज़ार से अधिक आम नागरिक हताहत हुए हैं, जिनमें 32 फ़ीसदी बच्चे हैं.

उन्होंने हाल ही में हिंसक टकराव से प्रभावित इलाक़ों की यात्रा के दौरान, हिंसा व चक्रवाती तूफ़ान जैसी आपदाओं से बच्चों पर होने वाले असर को प्रत्यक्ष तौर पर देखा. तूफ़ान के कारण बड़े पैमाने पर बाढ़ आई, जिससे 10 लाख से अधिक लोगों पर असर हुआ है.

“मैंने परिवारों से उनकी हृदयविदारक व्यथा को सुना है—बच्चे स्वास्थ्य देखभाल व शिक्षा समेत अहम सेवाओं से कट गए हैं, और हिंसा व विस्थापन के प्रभावों की पीड़ा भोग रहे हैं.”

फ़रवरी 2021 में, म्याँमार की सेना ने लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार को सत्ता से बेदख़ल कर दिया था और राष्ट्रपति विन म्यिन्त, स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची समेत सैकड़ों अधिकारियों, राजनैतिक नेताओं को गिरफ़्तार कर लिया था.

इसके बाद से ही देश अशान्ति व अस्थिरता से जूझ रहा है. सैन्य बलों और अलगाववादियों व विरोधी गुटो के बीच सशस्त्र संघर्ष में तेज़ी आई है. अतीत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं और लाखों लोग, मानवीय संकट के दंश को झेल रहे हैं.

सुरक्षा का सिमटता दायरा

यूनीसेफ़ के वरिष्ठ अधिकारी ने 15 नवम्बर को काचीन के एक चर्च परिसर पर हुए हमले की पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया, जिसमें सात बच्चों समेत 9 लोग मारे गए थे. हमले के समय बच्चे वहाँ फ़ुटबॉल खेल रहे थे.

“मैंने काचीन का दौरा किया और सीधे तौर पर अनुभव किया कि बच्चे व अन्य आम नागरिक हिंसक टकराव से प्रभावित इलाक़ों में कितने सम्वेदनशील हालात में हैं.”

नागरिक इलाक़ों में जानलेवा हथियारों का ज़्यादा इस्तेमाल किए जाने और घरों, अस्पतालों व स्कूलों को निशाना बनाए जाने पर गहरी चिन्ता जताई गई है. उप कार्यकारी निदेशक के अनुसार, इससे बच्चों के लिए सुरक्षित स्थलों का दायरा सिमट रहा है और उनसे सुरक्षा व सलामती का अधिकार छीना जा रहा है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ऐसे बर्बर हमलों से आम नागरिकों की रक्षा करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून का सख़्ती से अनुपालन किया जाना होगा.

म्याँमार के अशान्त पूर्वी क्षेत्र से जान बचाकर भागने के बाद एक परिवार सुरक्षा की तलाश में है. (फ़ाइल)

© UNOCHA/Siegfried Modola

म्याँमार के अशान्त पूर्वी क्षेत्र से जान बचाकर भागने के बाद एक परिवार सुरक्षा की तलाश में है. (फ़ाइल)

सहायता प्रयासों के लिए समर्थन

टैड चायबान ने हिंसक टकराव में शामिल पक्षों के साथ मुलाक़ात की और हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में फँसे बच्चों व परिवारों के लिए मानवीय सहायता पहुँचाने की अनुमति देने का आग्रह किया.

इस क्रम में, प्रशासनिक अवरोधों को हटाना, सहायता अभियान संचालन के लिए अनुकूल माहौल का निर्माण करना, और हिंसा से बचकर जा रहे लोगों को सुरक्षित मार्ग मुहैया कराना ज़रूरी होगा.

असुरक्षा, लालफीताशाही सम्बन्धी अवरोधों और दूरसंचार व निजी सुरक्षा उपकरणों के अभाव में ज़रूरतमन्द आबादी तक पहुँच पाना चुनौतीपूर्ण है.

इन चुनौतियों के बावजूद, यूनीसेफ़ अपने मानवतावादी साझेदार संगठनों के साथ मिलकर बच्चों व उनके परिवारों तक जीवनरक्षक सहायता व सेवाएँ पहुँचाने में जुटा है. इसके तहत, उन्हें स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा समेत अन्य मदद मुहैया कराई जा रही है, विशेष रूप से लड़ाई के अग्रिम मोर्चों व दुर्गम इलाक़ों में फँसे समुदायों तक.

यूनीसेफ़ ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से मानवीय सहायता प्रयासों के लिए अपना वित्तीय समर्थन बढ़ाने की अपील की है और सचेत किया है कि हाथ पर हाथ धर कर बैठने की ऊँची क़ीमत चुकानी पड़ सकती है.

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