महासचिव गुटेरेश ने सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता टैक्नॉलॉजी के लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बचाव उपाय स्थापित करने के इरादे से निर्णायक क़दम उठाए जाने होंगे.
“अन्तरराष्ट्रीय रक्षा उपाय स्थापित करने में होने वाली देरी के हर एक क्षण से, हम सभी के लिए ख़तरा बढ़ता जाएगा.”
उन्होंने कहा कि एआई में त्वरित बदलावों और मानव निरीक्षण क्षमता के बीच अन्तर बढ़ने से जवाबदेही, समानता, सुरक्षा व मानव निरीक्षण व्यवस्था के लिए बड़े सवाल खड़े होंगे.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने स्पष्ट किया कि किसी भी देश को सशस्त्र टकराव के दौरान एआई के ऐसे सैन्य इस्तेमाल, तैनाती, डिज़ाइन या टैक्नॉलॉजी विकास से बचना होगा, जिससे अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी और मानवाधिकार क़ानूनों का हनन हो.
इनमें सैन्य टकराव के दौरान ठिकानों को निशाना बनाने के लिए स्वायत्त एआई प्रणाली पर निर्भरता भी है, जिसमें टैक्नॉलॉजी की मदद से स्वत: चयन किया जाता है.
उन्होंने सचेत किया कि इन उभरती हुई टैक्नॉलॉजी पर भूराजनैतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, मगर इससे अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा हालात को अस्थिर नहीं होने देना होगा.
दोधारी तलवार
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि एआई एक दोधारी तलवार की तरह है, जिसमें अपार सम्भावनाएँ व लाभ निहित हैं, मगर अनेक ख़तरे भी हैं.
जैसेकि एआई की मदद से जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले विस्थापन का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, या बारूदी सुरंगों का पता लगाना भी सम्भव है. मगर, सैन्य प्रणालियों में इसे शामिल किए जाने और डिजिटल सुरक्षा में ग़लत इस्तेमाल से बड़े ख़तरे हैं.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि हाल के समय में हिंसक टकरावों के दौरान एआई के सैन्य इस्तेमाल का परीक्षण किया गया है. इस टैक्नॉलॉजी के ज़रिये स्वायत्त ढंग से स्थिति की निगरानी की गई, और जीवन-मृत्यु से जुड़े फ़ैसले भी लिए गए.
उन्होंने चिन्ता जताई कि एआई को परमाणु हथियारों में एकीकृत किया जाना, विशेष रूप से चिन्ता की वजह है और क्वांटम-एआई प्रणाली से वैश्विक सुरक्षा अस्थिरता का शिकार हो सकती है.
“मानवता के भाग्य को किसी एक ऐल्गोरिथम के ‘ब्लैक बॉक्स’ के भरोसे नहीं छोड़ना होगा.” इस क्रम में, उन्होंने बल प्रयोग से जुड़े निर्णयों में मानव नियंत्रण की अहमियत को रेखांकित किया है.
दरकता भरोसा
यूएन प्रमुख ने कहा कि सूचना के क्षेत्र में एआई की भूमिका एक और बड़ी चिन्ता का विषय है. ‘डीपफ़ेक’ और एआई द्वारा जानबूझकर तैयार की गई ग़लत जानकारी से सार्वजनिक राय को बदला जा सकता है, संकटों को हवा दी जा सकती है, जिससे समाजों में भरोसा कमज़ोर होगा.
एआई से पर्यावरणीय ख़तरे भी हैं और उनके डेटा केन्द्र के लिए बड़े पैमाने पर संसाधनों की आवश्यकता होती है, जिससे महत्वपूर्ण खनिजों के लिए भूराजनैतिक प्रतिस्पर्धा में तेज़ी आने की आशंका है.
“अभूतपूर्व वैश्विक चुनौतियाँ, अभूतपूर्व वैश्विक सहयोग की पुकार लगाती हैं.” उन्होंने कहा कि एक साथ मिलकर, यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई का लाभ हर किसी तक पहुँचे व इससे विषमताएँ और पैनी ना हों.
वैश्विक फ़्रेमवर्क पर बल
यूएन प्रमुख ने एआई की वैश्विक संचालन व्यवस्था के लिए कुछ अहम क़दमों का खाका प्रस्तुत किया है, जिनमें यूएन वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट भी है, जिसे भविष्य-सम्मेलन के दौरान पारित किया गया था.
साथ ही, जनरल असेम्बली में वैश्विक सहयोग को मज़बूती देने और क्षमता निर्माण के लिए दो अहम प्रस्तावों को समर्थन मिला था. एक अन्य प्रस्ताव, सैन्य क्षेत्र में एआई के इस्तेमाल पर केन्द्रित है, जिस पर आगामी दिनों में यूएन महासभा द्वारा विचार-विमर्श किया जाएगा.
यूएन प्रमुख ने घातक स्वायत्त हथियारों पर पाबन्दी लगाने के लिए अपनी अपील को दोहराया और सुरक्षा परिषद से आग्रह किया कि एआई के सैन्यीकरण की रोकथाम के लिए उदाहरण पेश किया जाना होगा, ताकि एक सुरक्षित व समावेशी एआई भविष्य की ओर बढ़ा जा सके.