उन्होंने कहा कि 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए आतंकी हमलों और लोगों को बन्धक बनाए जाने को किसी भी तरह से जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है. “और ना ही, फ़लस्तीनी लोगों को सामूहिक दंड देने को न्यायसंगत कहा जा सकता है.”
पिछले साल इसराइल में हमलों के बाद इसराइली सैन्य बलों की कार्रवाई में, ग़ाज़ा बर्बादी के ढेर में तब्दील हो चुका है. 43 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें अधिकाँश महिलाएँ व बच्चे हैं.
यूएन उप प्रमुख आमिना मोहम्मद ने महासचिव की ओर से सम्बोधित करते हुए ग़ाज़ा पट्टी में बद से बदतर हो रहे मानवीय संकट और व्यथित कर देने वाले हालात पर गहरी चिन्ता जताई.
शीर्ष यूएन अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि ग़ाज़ा पट्टी में लाखों हताश व ज़रूरतमन्दों को तत्काल मानवीय सहायता पहुँचाने का प्रबन्ध किया जाना होगा.
“मैं फ़लस्तीनी लोगों के लिए जीवनरक्षक मानवतावादी राहत के लिए पूर्ण समर्थन की अपील करती हूँ, विशेष रूप से UNRWA के कामकाज के ज़रिये, जोकि लाखों फ़लस्तीनियों के लिए एक ऐसी जीवनरेखा है जिसका स्थान कोई और नहीं ले सकता है.”
उन्होंने तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने और सभी बन्धकों को बिना शर्त रिहा किए जाने की अपील दोहराते हुए कहा कि फ़लस्तीनी क्षेत्र के अवैध क़ब्ज़े का अन्त किए जाने की आवश्यकता है, जिसकी पुष्टि अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय और यूएन महासभा ने भी की है.
उप महासचिव आमिना मोहम्मद के अनुसार, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और यूएन प्रस्तावों के अनुरूप दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में आगे बढ़ने की ज़रूरत है, और येरूशेलम राजधानी के साथ इसराइल व फ़लस्तीन को शान्ति व सुरक्षा में एक साथ रहना होगा.
उन्होंने भरोसा दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र, फ़लस्तीनी लोगों के लिए शान्ति, सुरक्षा व गरिमा के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए एकजुटता में साथ है.
भरोसा बहाल कीजिए
यूएन महासभा के 79वें सत्र के लिए अध्यक्ष फ़िलेमॉन यैंग ने फ़लस्तीनी आबादी में आशा व भरोसे को फिर से बहाल करने के लिए प्रयास किए जाने पर बल दिया—एक बेहतर भविष्य के लिए आशा और संयुक्त राष्ट्र व उसके संकल्पों में विश्वास.
उनके अनुसार, ग़ाज़ा पट्टी में युद्धविराम को लागू करने, सभी बन्धकों की तत्काल रिहाई और एक दीर्घकालिक शान्ति की दिशा में वार्ता की मांग के साथ इस भविष्य को आकार दिया जा सकता है.
महासभा प्रमुख ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि इसराइल-फ़लस्तीन टकराव का हल ढूंढने के लिए व्यापक स्तर पर ठोस, न्यायसंगत क़दम उठाए जाने होंगे.
“एक समाधान जिसकी बुनियाद अन्तरराष्ट्रीय क़ानून, यूएन चार्टर और संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रस्तावों में हो.”
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1977 में एक प्रस्ताव पारित करके, हर वर्ष 29 नवम्बर को फ़लस्तीनी लोगों के साथ अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी.
400 दिनों से जारी युद्ध
यूएन में फ़लस्तीन के स्थाई पर्यवेक्षक रियाद मन्सूर ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस वर्ष यह दिवस ऐसे समय में आया जब ग़ाज़ा में आम लोग पिछले 400 दिन से अधिक समय से जनसंहारक युद्ध की पीड़ा झेल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इस हिंसक टकराव में हज़ारों आम लोगों की जान गई है, जिनमें अधिकाँश बच्चे, महिलाएँ व बुज़ुर्ग हैं.
उनके अनुसार, क़ाबिज़ शक्ति इसराइल के सैन्य बलों ने जानबूझकर, व्यवस्थागत ढंग से आम नागरिकों को निशाना बनाया है, जोकि उनके लोगों को विस्थापित करने, उनकी भूमि व संसाधनों को ज़ब्त करने की मंशा से किया गया है.
फ़लस्तीनी पर्यवेक्षक ने कहा कि अब यह पूरी दुनिया के लिए स्पष्ट हो चुका है कि मध्य पूर्व में सुरक्षा व स्थिरता ना होने की मुख्य वजह, यह ग़ैरक़ानूनी क़ब्ज़ा है, जिसे फ़लस्तीनी राष्ट्र के क्षेत्र से हटाया जाना होगा.