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थाईलैंड से उईगर लोगों के जबरन चीन निर्वासन को रोकने का आग्रह

थाईलैंड से उईगर लोगों के जबरन चीन निर्वासन को रोकने का आग्रह

मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त इन स्वतंत्र विशेषज्ञों ने मंगलवार को जारी एक वक्तव्य में कहा है, “चीन में उईगर अल्पसंख्यकों के साथ किए जाने वाले व्यवहार के बारे में दस्तावेज़ों पर आधारित पक्की जानकारी उपलब्ध है.”

“हम चिन्तित हैं कि उईगर लोगों को अपूरणीय क्षति होने का गम्भीर जोखिम है.”

इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने उईगर लोगों को जबरन चीन भेजे जाने की स्थिति पर क़ायम अन्तरराष्ट्रीय प्रतिबन्ध पर ज़ोर दिया. यह प्रतिबन्ध किन्हीं व्यक्तियों को उन देशों में वापस भेजने से रोकता है जहाँ उन्हें यातना या क्रूर व्यवहार के वास्तविक जोखिम का सामना करना पड़ता है.

उन्होंने थाईलैंड से, हिरासत में लिए गए ज़्यादातर उईगरों को तत्काल चिकित्सा देखभाल प्रदान करने का आग्रह किया, जिनमें अधिकतर मुस्लिम हैं.

ये 48 व्यक्ति उन 350 उईगरों के समूह का हिस्सा हैं, जिन्हें वर्ष 2014 में अनिमियत रूप से सीमा पार करने पर थाईलैंड में हिरासत में ले लिया गया था, और वो तब से हिरासत में ही हैं.

उन्हें क़ानूनी प्रतिनिधित्व मुहैया कराए बिना, परिवार के सदस्यों या संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों से मिलने की अनुमति दिए बना ही, एक दशक से अधिक समय तक, किसी अज्ञात स्थान पर हिरासत में रखा गया है.

वापसी नहीं

इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है, “हमारा मानना ​​है कि इन लोगों को चीन वापस नहीं भेजा जाना चाहिए.”

“उन्हें शरण प्रक्रियाओं और मानवीय सहायता तक पहुँच प्रदान की जानी चाहिए, जिसमें चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सहायता मुहैया कराया जाना भी शामिल है.”

विशेषज्ञों ने ज़ोर देकर कहा कि हिरासत में लिए गए 48 उईगरों में से 23 लोग मधुमेह, गुर्दे की शिथिलता और पक्षाघात सहित गम्भीर स्वास्थ्य स्थितियों से पीड़ित हैं.

विशेषज्ञों ने कहा, “यह आवश्यक है कि उन्हें उचित चिकित्सा देखभाल मिले.”

थाईलैंड के अधिकारियों से, सभी बन्दियों के साथ मानवीय बर्ताव और सम्मान के साथ व्यवहार करने के लिए कहा गया है

साथ ही अधिकारियों को, इन उईगर लोगों को क़ानूनी प्रतिनिधित्व मुहैया कराने, चिकित्सा सहायता और वकीलों और परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत करने की सुविधा सुनिश्चित करने के उनके दायित्व की याद भी दिलाई गई है.

मानवाधिकार विशेषज्ञों के इस आग्रह में, थाईलैंड के लिए अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों को बनाए रखने और उईगर बन्दियों को सम्भावित नुक़सान से बचाने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया है.

विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं, उन्हें अपने काम के लिए, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है, और वे किसी भी सरकार या संगठन से पूरी तरह स्वतंत्र होते हैं.

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