फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA के मुखिया फ़िलिपे लज़ारिनी ने सोशल मीडिया मंचों पर कहा है कि ग़ाज़ा के लोगों को एक और मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है: हेपेटाइटिस-A संक्रामक रोग अपने पैर पसार रहा है, बच्चों में भी.
उन्होंने कहा कि अक्टूबर (2023) में युद्ध शुरू होने के बाद से, UNRWA ने अपने आश्रय स्थलों और क्लीनिकों में हेपेटाइटिस बीमारी के 40 हज़ार से अधिक मामलों की जानकारी दी है. जबूकि युद्ध भड़कने से पहले इन मामलों की संख्या केवल 85 थी, जिसका मतलब है कि युद्ध के दौरान इनमें बेतहाशा तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुई है.
हेपेटाइटिस -A जिगर (Liver) की एक बीमारी है जो संक्रमित भोजन या पानी खाने से, इसी नाम के एक वायरस के कारण होती है. यह बीमारी, पहले से संक्रमित यानि बीमार व्यक्ति के सम्पर्क में आने से भी हो सकती है.
बीमारी के लिए अनुकूल हालात
UNRWA के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने बताया, “ग़ाज़ा में कूड़े-कचरे और गन्दगी के प्रबन्धन की व्यवस्था ढह गई है. चिलचिलाती गर्मी में, गन्दगी और कूड़े-कचरे के ढेर के ढेर जमा हो रहे हैं. गन्दे नालों का पानी सड़कों और रास्तों में बह रहा है और लोगों को शौचालय जाने के लिए भी घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है. ये सब हालात मिलकर, बीमारियों के फैलाव के लिए बहुत अनुकूल नुस्ख़ा बनाते हैं.”
मानवीय सहायता एजेंसियाँ हाल के समय में सीवेज नमूनों में, पोलियो संक्रमण के चिन्ह पाए जाने के बाद, पोलियो के फैलाव की रोकथाम करने के उपायों में भी सक्रिय हो गई हैं.
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