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इराक़: मुख्य पड़ावों और जारी चुनौतियों पर सुरक्षा परिषद में चर्चा

इराक़: मुख्य पड़ावों और जारी चुनौतियों पर सुरक्षा परिषद में चर्चा

इराक़ के लिए संयुक्त राष्ट्र के नए विशेष प्रतिनिधि मोहम्मद अल हसन ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद इस भूमिका में पहली बार सम्बोधित करते हुए कहा, “जैसा कि आपने अब तक कई बार सुना है, आज का इराक़ 20 साल पहले या पाँच साल पहले के इराक़ जैसा नहीं है.”

“इराक़ आज अधिक सुरक्षित, स्थिर और खुला है, देश के सामने आने वाली बहुत सी बाधाओं के बावजूद.”

मोहम्मद अल हसन इराक़ में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमआई) के प्रमुख भी हैं. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि देश “संकटों  पर काबू पाने और अधिक सुरक्षित, उज्ज्वल व आशाजनक भविष्य बनाने की दिशा में चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है.”

राष्ट्रव्यापी जनगणना, कुछ मुख्य संसाधन निवेश

विशेष दूत मोहम्मद अल हसन ने हाल के समय में घटित हुए अहम पड़ावों को रेखांकित किया, जिमकी शुरुआत नवम्बर में राष्ट्रीय जनगणना के सफल संचालन से हुई जोकि, 1987 के बाद से उत्तरी क्षेत्र में अर्ध-स्वायत्त कुर्दिस्तान क्षेत्र को शामिल करने वाली पहली जनगणना है.

प्रारम्भिक आकलन से मालूम होता है कि पिछले 30 वर्षों में इराक़ की जनसंख्या लगभग दोगुनी हो गई है, जो साढ़े चार करोड़ से अधिक है, और “निर्णयकर्ता अब विश्वसनीय तथ्यों व आँकड़ों के आधार पर योजनाएँ बनाने में सक्षम होंगे.”

प्रमुख राजनैतिक नियुक्ति

एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम अक्टूबर में इराकी संसद की प्रतिनिधि परिषद के नए अध्यक्ष का चुनाव था, “जोकि एक साल तक ख़ाली रहने और विभिन्न असफल प्रयासों के बाद हुआ.”

इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सूडानी ने, पूरे देश में प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में निवेश करना जारी रखा हुआ है, जिसमें सड़कें, पुल, स्कूल और परिवहन नैटवर्क बनाना शामिल हैं.

क्षेत्रीय शान्ति और एकीकरण को प्रोत्साहन

इराक़ दूत मोहम्मद अल हसन ने कहा, ” इराक़ की सरकार ने ‘आग की लपटों’ में घरे एक क्षेत्र में, क्षेत्रीय शान्ति और स्थिरता के लिए एक मज़बूत आवाज़ के रूप में दृढ़ संकल्प दिखाया है.”

प्रधानमंत्री ने “इराक़ की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान की आवश्यकता पर बल देते हुए, क्षेत्रीय तनाव को समाप्त करने का लगातार आहवान किया है.”

इसके अलावा इराक़ सरकार, मौजूदा टकरावों से परे सोचकर, क्षेत्रीय भागीदारी का लाभ उठाते हुए, देश को परिवहन, ऊर्जा और व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण गलियारे के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रही है.

उन्होंने कहा, “ऐसी पहल क्षेत्रीय एकीकरण और समृद्धि को बढ़ावा देने के इराक़ के प्रयासों की महत्ता को उजागर करती है.”

कुर्दिस्तान क्षेत्र में प्रगति

मोहम्मद अल हसन ने कुर्दिस्तान क्षेत्र में हुई “सकारात्मक प्रगति” की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया, जहाँ 20 अक्टूबर को “दो साल की लम्बी बातचीत और देरी के बाद” संसदीय चुनाव हुए, जिससे वहाँ की संस्थाओं की वैधता फिर से स्थापित हुई.

इराक़ में संयुक्त राष्ट्र मिश ने इस प्रक्रिया के लिए चुनावी सहायता प्रदान की, जिसमें 20 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया. मतदान 72 प्रतिशत तक पहुँच गया, जोकि पिछले चुनावों की तुलना में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. इस चुनाव में महिलाओं ने 100 संसदीय सीटों में से 31 सीटें हासिल कीं, जो न्यूनतम 30 प्रतिशत के कोटे से अधिक हैं.

उन्होंने कहा, “एक तरफ़ जबकि नई क्षेत्रीय सरकार के गठन के लिए राजनैतिक दलों के बीच बातचीत चल रही है, ऐसे में राजनैतिक दलों की यह ज़िम्मेदारी है कि वे महिलाओं को राजनैतिक पदों तक पहुँच प्रदान करें और उन्हें मंच पर जगह दिलाएं.”

इसके अलावा, चुनावों के बाद प्रधानमंत्री की क्षेत्रीय राजधानी एरबिल की यात्रा करना, “दोनों पक्षों के बीच अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर धअयान देने के लिए संयुक्त वार्ता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था.”

भ्रष्टाचार और महिलाओं के अधिकारों के लिए ख़तरे

मोहम्मद अल हसन ने अलबत्ता ये भी कहा कि इन सकारात्मक घटनाक्रमों पर, लगातार जारी व्यवस्थागत भ्रष्टाचार से उत्पन्न ख़तरों की छाया मंडरा रही है जबकि सरकार भ्रष्टाचार पर क़ाबू पाने के लिए निरन्तर प्रयास कर रही है.

उन्होंने “व्यापक परिवर्तन और सुधारों की आवश्यकता को रेखांकित किया जो जवाबदेही को बढ़ावा देंगे, योग्यता को बढ़ावा देंगे, पारदर्शिता में सुधार करेंगे और शासन प्रणालियों को मजबूत करेंगे,”

मोहम्मद अल हसन ने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार इस दिशा में आशाजनक क़दम उठा रही है.”

विवाह क़ानून पर बहस

उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत हैसियत क़ानून में प्रस्तावित संशोधनों के बारे में व्यापक सार्वजनिक बहस हुई है और इस मुद्दे की तरफ़ ख़ासा अन्तरराष्ट्रीय ध्यान रहा है, जिसका महिलाओं और लड़कियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा.

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना मोहम्मद ने हाल ही में देखा कि क़ानून के प्रावधानों में लड़कियों के लिए क़ानूनी विवाह की आयु 18 वर्ष से घटाकर नौ वर्ष करना शामिल है.

UNAMI ने इस तरह के प्रावधानों के मसौदे पर इराक़ी हितधारकों के साथ व्यापक रूप से बातचीत की है.

विस्थापित लोग ‘बेहतर हालात के हक़दार हैं’

इराक़ दूत ने अन्य मामलों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि आतंकवादी गुट दाएश का प्रभाव अब भी उन शिविरों में नज़र आता है जिनमें हज़ारों विस्थापित लोग रह रहे हैं. 

इनमें मुख्य रूप से यज़ीदी अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य हैं. इन लोगों ने इस तरह की कठोर जीवन स्थितियाँ पहले भी देखी हैं.

उन्होंने कहा, “इराक़ में यह स्थिति अस्वीकार्य है. इराक़ इससे बेहतर कार्रवाई कर सकता है. मुझे यक़ीन है कि इराक़ उन लोगों के लिए बेहतर जीवन स्थितियाँ प्रदान करने में सक्षम होगा जो पहले से ही पीड़ित थे.”

उन्होंने इराक़ से आग्रह किया कि वह यजीदियों और अन्य लोगों के लिए घर लौटने के लिए स्थितियां बनाने में ठोस निवेश करे.

सीरियाई शिविरों से वापसी

मोहम्मद अल हसन ने सीरिया का ज़िक्र करते हुए कहा, “और हमें उन इराक़ी नागरिकों को नहीं भूलना चाहिए जो अब भी सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में स्थित अल होल शिविर में हैं.”

उन्होंने उस स्थान की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया, जहाँ दाएश के साथ कथित सम्बन्ध होने के आरोपो में, बच्चों सहित विभिन्न राष्ट्रीयताओं के हज़ारों लोगों को रखा गया है.

हालाँकि इराक़ ऐसे बहुत कम देशों में शामिल है जो अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए काम कर रहे हैं, फिर भी वहाँ “नरक जैसी स्थितियों” से वापसी में तेज़ी लाने के लिए और अधिक कार्रवाई की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, “हमें इराक़ी नागरिकों को अल होल और पूर्वोत्तर सीरिया के अन्य शिविरों से – सम्भवतः 2025 के अन्त तक – वापस लाने के लिए, इराक़ सरकार और संस्थानों की तरफ़ नई प्रतिबद्धताएँ प्राप्त हुई हैं…”

उन्होंने अन्य देशों से भी ऐसा ही करने का आग्रह किया.

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