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Yes Bank Shares: यस बैंक की कितनी वैल्यू लगाएगा नया खरीदार? शेयर को लेकर क्या करें निवेशक

Yes Bank Shares: यस बैंक एक समय डूबने की कगार पर आ गया था। अगर यह बंद होता, तो इसका असर देश के पूरे बैंकिंग सिस्टम पर देखने को मिलता। हालांकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने न सिर्फ समय से हस्तक्षेप कर इस बैंक को डूबने से बचाया, बल्कि इस सफलतापूर्वक दोबारा स्थापित भी कर दिया है। आज यस बैंक के पास पर्याप्त मात्रा में पूंजी है। सिस्टमैटिक चुनौतियों के बावजूद इसका डिपॉजिट बढ़ रहा है। इसका एसेट बुक डायवर्सिफाई हुआ है। साथ ही इसने पुराने मैनेजमेंट से विरासत से मिले भारी बैड लोन को एक ARC (एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी) को बेचकर इससे भी छुटकारा पा लिया है।

Yes Bank के कारोबार में अब स्थिरता आ चुकी है। ऐसे में अब इसकी मुख्य शेयरधारक SBI और दूसरे इंस्टिट्यूशनल निवेशक इस बैंक से निकलता चाहते हैं और इसकी कंट्रोलिंग हिस्सेदारी (51%) किसी नए खरीदार को सौंपना चाहते हैं। SBI के पास यस बैंक की 26% प्रतिशत हिस्सेदारी है। हालांकि अब बड़ा सवाल यह आता है कोई खरीदार, Yes Bank के लिए कितनी रकम देने को तैयार होगा।

आखिर Yes Bank इतना अहम क्यो है?

सबसे पहले, हमें यह याद रखना होगा कि एक स्टैंडअलोन इकाई के तौर पर Yes Bank, शायद निवेश के लिए सबसे आकर्षक प्रस्ताव नहीं है। हालांकि अगर कोई निवेशक भारत जैसी तेजी से बढ़ती इकोनॉमी के बैंकिंग सिस्टम में पैर जमाने की कोशिश करना चाहता है, तो उसके लिए Yes Bank एक बेहतर विकल्प हो सकता है। यह देश का छठवां सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है। इसका पूरा देश में एक बड़ा नेटवर्क और डिपॉजिट बेस है और सबसे बड़ी बात यह है कि इसके पास बैंकिंग का लाइसेंस हैं।

Yes Bank में पिछले 4 सालों के दौरान आए कुछ अहम बदलाव

यस बैंक का एसेट बुक अब काफी डायवर्सिफाई है और इसमें रिटेल हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है। कंपनी के एसेट बुक में कॉरपोरेट एडवांसेज की हिस्सेदारी 2 साल पहले तक 43 फीसदी थी, जो अब घटकर 23 फीसदी पर आ गया है। वहीं रिटेल की हिस्सेदारी बढ़कर 47.40 फीसदी पर पहुंच गई है। इसे आप नीचे दिए गए चार्ट में भी देख सकते हैं-

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बैंकिंग सिस्टम के लिए डिपॉजिट अभी भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। हालांकि यस बैंक के डिपॉजिट में लगातार ग्रोथ देखी गई है। साथ ही इसमें रिटेल निवेशकों की भूमिका भी बढ़ी है। बैंक का फिलहाल करीब 55 प्रतिशत डिपॉजिट रिटेल ग्राहकों से आता है, जिनकी संख्या वित्त वर्ष 2021 के अंत में 41 प्रतिशत थी।

बैंक ने सोच समझकर एडवांसेज के मुकाबले डिपॉजिट को तेजी से बढ़ाने की रणनीति अपनाई हुई है। मार्च तिमाही के अस्थायी आंकड़ों से पता चलता है कि तिमाही आधार पर बैंक का Q4 में डिपॉजिट 10 प्रतिशत और एडवासंजे 5 फीसदी बढ़ा है। इसके चलते इसके क्रेडिट-टू-डिपॉजिट रेशियो में कमी आई है। इसे आप नीचे दिए चार्ट में भी देख सकते हैं-

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सबसे अहम बात, बैंक ने पिछले मैनेजमेंट से विरासत में मिले बैड लोन की समस्या को भी सफलतापूर्वक दूर कर लिया है। इसने करीब 43,000 करोड़ रुपये के बैड लोन को एक एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (ARC) को बेचा है। हालांकि इसके एसेट क्वालिटी से जुड़ी सभी चिताएं अभी भी दूर नहीं हुई हैं। बैंक का बैड एसेट फॉर्मेशन लगातार ऊंचे स्तर पर बना हुआ है। इसके अलावा इसका कुल ग्रॉस स्लिपेज दिसंबर तिमाही के दौरान 1,233 करोड़ रुपये रहा था। यस बैंक के दिसंबर तिमाही तक के स्ट्रेस बुक को आप नीचे देख सकते हैं-

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Yes Bank के सामने मौजूद अन्य चुनौतियां

यस बैंक के सामने दूसरी बड़ी चुनौती इसका खराब नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) है, जो 2 प्रतिशत से थोड़ा ऊपर है। एसेट-बुक में डायवर्सिफिकेशन के बावजूद, इसके प्रॉयरिटी सेक्टर लेडिंग में कमी देखी जा रही है। बैंक को उम्मीद है कि वह वह धीरे-धीरे इस स्थिति को बदल देगा। बैंक के नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) की रफ्तार को आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं-

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इसके अलावा RoA (रिटर्न ऑन एसेट्स) को बेहतर बनाने की चुनौतियों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इंटरेस्ट मार्जिन में कमी के अलावा, बैंक का कॉस्ट-टू-इनकम रेशियो भी 73 प्रतिशत से अधिक है। क्रेडिट लागत के साथ, RoA मुश्किल से 0.20 फीसदी है। इस स्तर से 1 प्रतिशत के RoA तक पहुंचने का लक्ष्य एक बड़ा सवाल बना हुआ है। हालांकि मैनेजमेंट को वित्त वर्ष 26 तक इस लक्ष्य के हासिल होने की उम्मीद कर रहा है। Yes Bank के वित्तीय सेहत से जुड़ी जानकारी को नीचे दिए चार्ट में देख सकते हैं-

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नए खरीदार को क्यों लगाना चाहिए दांव?

ये चुनौतियां यस बैंक के वैल्यूएशन में उछाल की संभावना की सीमित कर सकती है। हालांकि एक जोखिम लेने वाले निवेशक को इस सबके Yes Bank के डील पर ध्यान देना चाहिए। Yes Bank के डील की सबसे बड़ी खासियत इसके पास बैंकिंग लाइसेंस और देश भर में डिपॉजिट नेटवर्क होना है। बैंकिंग सेक्टर में आखिरी बड़ी डील कोटक महिंद्रा बैंक ने की थी, जब इसने ING Vysya बैंक को इसके ट्रेलिंग बुक वैल्यू के 2.2 गुना भाव पर खरीदा था। इस वैल्यूएशन पर यस बैंक के डील की वैल्यू करीब 91,700 करोड़ रुपये (32 रुपये प्रति शेयर) हो सकती है।

अगर हम दूसरे मीडियम साइज के प्राइवेट बैकों के डिपॉजिट फ्रेंचाइजी की वैल्यू को देखें तो, हम पाते हैं कि एक्सिस बैंक और इंडसइंड बैंक का मार्केट वैल्यूएशन उनके डिपॉजिट का 33 प्रतिशत है। इस वैल्यूएशन पर, यस बैंक के डील की वैल्यू 88,000 करोड़ रुपये (30.5 रुपये प्रति शेयर) होना चाहिए। हालांकि यस बैंक के डील को लेकर कुछ भी तय नहीं हुआ है। हालांकि जोखिम लेने वाले निवेशक मध्यम अवधि में डील की खबर आने की उम्मीद लगा सकते हैं और इस हिसाब से इसके शेयरों में गिरावट को खरीदारी के मौके के रूप में देख सकते हैं।

(यह आर्टिकल मनीकंट्रोल प्रो के लिए मधुचंदा डे ने लिखा है)

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