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Year End: साल 2023 में 10% नीचे आईं कच्चे तेल की कीमतें, नए साल में कैसा रह सकता है हाल

Year End: साल 2023 में 10% नीचे आईं कच्चे तेल की कीमतें, नए साल में कैसा रह सकता है हाल

Year End: खत्म होने जा रहे साल 2023 में कच्चे तेल के वायदा भाव (Crude Futures) में 10% से अधिक की गिरावट आई। ऐसा मुख्यत: भू-राजनीतिक उथल-पुथल और दुनिया भर के प्रमुख तेल उत्पादकों के तेल उत्पादन स्तर के बारे में चिंताओं के कारण हुआ। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, साल के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड 11 सेंट या 0.14% की गिरावट के साथ 77.04 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। यूएस वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड 12 सेंट या 0.17% की गिरावट के साथ 71.65 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। 2023 में दोनों कॉन्ट्रैक्ट 10% से अधिक फिसल गए और 2020 के बाद से वर्ष के अंत में अपने सबसे निचले स्तर पर बंद हुए।

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद आपूर्ति संबंधी चिंताओं के कारण पिछले साल ब्रेंट 10% और WTI 7% चढ़ गया था। 34 अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों ने रॉयटर्स के एक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि 2024 में ब्रेंट क्रूड का औसत भाव 82.56 डॉलर होगा। उन्हें उम्मीद है कि कमजोर ग्लोबल ग्रोथ से मांग सीमित रहेगी। हालांकि चल रहे भूराजनीतिक तनाव से तेल की कीमतें बढ़ भी सकती हैं।

हर रोज कितनी कटौती कर रहा है OPEC+

पेट्रोलियम निर्यातक देशों और सहयोगियों का संगठन, ओपेक+ वर्तमान में उत्पादन में प्रतिदिन लगभग 60 लाख बैरल की कटौती कर रहा है। यह वैश्विक आपूर्ति का लगभग 6% है। ओपेक को 2024 की पहली छमाही के लिए कच्चे तेल की कमजोर मांग का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह है कि उत्पादन में कटौती और अंगोला के ओपेक समूह से बाहर निकलने के कारण इसकी वैश्विक बाजार हिस्सेदारी, महामारी के बाद से सबसे निचले स्तर पर आ गई है।

इस बीच मध्य पूर्व में युद्ध ने 2023 के अंतिम कुछ महीनों में संभावित आपूर्ति व्यवधानों को लेकर घबराहट पैदा कर दी, जो 2024 तक जारी रहने का अनुमान है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2024 में जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे, भू-राजनीतिक घटनाओं और इस डर के साथ कि संघर्ष पूरे क्षेत्र में फैल सकता है, तेल की कीमतों में लगातार अस्थिरता देखने को मिलेगी।

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लाल सागर में हमलों का भी दिखा असर

दिसंबर माह में, लाल सागर मार्ग से गुजरने वाले शिपिंग जहाजों पर यमन के हूती आतंकवादी समूह के हमलों ने प्रमुख कंपनियों को अपने शिपमेंट का मार्ग बदलने पर मजबूर किया। हालांकि कुछ कंपनियां स्वेज नहर के माध्यम से आवाजाही फिर से शुरू करने की तैयारी कर रही हैं, लेकिन कच्चे तेल और रिफाइंड प्रोडक्ट्स के कुछ टैंकर अभी भी क्षेत्र में संभावित संघर्षों से बचने के लिए अफ्रीका के आसपास का लंबा रास्ता चुन रहे हैं।

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