The Lancet Child & Adolescent Health जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन, उपलब्ध आँकड़ों पर आधारित है और रिश्ते में रहने वाली 15 से 19 साल की लड़कियों के बीच शारीरिक और/या यौन हिंसा के प्रसार पर पहली विस्तृत जाँच प्रस्तुत करता है.
पिछले वर्ष लगभग 16 प्रतिशत यानि हर छह में से एक लड़की इससे प्रभावित थी.
विनाशकारी प्रभाव
डब्ल्यूएचओ के यौन, प्रजनन स्वास्थ्य और अनुसंधान विभाग के निदेशक, डॉक्टर पास्केल एलोटे ने कहा कि चिन्ताजनक बात यह है कि दुनिया भर की लाखों युवा महिलाएँ, बहुत शुरुआत से ही अंतरंग साथी हिंसा की शिकार हो रही हैं.
उन्होंने कहा, “कच्ची उम्र में हिंसा का सामना करने के बहुत गहरे व स्थाई परिणाम हो सकते हैं, इसलिए इसे एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा समझकर बहुत गम्भीरता से लेना ज़रूरी है, जिसमें पूरा ध्यान रोकथाम एवं लक्षित समर्थन पर केन्द्रित हो.”
WHO के मुताबिक़, अंतरंग साथी हिंसा का स्वास्थ्य पर बेहद विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है. इससे चोटें, अवसाद, चिन्ता विकार, अनियोजित गर्भधारण, यौन संचारित संक्रमण तथा कई अन्य शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं का शिकार होने की सम्भावना बढ़ सकती है.
साथ ही, शैक्षिक उपलब्धियाँ, भविष्य के सम्बन्ध व जीवनभर की सम्भावनाएँ प्रभावित हो सकती हैं.
क्षेत्रीय अन्तर
हालाँकि यह समस्या सभी जगहों पर फैली है, लेकिन WHO के अध्ययन में इसके प्रसार की दरों में क्षेत्रीय अन्तर पाए गए.
क्रमशः 47 प्रतिशत और 40 प्रतिशत की दर से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र, ओशियाना और मध्य उप-सहारा अफ़्रीका हैं, जबकि सबसे कम दर, यानि 10 प्रतिशत की दर, मध्य योरोप एवं 11 प्रतिशत मध्य एशिया में पाई गई.
इसके अलावा, युवा महिलाओं के ख़िलाफ़ अंतरंग साथी हिंसा, निम्न-आय वाले देशों में सबसे आम है, जहाँ बहुत कम लड़कियाँ ही माध्यमिक शिक्षा प्राप्त कर पाती हैं, और जहाँ पुरुषों के मुक़ाबले सम्पत्ति पर क़ानूनन उनका मालिकाना हक़ या विरासत के अधिकार कमज़ोर हैं.
WHO के अनुसार, 18 साल की उम्र से पहले बाल विवाह होने से भी जोखिम बढ़ जाते हैं. फिर पति-पत्नी की उम्र में बड़ा अन्तर होने से शक्ति असन्तुलन, आर्थिक निर्भरता और सामाजिक अलगाव पैदा होता है – और यह सभी कारक, उत्पीड़न की सम्भावनाएँ बढ़ाते हैं.
रोकथाम, सुरक्षा, सशक्तिकरण
इस मुद्दे को सम्बोधित करने हेतु, WHO ने किशोर लड़कियों को लक्षित करते शुरुआती रोकथाम उपायों व समर्थन सेवाओं को मज़बूत करने की तात्कालिकता पर बल दिया है.
साथ ही, महिलाओं व लड़कियों के संगठन व अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए कार्रवाई ज़रूरी है, जिसके तहत लड़के व लड़कियों को स्वस्थ रिश्तों व हिंसा से सुरक्षा, क़ानूनी सुरक्षा उपायों व आर्थिक सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर स्कूल-आधारित कार्यक्रम चलाना शामिल हो.
यूएन स्वास्थ्य संगठन ने दोहराया कि फिलहाल सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप, 2030 तक महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा ख़त्म करने का टारगेट हासिल करने हेतु, कोई भी देश सही रास्ते पर नज़र नहीं आ रहा है.
WHO ने कहा, इसीलिए, वैश्विक स्तर पर हर पाँच में से एक लड़की को प्रभावित करने वाले बाल विवाह का अन्त करनेे, और माध्यमिक शिक्षा तक लड़कियों की पहुँच बढ़ाने सेे, किशोरियों के ख़िलाफ़ अंतरंग साथी हिंसा घटाने में मदद मिलेगी.
समानता और शिक्षा
WHO में महिला हिंसा के के ख़िलाफ़ डेटा और मापन की तकनीकी अधिकारी व अध्ययन की लेखक, डॉक्टर लिनमेरी सारदिन्हा ने कहा, “अध्ययन से पता चलता है कि लिंग-आधारित हिंसा को समाप्त करने के लिए, देशों को ऐसी नीतियों व कार्यक्रमों की आवश्यकता है जो महिलाओं और लड़कियों के लिए समानता बढ़ाएँ.”
उन्होंने कहा, “इसका मतलब है सभी लड़कियों के लिए माध्यमिक शिक्षा सुनिश्चित करना, समान सम्पत्ति अधिकार सुरक्षित करना और बाल विवाह जैसी हानिकारक प्रथाओं को समाप्त करना ज़रूरी है. यह अक्सर उन्हीं असमान लैंगिक मानदंडों पर आधारित होते हैं, जो महिलाओं एवं लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा के ज़िम्मेदार होते हैं.”
इस उद्देश्य से, WHO महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को मापने व उससे निपटने के लिए देशों का समर्थन करता है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के भीतर रोकथाम एवं प्रतिक्रिया को मज़बूत करने के प्रयास भी शामिल हैं.
इसके अलावा यूएन एजेंसी, साल के अन्त तक बाल विवाह की रोकथाम के लिए, नए दिशानिर्देश जारी करने की भी योजना बना रही है.