मिस्र प्राचीन काल से ही मलेरिया से त्रस्त रहा है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी – WHO के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने सोमवार को कहा, “मलेरिया बीमारी उतनी ही पुरानी है जितनी स्वयं मिस्र की सभ्यता प्राचीन है…”
…”मगर मिस्र के प्राचीन शासकों को तंग करने वाले यह बीमारी अब इतिहास के पन्नों में सिमट गई है और भविष्य के लिए एक ख़तरे के रूप में इसकी मौजूदगी ख़त्म हो गई है.”
उन्होंने कहा, “मिस्र को मलेरिया-मुक्त किए जाने का यह प्रमाण-पत्र, वास्तव में ऐतिहासिक है, और मिस्र को इस प्राचीन अभिशाप से मुक्ति दिलाने के लिए देश के लोगों और वहाँ की सरकार की प्रतिबद्धता का साक्ष्य भी है.”
मिस्र में मिली यह सफलता, दुनिया भर में मलेरिया के ख़िलाफ़ वैश्विक लड़ाई में अति महत्वपूर्ण विजय का प्रतिनिधित्व करती है.
ख़ासतौर से, 10 करोड़ से भी अधिक आबादी वाले देश में यह वाक़ई एक अहम कामयाबी है.
बड़ी होती सूची
WHO की पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्र के देशों की सूची में, मिस्र केवल तीसरा ऐसा देश है जिसे मलेरिया-मुक्त होने का दर्जा दिया गया है.
इस से पहले केवल संयुक्त अरब अमीरात और मोरक्को ही मलेरिया-मुक्त घोषित किए गए हैं.
डॉक्टर टैड्रॉस ने बताया कि इस सफलता की अहमियत पर ज़ोर देते हुए कहा कि मगर दुनिया भर में देखा जाए तो यह दर्जा पाने वाले देशों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
मिस्र मलेरिया-मुक्त होकर इसी दर्जे वाले 44 देशों की सूची में शामिल हो गया है.
उन्होंने कहा, “मैं मिस्र को इस सफलता पर बधाई देता हूँ, जोकि क्षेत्र के अन्य देशों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है.”
“यह सफलता यह भी दिखाती है कि संसाधनों के सदुपयोग और सही तरीक़े के उपायों व उपकरणों के प्रयोग से, क्या-कुछ (हासिल करना) सम्भव है.”