Kerala West Nile Fever: केरल में वेस्ट नाइल बुखार तेजी फैला रहा है। ये बुखार संक्रमित मच्छरो के काटने से फैलता है। यही वजह है कि केरल में स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों में मानसून के पहले सफाई अभियान चलाने का निर्देश दिया है। राज्य के कोझिकोड, त्रिशूर और मलप्पुरम में कई मामले सामने आए हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने इन जिलों में अलर्ट जारी कर दिया है। केरल में अब तक वेस्ट नाइल बुखार के 5 मामले सामने आ चुके हैं।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने लोगों से अपील की है कि बुखार के लक्षण दिखते ही फौरन इलाज कराएं। उन्होंने कहा कि इस वायरस के प्रकोप से बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है। सभी मरीजों के सैंपल लिए जा रहे हैं और पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में भेजे गए हैं।
वेस्ट नाइल बुखार क्या है?
वेस्ट नाइल वायरस (West Nile Virus -WNV) पहली बार 1937 में युगांडा के वेस्ट नाइल जिले की एक महिला में पाया गया था। यह बुखार क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छरों से फैलता है। भारत में, इस बुखार के बारे में पहली बार 2011 में पता चला था। केरल के मलप्पुरम के एक 6 साल के लड़के की 2019 में बुखार की वजह से मौत हो गई थी। मई 2022 में त्रिशूर जिले में बुखार से एक 47 साल के शख्स की मौत हो गई थी। राज्य के स्वास्थ्य विभाग का कहनाहै कि इस बुखार से संक्रमित होने पर शुरुआती दौर में लक्षण नजर नहीं आते हैं। यह खास तौर से संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization – WHO) के मुताबिक, WNV मुख्य रूप से अफ्रीका, यूरोप, मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका और पश्चिम एशिया में पाया जाता है।
वेस्ट नाइल बुखार के लक्षण
US के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, यह बीमारी मच्छरों के काटने से होती है। 10 में से 8 लोगों में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसमें फीवर के साथ उल्टी, दस्त और सिरदर्द की सामान्य लक्षण ही नजर आते हैं। कुछ मामलों में वेस्ट नाइल फीवर से एन्सेफलाइटिस यानी मस्तिष्क में सूजन और मेनिनजाइटिस यानी रीढ़ की हड्डी में सूजन जैसी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं देखने को मिल सकती हैं, जो मौत तक का कारण बन सकती हैं।
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