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UNRWA को वित्तीय समर्थन पर संकट, ग़ाज़ा में आम फ़लस्तीनियों की बढ़ती हताशा

7 अक्टूबर को इसराइल पर हमलों में यूएन एजेंसी के कुछ कर्मचारियों की संलिप्तता के आरोप सामने आए हैं, जिसके बाद कई देशों ने संगठन को वित्तीय सहायता रोकने की बात कही है.

इन हमलों में 1,200 इसराइली मारे गए थे और 250 से अधिक को बंधक बना लिया गया था. इसके बाद इसराइल ने ग़ाज़ा पर जवाबी कार्रवाई की है, जिसमें 26 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं और 65 हज़ार से ज़्यादा घायल हुए हैं. 

इसराइली सेना के अनुसार अब तक 218 सैनिक मारे गए हैं, जबकि 1,267 लड़ाई में घायल हुए हैं.

ग़ाज़ा पट्टी में भीषण लड़ाई के बीच यूएन एजेंसी ने 20 लाख से अधिक आम फ़लस्तीनियों को जीवनरक्षक सहायता पहुँचाना जारी रखा है.

UNRWA द्वारा 10 लाख से अधिक लोगों को आश्रय स्थल मुहैया कराए गए हैं, उनके भोजन, जल, स्वास्थ्य देखभाल समेत अन्य अहम सेवाओं का प्रबन्ध किया गया है.

साथ ही, अन्य यूएन एजेंसियों व साझेदार संगठनों के महत्वपूर्ण कार्य को समर्थन प्रदान किया जा रहा है. 

यूएन स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता क्रिस्टियान लिन्डमायर ने कहा कि ग़ाज़ा में आश्रय स्थल, स्वास्थ्य केन्द्र और हर अन्य चीज़, UNRWA के ज़रिये प्रदान किया जाता है.

उन्होंने महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि इस अहम क्षण में, यूएन एजेंसी की वित्तीय सहायता रोकने से केवल ग़ाज़ा के लोगों को कष्ट पहुँचेगा, जिन्हें इस समर्थन की बहुत आवश्यकता है.

7 अक्टूबर को इसराइल पर हमले में, UNRWA के 12 कर्मचारियों के शामिल होने के आरोप सामने आए हैं, जिसके बाद अमेरिका ने पिछले शुक्रवार को वित्तीय सहायता रोकने की घोषणा की थी.

इन आरोपों की तत्काल, पूर्ण रूप से जाँच कराई जा रही है और कथित रूप से संलिप्त कर्मचारियों को बर्ख़ास्त कर दिया गया है. 

अकाल का जोखिम

ग़ाज़ा में संयुक्त राष्ट्र एजेंसी और अन्य साझेदार संगठनों के प्रयासों के बावजूद, पिछले चार महीने से जारी लड़ाई के कारण बड़ी संख्या में लोग अब अकाल के कगार पर हैं.

कुछ हताश लोगों ने भोजन की तलाश में राहत क़ाफ़िलों में खाद्य व अन्य सामग्री को छीनना शुरू कर दिया है, और ऐसी ही एक घटना दक्षिण में स्थित ख़ान यूनिस में हुई.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रवक्ता लिन्डमायर ने बताया कि नासेर अस्पताल में एक क़ाफ़िला पहुँचाने की कोशिश कर रहा था, ताकि वहाँ मरीज़ों, स्वास्थ्य देखभालकर्मियों और अन्य लोगों को भोजन मुहैया कराया जा सके.

मगर वहाँ पहुँचने से पहले ही लोगों ने वस्तुत: आपूर्ति को ले लिया. उन्होंने कहा कि यह कोई एकमात्र दुर्लभ घटना नहीं है और यह दर्शाता है कि ज़रूरतें किस स्तर पर पहुँच गई हैं. 

क्रिस्टियान लिन्डमायर ने जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि ग़ाज़ा में कुपोषित आबादी में बीमारियों के जंगल में आग की तरह फैलने की आशंका है, जबकि वे पहले से ही बमबारी और ध्वस्त इमारतों से जूझ रहे हैं.

बताया गया है कि नासेर अस्पताल में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, गोलीबारी और लड़ाई के बीच लोगों के अस्पताल तक पहुँचना भी मुश्किल है और वहाँ से बाहर निकल पाना भी.

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