उन्होंने बुधवार को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पत्रकारों के साथ, हाल ही में इसराइली संसद क्नैसेट द्वारा पारित दो विधेयकों व उनके असर पर विस्तार से बात की. बताया गया है कि इन क़ानूनों का मक़सद,, ग़ाज़ा और पश्चिमी तट समेत क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में यूएन एजेंसी UNRWA की गतिविधियों पर पाबन्दी लगाना है.
उन्होंने कहा, “इन क़ानूनों का मक़सद एजेंसी को कमज़ोर करना है,” और यह क़दम राजनैतिक उद्देश्यों से प्रेरित है.
7 अक्टूबर 2023 को ग़ाज़ा में युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक, 243 UNRWA कर्मचारी अपनी जान गँवा चुके हैं. संगठन की लगभग 190 इमारतें और प्रतिष्ठान क्षतिग्रस्त या ध्वस्त हो चुके हैं, तथा जीवनरक्षक सहायता अभियानों पर सख़्त पाबन्दियाँ थोपी गई हैं.
दुष्प्रचार अभियान
फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा कि “इसके अलावा, एक गहन और आक्रामक दुष्प्रचार अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें दानदाता देशों से सम्पर्क साधकर, एजेंसी को बदनाम करने की कोशिश की गई है.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जोखिम से भरे माहौल में काम करने के बावजूद, UNRWA ने तटस्थता के उल्लंघन के विरुद्ध ‘शून्य सहनशीलता’ की नीति अपनाई है. उन्होंने कहा कि एजेंसी उन लोगों के लिए एक ‘आसान निशाना’ है, जो इसकी उपस्थिति या गतिविधियों को ख़तरे के रूप में देखते हैं.
इसमें हमास भी शामिल है, जो UNRWA के शैक्षिक, लैंगिक समानता, या कला, संस्कृति और खेलकूद कार्यक्रमों की वजह से, कई वर्षों से एजेंसी पर इसराइल के साथ “साज़िश” के आरोप मढ़ती आई है. वहीं दूसरी ओर, इसराइल ने UNRWA पर हमास के साथ मिलकर साज़िश करने, और हमास के अत्यधिक प्रभाव में होने का आरोप लगाया है.
फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा, “इसलिए, मैंने आज सुबह महासभा की चौथी समिति में भी इस मुद्दे पर भी स्पष्टीकरण दिया,” और इन आरोपों को पूरी तरह ख़ारिज कर दिया.
कर्मचारियों पर हमले
क़ानूनी और वित्तीय अड़चनों के अलावा, UNRWA के कर्मचारियों को बढ़ते सुरक्षा ख़तरों का भी सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने हाल की एक घटना का ज़िक्र किया जिसमें एक महिला कर्मचारी को पश्चिमी तट में हिरासत में लेकर, पूछताछ की गई और “आतंकी संगठन” के लिए काम करने का आरोप लगाकर, सम्वेदनशील जानकारी देने के लिए मजबूर किया गया,
फ़िलिपे लज़ारिनी ने बताया कि ऐसे मामले उन बढ़ते जोखिमों का प्रतीक हैं, जिनका सामना कर्मचारी इस टकराव भरे हालात में कर रहे हैं. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि UNRWA का कोई विकल्प नहीं है, जिसे पिछले कुछ समय में संयुक्त राष्ट्र महासचिव और कई मानवीय सहायता एजेंसियों ने भी दोहराया है.
ग़ाज़ा पट्टी में पिछले कई दशकों से लाखों लड़कों-लड़कियों की शिक्षा, महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की देखरेख है, और हर दिन हज़ारों लोगों को स्वास्थ्य परामर्श प्रदान करने में UNRWA की अहम भूमिका है.
फ़िलिपे लज़ारिनी ने सचेत किया कि अगर UNRWA का काम बन्द होता है, तो “एकमात्र विकल्प यह है कि यह ज़िम्मेदारी क़ाबिज़ शक्ति पर आ जाएगी, यानि ये आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने की ज़िम्मेदारी इसराइल पर होगी.”
UNRWA को ख़त्म होने से रोकें
फ़िलिपे लज़ारिनी ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से हाल ही में इसराइली संसद द्वारा स्वीकृत गए क़ानूनों को लागू होने से रोकने के लिए तुरन्त आवश्यक क़दम उठाने की अपील की है. साथ ही, UNRWA के लिए निरन्तर वित्तीय एवं राजनैतिक समर्थन सुनिश्चित किया जाना होगा.
उन्होंने कहा कि UNRWA के मुद्दे को एक राजनैतिक फ़्रेमवर्क के भीतर हल किया जाना चाहिए और दो-राष्ट्र समाधान की ओर बढ़ने वाले किसी भी राजनैतिक रास्ते के अन्तर्गत इसकी भूमिका स्पष्ट रूप से निर्धारित की जानी चाहिए.
उनके अनुसार, UNRWA पर हमले, ‘संयुक्त राष्ट्र पर हमले’ हैं. इसराइल का हमला, महासभा और सुरक्षा परिषद को चुनौती देता है और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित अन्तरराष्ट्रीय नियमों पर आधारित व्यवस्था को कमज़ोर करता है.
फ़िलिपे लज़ारिनी ने, उनकी राहत कार्रवाई में योगदान देने वाले देशों से अपील करते हुए कहा कि वो इस स्थिति को रोकने के लिए अपने सभी राजनैतिक और क़ानूनी संसाधनों का उपयोग करें.